< ज़बूर 4 >

1 जब मै पुकारूँ तो मुझे जबाब दे ऐ मेरी सदाक़त के ख़ुदा! तंगी में तूने मुझे कुशादगी बख़्शी, मुझ पर रहम कर और मेरी दुआ सुन ले।
詩歌,交與樂官,和以絃樂。 我公義的天主!我一呼求你,你就應允了我,我在困苦中,你曾舒暢了我。求你憐憫我,求你俯聽我禱。
2 ऐ बनी आदम! कब तक मेरी 'इज़्ज़त के बदले रुस्वाई होगी? तुम कब तक बकवास से मुहब्बत रखोगे और झूट के दर पे रहोगे?
顯貴的人們,你們的心要硬到幾時?你們愛慕虛幻,追求虛偽究竟為何?
3 जान लो कि ख़ुदावन्द ने दीनदार को अपने लिए अलग कर रखा है; जब मैं ख़ुदावन्द को पुकारूँगा तो वह सुन लेगा।
你們當知:上主特愛對祂虔敬的人,當我呼求上主的時候,祂一定俯允。
4 थरथराओ और गुनाह न करो; अपने अपने बिस्तर पर दिल में सोचो और ख़ामोश रहो।
你們應戰慄,不可一再作惡,在床上檢討,且要捫心思過。
5 सदाक़त की कु़र्बानियाँ पेश करो, और ख़ुदावन्द पर भरोसा करो।
奉上正義的祭獻,對上主全心依盼。
6 बहुत से कहते हैं कौन हम को कुछ भलाई दिखाएगा? ऐ ख़ुदावन्द तू अपने चेहरे का नूर हम पर जलवह गर फ़रमा।
有許多人說:誰能使我們幸福亨通?上主,望你向我們顯你光榮的儀容。
7 तूने मेरे दिल को उससे ज़्यादा खु़शी बख़्शी है, जो उनको ग़ल्ले और मय की बहुतायत से होती थी।
你賜給我心中的歡耀,遠勝過麥和酒的豐饒。
8 मैं सलामती से लेट जाऊँगा और सो रहूँगाः क्यूँकि ऐ ख़ुदावन्द! सिर्फ़ तू ही मुझे मुत्मईन रखता है!
在平安中我一躺下即刻入睡,上主,唯有有你能使我安居順遂。

< ज़बूर 4 >