< ज़बूर 41 >

1 मुबारक, है वह जो ग़रीब का ख़याल रखता है ख़ुदावन्द मुसीबत के दिन उसे छुड़ाएगा।
Bem-aventurado é aquele que atende ao pobre; o Senhor o livrará no dia do mal.
2 ख़ुदावन्द उसे महफू़ज़ और ज़िन्दा रख्खेगा, और वह ज़मीन पर मुबारक होगा। तू उसे उसके दुश्मनों की मर्ज़ी पर न छोड़।
O Senhor o livrará, e o conservará em vida; será abençoado na terra, e tu não o entregarás à vontade de seus inimigos.
3 ख़ुदावन्द उसे बीमारी के बिस्तर पर संभालेगा; तू उसकी बीमारी में उसके पूरे बिस्तर को ठीक करता है।
O Senhor o sustentará no leito da enfermidade; tu farás toda a sua cama na doença.
4 मैंने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, मुझ पर रहम कर! मेरी जान को शिफ़ा दे, क्यूँकि मैं तेरा गुनहगार हूँ।”
Dizia eu: Senhor, tem piedade de mim; sara a minha alma, porque pequei contra ti.
5 मेरे दुश्मन यह कहकर मेरी बुराई करते हैं, कि वह कब मरेगा और उसका नाम कब मिटेगा?
Os meus inimigos falam mal de mim, dizendo: Quando morrerá ele, e perecerá o seu nome?
6 जब वह मुझ से मिलने को आता है, तो झूटी बातें बकता है; उसका दिल अपने अन्दर बदी समेटता है; वह बाहर जाकर उसी का ज़िक्र करता है।
E, se algum deles vem ver-me, fala coisas vãs; no seu coração amontoa a maldade; saindo para fora, fala dela.
7 मुझ से 'अदावत रखने वाले सब मिलकर मेरी ग़ीबत करते हैं; वह मेरे ख़िलाफ़ मेरे नुक़सान के मन्सूबे बाँधते हैं।
Todos os que me aborrecem murmuram à uma contra mim; contra mim imaginam o mal, dizendo:
8 वह कहते हैं, “इसे तो बुरा रोग लग गया है; अब जो वह पड़ा है तो फिर उठने का नहीं।”
Uma má doença se lhe tem apegado; e, agora que está deitado, não se levantará mais
9 बल्कि मेरे दिली दोस्त ने जिस पर मुझे भरोसा था, और जो मेरी रोटी खाता था, मुझ पर लात उठाई है।
Até o meu próprio amigo intimo, em quem eu tanto confiava, que comia do meu pão, levantou contra mim o seu calcanhar.
10 लेकिन तू ऐ ख़ुदावन्द! मुझ पर रहम करके मुझे उठा खड़ा कर, ताकि मैं उनको बदला दूँ।
Porém tu, Senhor, tem piedade de mim, e levanta-me, para que eu lhes dê o pago.
11 इससे मैं जान गया कि तू मुझ से ख़ुश है, कि मेरा दुश्मन मुझ पर फ़तह नहीं पाता।
Por isto conheço eu que tu me favoreces: que o meu inimigo não triunfa de mim.
12 मुझे तो तू ही मेरी रास्ती में क़याम बख्शता है और मुझे हमेशा अपने सामने क़ाईम रखता है।
Enquanto a mim, tu me sustentas na minha sinceridade, e me puseste diante da tua face para sempre.
13 ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा, इब्तिदा से हमेशा तक मुबारक हो! आमीन, सुम्म आमीन।
Bendito seja o Senhor Deus de Israel, de século em século: amém e amém.

< ज़बूर 41 >