< ज़बूर 43 >

1 ऐ ख़ुदा, मेरा इन्साफ़ कर और बेदीन क़ौम के मुक़ाबले में मेरी वकालत कर, और दग़ाबाज़ और बेइन्साफ़ आदमी से मुझे छुड़ा।
Съди ме, Боже, и защити делото ми против нечестив народ? Избави ме от измамлив и несправедлив човек.
2 क्यूँकि तू ही मेरी ताक़त का ख़ुदा है, तूने क्यूँ मुझे छोड़ दिया? मैं दुश्मन के ज़ुल्म की वजह से क्यूँ मातम करता फिरता हूँ?
Понеже Ти си Бог на силата ми, защо си ме отхвърлил? Защо ходя нажален поради притеснението от неприятеля?
3 अपने नूर, अपनी सच्चाई को भेज, वही मेरी रहबरी करें, वही मुझ को तेरे पाक पहाड़ और तेरे घर तक पहुँचाए।
Изпрати светлината Си и истината Си; те нека ме водят. Да ме заведат в Твоя свят хълм и в обиталищата Ти.
4 तब मैं ख़ुदा के मज़बह के पास जाऊँगा, ख़ुदा के सामने जो मेरी कमाल ख़ुशी है; ऐ ख़ुदा! मेरे ख़ुदा! मैं सितार बजा कर तेरी सिताइश करूँगा।
Тогава ще вляза в Божия олтар, При Бога моята превъзходна радост; И с Арфа ще славословя Тебе, о Боже, Боже мой,
5 ऐ मेरी जान! तू क्यूँ गिरी जाती है? तू अन्दर ही अन्दर क्यूँ बेचैन है? ख़ुदा से उम्मीद रख, क्यूँकि वह मेरे चेहरे की रौनक़ और मेरा ख़ुदा है; मैं फिर उसकी सिताइश करूँगा।
Защо си отпаднала, душо моя? И защо се смущаваш дълбоко в мене? Надявай се на Бога, защото аз още ще Го славословя; Той е помощ на лицето ми и Бог мой.

< ज़बूर 43 >