< ज़बूर 44 >
1 ऐ ख़ुदा, हम ने अपने कानों से सुना; हमारे बाप — दादा ने हम से बयान किया, कि तूने उनके दिनों में पिछले ज़माने में क्या क्या काम किए।
in finem filiis Core ad intellectum
2 तूने क़ौमों को अपने हाथ से निकाल दिया, और उनको बसाया: तूने उम्मतों को तबाह किया, और इनको चारों तरफ़ फैलाया;
Deus auribus nostris audivimus patres nostri adnuntiaverunt nobis opus quod operatus es in diebus eorum in diebus antiquis
3 क्यूँकि न तो यह अपनी तलवार से इस मुल्क पर क़ाबिज़ हुए, और न इनकी ताक़त ने इनको बचाया; बल्कि तेरे दहने हाथ और तेरी ताक़त और तेरे चेहरे के नूर ने इनको फ़तह बख़्शी क्यूँकि तू इनसे ख़ुश था।
manus tua gentes disperdit et plantasti eos adflixisti populos et expulisti eos
4 ऐ ख़ुदा! तू मेरा बादशाह है; या'क़ूब के हक़ में नजात का हुक्म सादिर फ़रमा।
nec enim in gladio suo possederunt terram et brachium eorum non salvavit eos sed dextera tua et brachium tuum et inluminatio faciei tuae quoniam conplacuisti in eis
5 तेरी बदौलत हम अपने मुख़ालिफ़ों को गिरा देंगे; तेरे नाम से हम अपने ख़िलाफ़ उठने वालों को पस्त करेंगे।
tu es ipse rex meus et Deus meus qui mandas salutes Iacob
6 क्यूँकि न तो मैं अपनी कमान पर भरोसा करूँगा, और न मेरी तलवार मुझे बचाएगी।
in te inimicos nostros ventilabimus cornu et in nomine tuo spernemus insurgentes in nobis
7 लेकिन तूने हम को हमारे मुख़ालिफ़ों से बचाया है, और हम से 'अदावत रखने वालों को शर्मिन्दा किया।
non enim in arcu meo sperabo et gladius meus non salvabit me
8 हम दिन भर ख़ुदा पर फ़ख़्र करते रहे हैं, और हमेशा हम तेरे ही नाम का शुक्रिया अदा करते रहेंगे।
salvasti enim nos de adfligentibus nos et odientes nos confudisti
9 लेकिन तूने तो अब हम को छोड़ दिया और हम को रुस्वा किया, और हमारे लश्करों के साथ नहीं जाता।
in Deo laudabimur tota die et in nomine tuo confitebimur in saeculum diapsalma
10 तू हम को मुख़ालिफ़ के आगे पस्पा करता है, और हम से 'अदावत रखने वाले लूट मार करते हैं
nunc autem reppulisti et confudisti nos et non egredieris in virtutibus nostris
11 तूने हम को ज़बह होने वाली भेड़ों की तरह कर दिया, और क़ौमों के बीच हम को तितर बितर किया।
avertisti nos retrorsum post inimicos nostros et qui oderunt nos diripiebant sibi
12 तू अपने लोगों को मुफ़्त बेच डालता है, और उनकी क़ीमत से तेरी दौलत नहीं बढ़ती।
dedisti nos tamquam oves escarum et in gentibus dispersisti nos
13 तू हम को हमारे पड़ोसियों की मलामत का निशाना, और हमारे आसपास के लोगों के तमसखु़र और मज़ाक़ का जरिया' बनाता है।
vendidisti populum tuum sine pretio et non fuit multitudo in commutationibus nostris
14 तू हम को क़ौमों के बीच एक मिसाल, और उम्मतों में सिर हिलाने की वजह ठहराता है।
posuisti nos obprobrium vicinis nostris subsannationem et derisum his qui in circuitu nostro
15 मेरी रुस्वाई दिन भर मेरे सामने रहती है, और मेरे मुँह पर शर्मिन्दी छा गई।
posuisti nos in similitudinem gentibus commotionem capitis in populis
16 मलामत करने वाले और कुफ़्र बकने वाले की बातों की वजह से, और मुख़ालिफ़ और इन्तक़ाम लेने वाले की वजह।
tota die verecundia mea contra me est et confusio faciei meae cooperuit me
17 यह सब कुछ हम पर बीता तोभी हम तुझ को नहीं भूले, न तेरे 'अहद से बेवफ़ाई की;
a voce exprobrantis et obloquentis a facie inimici et persequentis
18 न हमारे दिल नाफ़रमान हुए, न हमारे क़दम तेरी राह से मुड़े;
haec omnia venerunt super nos nec obliti sumus te et inique non egimus in testamento tuo
19 जो तूने हम को गीदड़ों की जगह में खू़ब कुचला, और मौत के साये में हम को छिपाया।
et non recessit retrorsum cor nostrum et declinasti semitas nostras a via tua
20 अगर हम अपने ख़ुदा के नाम को भूले, या हम ने किसी अजनबी मा'बूद के आगे अपने हाथ फैलाए हों:
quoniam humiliasti nos in loco adflictionis et cooperuit nos umbra mortis
21 तो क्या ख़ुदा इसे दरियाफ़्त न कर लेगा? क्यूँकि वह दिलों के राज़ जानता है।
si obliti sumus nomen Dei nostri et si expandimus manus nostras ad deum alienum
22 बल्कि हम तो दिन भर तेरी ही ख़ातिर जान से मारे जाते हैं, और जैसे ज़बह होने वाली भेड़ें समझे जाते हैं।
nonne Deus requiret ista ipse enim novit abscondita cordis quoniam propter te mortificamur omni die aestimati sumus sicut oves occisionis
23 ऐ ख़ुदावन्द, जाग! तू क्यूँ सोता है? उठ! हमेशा के लिए हम को न छोड़।
exsurge quare dormis Domine exsurge et ne repellas in finem
24 तू अपना मुँह क्यूँ छिपाता है, और हमारी मुसीबत और मज़लूमी को भूलता है?
quare faciem tuam avertis oblivisceris inopiae nostrae et tribulationis nostrae
25 क्यूँकि हमारी जान ख़ाक में मिल गई, हमारा जिस्म मिट्टी हो गया।
quoniam humiliata est in pulvere anima nostra conglutinatus est in terra venter noster
26 हमारी मदद के लिए उठ और अपनी शफ़क़त की ख़ातिर, हमारा फ़िदिया दे।
exsurge adiuva nos et redime nos propter nomen tuum