< ज़बूर 38 >

1 ऐ ख़ुदावन्द, अपने क़हर में मुझे झिड़क न दे, और अपने ग़ज़ब में मुझे तम्बीह न कर।
Yahweh, when you are angry [with me], do not rebuke/scold me and punish me!
2 क्यूँकि तेरे दुख मुझ में लगे हैं, और तेरा हाथ मुझ पर भारी है।
[Now it is as though] you have shot your arrows at me and wounded me; you have struck me and knocked me down.
3 तेरे क़हर की वजह से मेरे जिस्म में सिहत नहीं; और मेरे गुनाह की वजह से मेरी हड्डियों को आराम नहीं।
Because you have been angry with me, I am suffering great pain. Because of my sin, my whole body is diseased.
4 क्यूँकि मेरी बदी मेरे सिर से गुज़र गई, और वह बड़े बोझ की तरह मेरे लिए बहुत भारी है।
All my sins are [like a flood] that covers my head; they are like a load that is very heavy, with the result that I cannot carry it.
5 मेरी बेवक़ूफ़ी की वजह से, मेरे ज़ख़्मों से बदबू आती है, वह सड़ गए हैं।
Because I have done foolish things, I have sores that have become worse, and they stink.
6 मैं पुरदर्द और बहुत झुका हुआ हूँ; मैं दिन भर मातम करता फिरता हूँ।
[Sometimes] I am bent over, and [sometimes] I lie prostrate; I am sad/cry all day.
7 क्यूँकि मेरी कमर में दर्द ही दर्द है, और मेरे जिस्म में कुछ सिहत नहीं।
My body is burning with fever, and I am very ill.
8 मैं कमज़ोर और बहुत कुचला हुआ हूँ और दिल की बेचैनी की वजह से कराहता रहा।
I am completely exhausted, and I have no strength. I am very distressed, and I groan with pain.
9 ऐ ख़ुदावन्द, मेरी सारी तमन्ना तेरे सामने है, और मेरा कराहना तुझ से छिपा नहीं।
Yahweh, you know that I desire [to be healed]; you hear me while I am groaning.
10 मेरा दिल धड़कता है, मेरी ताक़त घटी जाती है; मेरी आँखों की रोशनी भी मुझ से जाती रही।
My heat is pounding heavily, and all my strength is gone. I am no longer able to see well.
11 मेरे 'अज़ीज़ और दोस्त मेरी बला में अलग हो गए, और मेरे रिश्तेदार दूर जा खड़े हुए।
My friends and neighbors stay away from me because of my sores; even my own family stays away from me.
12 मेरी जान के तलबगार मेरे लिए जाल बिछाते हैं, और मेरे नुक़सान के तालिब शरारत की बातें बोलते, और दिन भर मक्र — ओ — फ़रेब के मन्सूबे बाँधते हैं।
And those who want to kill me set traps to catch me; those who want to harm me discuss ways to get rid of me; they plot against me all day.
13 लेकिन मैं बहरे की तरह सुनता ही नहीं, मैं गूँगे की तरह मुँह नहीं खोलता।
Now I act like I’m deaf, and do not listen [to what they say]. I act like I cannot talk, so I say nothing [to reply to them].
14 बल्कि मैं उस आदमी की तरह हूँ जिसे सुनाई नहीं देता, और जिसके मुँह में मलामत की बातें नहीं।
I act like a man who does not answer [when people talk to him], because he cannot hear anything.
15 क्यूँकि ऐ ख़ुदावन्द, मुझे तुझ से उम्मीद है, ऐ ख़ुदावन्द, मेरे ख़ुदा! तू जवाब देगा।
But Yahweh, I trust in you. My Lord God, you will answer me.
16 क्यूँकि मैंने कहा, कि कहीं वह मुझ पर ख़ुशी न मनाएँ, जब मेरा पाँव फिसलता है, तो वह मेरे ख़िलाफ़ तकब्बुर करते हैं।
I said to you, “Do not cause [me to die, with the result that] my enemies will rejoice! Do not cause me to stumble, with the result that they will be very happy!”
17 क्यूँकि मैं गिरने ही को हूँ, और मेरा ग़म बराबर मेरे सामने है।
I say that because I am about to fall down, and I constantly have pain.
18 इसलिए कि मैं अपनी बदी को ज़ाहिर करूँगा, और अपने गुनाह की वजह से ग़मगीन रहूँगा।
I confess the wrong things that I have done; I am [very] sorry for the sins that I have committed.
19 लेकिन मेरे दुश्मन चुस्त और ज़बरदस्त हैं, और मुझ से नाहक 'अदावत रखने वाले बहुत हो गए हैं।
My enemies are healthy and strong; there are many people who hate me for no reason.
20 जो नेकी के बदले बदी करते हैं, वह भी मेरे मुख़ालिफ़ हैं; क्यूँकि मैं नेकी की पैरवी करता हूँ।
Those who do evil things to me in return for my doing good things to them oppose me because I try to do what is right.
21 ऐ ख़ुदावन्द, मुझे छोड़ न दे! ऐ मेरे ख़ुदा, मुझ से दूर न हो!
Yahweh, do not abandon me! My God, do not stay far from me!
22 ऐ ख़ुदावन्द! ऐ मेरी नजात! मेरी मदद के लिए जल्दी कर!
Lord, you are the one who saves/rescues me; Quickly [come and] help me!

< ज़बूर 38 >