< ज़बूर 45 >
1 मेरे दिल में एक नफ़ीस मज़मून जोश मार रहा है, मैं वही मज़ामीन सुनाऊँगा जो मैंने बादशाह के हक़ में लिखे हैं, मेरी ज़बान माहिर लिखने वाले का क़लम है।
Al maestro de coro. Sobre el tono de “Schoschannim” (“Las azucenas”). De los hijos de Coré. Maskil. Canto de amor. De mi corazón desbordan faustas palabras, hablo de lo que hice para el rey, mi lengua es pluma de ágil escriba.
2 तू बनी आदम में सबसे हसीन है; तेरे होंटों में लताफ़त भरी है; इसलिए ख़ुदा ने तुझे हमेशा के लिए मुबारक किया।
Eres más hermoso que los hijos de los hombres; la gracia se ha derramado en tus labios, pues Dios te ha bendecido para siempre.
3 ऐ ज़बरदस्त! तू अपनी तलवार को जो तेरी हशमत — ओ — शौकत है, अपनी कमर से लटका ले।
Oh poderoso, ciñe a tu flanco tu espada en tu gloria y majestad.
4 और सच्चाई और हिल्म और सदाक़त की ख़ातिर, अपनी शान — ओ — शौकत में इक़बालमंदी से सवार हो; और तेरा दहना हाथ तुझे अजीब काम दिखाएगा।
Cabalga, victorioso, por la verdad y por la justicia, y tu diestra te mostrará hazañas formidables.
5 तेरे तीर तेज़ हैं, वह बादशाह के दुश्मनों के दिल में लगे हैं, उम्मतें तेरे सामने पस्त होती हैं।
Agudas son tus flechas, los pueblos caerán debajo de ti; desfallecidos caerán los enemigos del rey.
6 ऐ ख़ुदा, तेरा तख़्त हमेशा से हमेशा तक है; तेरी सल्तनत का 'असा रास्ती का 'असा है।
Tu trono, oh Dios, es por los siglos y para siempre; el cetro de tu reino es vara de justicia.
7 तूने सदाक़त से मुहब्बत रखी और बदकारी से नफ़रत, इसीलिए ख़ुदा, तेरे ख़ुदा ने ख़ुशी के तेल से, तुझ को तेरे हमसरों से ज़्यादा मसह किया है।
Tú amas la justicia y detestas la maldad; por esto, oh Dios, el Dios tuyo te ungió, entre todos tus semejantes, con óleo de alegría.
8 तेरे हर लिबास से मुर और 'ऊद और तंज की खु़शबू आती है, हाथी दाँत के महलों में से तारदार साज़ों ने तुझे ख़ुश किया है।
Mirra y áloes y casia exhalan tus vestidos desde los palacios de marfil donde te alegraron.
9 तेरी ख़ास ख़्वातीन में शाहज़ादियाँ हैं; मलिका तेरे दहने हाथ, ओफ़ीर के सोने से सजी खड़ी है।
Hijas de reyes vienen a tu encuentro; a tu diestra está en pie la reina, vestida de oro de Ofir.
10 ऐ बेटी, सुन! ग़ौर कर और कान लगा; अपनी क़ौम और अपने बाप के घर को भूल जा;
Oye, hija, y considera; aplica tu oído; olvida a tu pueblo y la casa de tu padre.
11 और बादशाह तेरे हुस्न का मुश्ताक़ होगा। क्यूँकि वह तेरा ख़ुदावन्द है, तू उसे सिज्दा कर!
El rey se prendará de tu hermosura; Él es tu Señor: inclínate ante Él.
12 और सूर की बेटी हदिया लेकर हाज़िर होगी, क़ौम के दौलतमंद तेरी ख़ुशी की तलाश करेंगे।
Ante ti se inclinará la hija de Tiro con dádivas, y los más ricos de la tierra solicitarán tu favor.
13 बादशाह की बेटी महल में सरापा हुस्न अफ़रोज़ है, उसका लिबास ज़रबफ़्त का है;
Toda hermosa entra la hija del rey, vestida de tela de oro.
14 वह बेल बूटे दार लिबास में बादशाह के सामने पहुँचाई जाएगी। उसकी कुंवारी सहेलियाँ जो उसके पीछे — पीछे चलती हैं, तेरे सामने हाज़िर की जाएँगी।
Envuelta en manto multicolor es llevada al rey; detrás de ella son introducidas a ti, las vírgenes, sus amigas;
15 वह उनको ख़ुशी और ख़ुर्रमी से ले आएँगे, वह बादशाह के महल में दाख़िल होंगी।
son conducidas alegremente y, dichosas, entran en el palacio del rey.
16 तेरे बेटे तेरे बाप दादा के जाँ नशीन होंगे; जिनको तू पूरी ज़मीन पर सरदार मुक़र्रर करेगा।
Tus hijos ocuparán el lugar de tus padres; los establecerás príncipes sobre toda la tierra.
17 मैं तेरे नाम की याद को नसल दर नसल क़ाईम रखूँगा इसलिए उम्मतें हमेशा से हमेशा तक तेरी; शुक्रगुज़ारी करेंगी।
Haré tu nombre memorable de edad en edad; sí, los pueblos te ensalzarán por los siglos de los siglos.