< ज़बूर 41 >
1 मुबारक, है वह जो ग़रीब का ख़याल रखता है ख़ुदावन्द मुसीबत के दिन उसे छुड़ाएगा।
In finem. Psalmus ipsi David. [Beatus qui intelligit super egenum et pauperem: in die mala liberabit eum Dominus.
2 ख़ुदावन्द उसे महफू़ज़ और ज़िन्दा रख्खेगा, और वह ज़मीन पर मुबारक होगा। तू उसे उसके दुश्मनों की मर्ज़ी पर न छोड़।
Dominus conservet eum, et vivificet eum, et beatum faciat eum in terra, et non tradat eum in animam inimicorum ejus.
3 ख़ुदावन्द उसे बीमारी के बिस्तर पर संभालेगा; तू उसकी बीमारी में उसके पूरे बिस्तर को ठीक करता है।
Dominus opem ferat illi super lectum doloris ejus; universum stratum ejus versasti in infirmitate ejus.
4 मैंने कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, मुझ पर रहम कर! मेरी जान को शिफ़ा दे, क्यूँकि मैं तेरा गुनहगार हूँ।”
Ego dixi: Domine, miserere mei; sana animam meam, quia peccavi tibi.
5 मेरे दुश्मन यह कहकर मेरी बुराई करते हैं, कि वह कब मरेगा और उसका नाम कब मिटेगा?
Inimici mei dixerunt mala mihi: Quando morietur, et peribit nomen ejus?
6 जब वह मुझ से मिलने को आता है, तो झूटी बातें बकता है; उसका दिल अपने अन्दर बदी समेटता है; वह बाहर जाकर उसी का ज़िक्र करता है।
Et si ingrediebatur ut videret, vana loquebatur; cor ejus congregavit iniquitatem sibi. Egrediebatur foras et loquebatur.
7 मुझ से 'अदावत रखने वाले सब मिलकर मेरी ग़ीबत करते हैं; वह मेरे ख़िलाफ़ मेरे नुक़सान के मन्सूबे बाँधते हैं।
In idipsum adversum me susurrabant omnes inimici mei; adversum me cogitabant mala mihi.
8 वह कहते हैं, “इसे तो बुरा रोग लग गया है; अब जो वह पड़ा है तो फिर उठने का नहीं।”
Verbum iniquum constituerunt adversum me: Numquid qui dormit non adjiciet ut resurgat?
9 बल्कि मेरे दिली दोस्त ने जिस पर मुझे भरोसा था, और जो मेरी रोटी खाता था, मुझ पर लात उठाई है।
Etenim homo pacis meæ in quo speravi, qui edebat panes meos, magnificavit super me supplantationem.
10 लेकिन तू ऐ ख़ुदावन्द! मुझ पर रहम करके मुझे उठा खड़ा कर, ताकि मैं उनको बदला दूँ।
Tu autem, Domine, miserere mei, et resuscita me; et retribuam eis.
11 इससे मैं जान गया कि तू मुझ से ख़ुश है, कि मेरा दुश्मन मुझ पर फ़तह नहीं पाता।
In hoc cognovi quoniam voluisti me, quoniam non gaudebit inimicus meus super me.
12 मुझे तो तू ही मेरी रास्ती में क़याम बख्शता है और मुझे हमेशा अपने सामने क़ाईम रखता है।
Me autem propter innocentiam suscepisti; et confirmasti me in conspectu tuo in æternum.
13 ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा, इब्तिदा से हमेशा तक मुबारक हो! आमीन, सुम्म आमीन।
Benedictus Dominus Deus Israël a sæculo et usque in sæculum. Fiat, fiat.]