< ज़बूर 45 >

1 मेरे दिल में एक नफ़ीस मज़मून जोश मार रहा है, मैं वही मज़ामीन सुनाऊँगा जो मैंने बादशाह के हक़ में लिखे हैं, मेरी ज़बान माहिर लिखने वाले का क़लम है।
Ein Brautlied und Unterweisung der Kinder Korah, von den Rosen, vorzusingen. Mein Herz dichtet ein feines Lied; ich will singen von meinem König; meine Zunge ist wie der Griffel eines guten Schreibers.
2 तू बनी आदम में सबसे हसीन है; तेरे होंटों में लताफ़त भरी है; इसलिए ख़ुदा ने तुझे हमेशा के लिए मुबारक किया।
Du bist der Schönste unter den Menschenkindern, holdselig sind deine Lippen; darum segnet dich Gott ewiglich.
3 ऐ ज़बरदस्त! तू अपनी तलवार को जो तेरी हशमत — ओ — शौकत है, अपनी कमर से लटका ले।
Gürte dein Schwert an deine Seite, du Held, und schmücke dich schön!
4 और सच्चाई और हिल्म और सदाक़त की ख़ातिर, अपनी शान — ओ — शौकत में इक़बालमंदी से सवार हो; और तेरा दहना हाथ तुझे अजीब काम दिखाएगा।
Es müsse dir gelingen in deinem Schmuck. Zieh einher der Wahrheit zugut, und die Elenden bei Recht zu erhalten, so wird deine rechte Hand Wunder vollbringen.
5 तेरे तीर तेज़ हैं, वह बादशाह के दुश्मनों के दिल में लगे हैं, उम्मतें तेरे सामने पस्त होती हैं।
Scharf sind deine Pfeile, daß die Völker vor dir niederfallen; sie dringen ins Herz der Feinde des Königs.
6 ऐ ख़ुदा, तेरा तख़्त हमेशा से हमेशा तक है; तेरी सल्तनत का 'असा रास्ती का 'असा है।
Gott, dein Stuhl bleibt immer und ewig; das Zepter deines Reiches ist ein gerades Zepter.
7 तूने सदाक़त से मुहब्बत रखी और बदकारी से नफ़रत, इसीलिए ख़ुदा, तेरे ख़ुदा ने ख़ुशी के तेल से, तुझ को तेरे हमसरों से ज़्यादा मसह किया है।
Du liebest die Gerechtigkeit und hassest gottlos Wesen; darum hat dich Gott, dein Gott, gesalbt mit Freudenöl mehr denn deine Gesellen.
8 तेरे हर लिबास से मुर और 'ऊद और तंज की खु़शबू आती है, हाथी दाँत के महलों में से तारदार साज़ों ने तुझे ख़ुश किया है।
Deine Kleider sind eitel Myrrhe, Aloe und Kassia, wenn du aus den elfenbeinernen Palästen dahertrittst in deiner schönen Pracht.
9 तेरी ख़ास ख़्वातीन में शाहज़ादियाँ हैं; मलिका तेरे दहने हाथ, ओफ़ीर के सोने से सजी खड़ी है।
In deinem Schmuck gehen der Könige Töchter; die Braut steht zu deiner Rechten in eitel köstlichem Gold.
10 ऐ बेटी, सुन! ग़ौर कर और कान लगा; अपनी क़ौम और अपने बाप के घर को भूल जा;
Höre, Tochter, sieh und neige deine Ohren; vergiß deines Volkes und Vaterhauses,
11 और बादशाह तेरे हुस्न का मुश्ताक़ होगा। क्यूँकि वह तेरा ख़ुदावन्द है, तू उसे सिज्दा कर!
so wird der König Lust an deiner Schöne haben; denn er ist dein HERR, und ihn sollst du anbeten.
12 और सूर की बेटी हदिया लेकर हाज़िर होगी, क़ौम के दौलतमंद तेरी ख़ुशी की तलाश करेंगे।
Die Tochter Tyrus wird mit Geschenk dasein; die Reichen im Volk werden vor dir flehen.
13 बादशाह की बेटी महल में सरापा हुस्न अफ़रोज़ है, उसका लिबास ज़रबफ़्त का है;
Des Königs Tochter drinnen ist ganz herrlich; sie ist mit goldenen Gewändern gekleidet.
14 वह बेल बूटे दार लिबास में बादशाह के सामने पहुँचाई जाएगी। उसकी कुंवारी सहेलियाँ जो उसके पीछे — पीछे चलती हैं, तेरे सामने हाज़िर की जाएँगी।
Man führt sie in gestickten Kleidern zum König; und ihre Gespielen, die Jungfrauen, die ihr nachgehen, führt man zu dir.
15 वह उनको ख़ुशी और ख़ुर्रमी से ले आएँगे, वह बादशाह के महल में दाख़िल होंगी।
Man führt sie mit Freuden und Wonne, und sie gehen in des Königs Palast.
16 तेरे बेटे तेरे बाप दादा के जाँ नशीन होंगे; जिनको तू पूरी ज़मीन पर सरदार मुक़र्रर करेगा।
An deiner Väter Statt werden deine Söhne sein; die wirst du zu Fürsten setzen in aller Welt.
17 मैं तेरे नाम की याद को नसल दर नसल क़ाईम रखूँगा इसलिए उम्मतें हमेशा से हमेशा तक तेरी; शुक्रगुज़ारी करेंगी।
Ich will deines Namens gedenken von Kind zu Kindeskind; darum werden dir danken die Völker immer und ewiglich.

< ज़बूर 45 >