< ज़बूर 35 >

1 ऐ ख़ुदावन्द, जो मुझ से झगड़ते हैं तू उनसे झगड़; जो मुझ से लड़ते हैं तू उनसे लड़।
Pleitea, o! Jehová, con mis pleiteantes; pelea con mis peleadores.
2 ढाल और सिपर लेकर मेरी मदद के लिए खड़ा हो।
Echa mano al escudo y al pavés, y levántate en mi socorro.
3 भाला भी निकाल और मेरा पीछा करने वालों का रास्ता बंद कर दे; मेरी जान से कह, मैं तेरी नजात हूँ।
Y saca la lanza, y cierra contra mis perseguidores; di a mi alma: Yo soy tu salud.
4 जो मेरी जान के तलबगार हैं, वह शर्मिन्दा और रुस्वा हों। जो मेरे नुक़्सान का मन्सूबा बाँधते हैं, वह पसपा और परेशान हों।
Y avergüéncense, y confúndanse los que buscan mi alma; vuelvan atrás, y sean avergonzados los que piensan mi mal.
5 वह ऐसे हो जाएँ जैसे हवा के आगे भूसा, और ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता उनको हाँकता रहे।
Sean como el tamo delante del viento: y el ángel de Jehová el que rempuje.
6 उनकी राह अँधेरी और फिसलनी हो जाए, और ख़ुदावन्द का फ़रिश्ता उनको दौड़ाता जाए।
Sea su camino oscuridad y resbaladeros: y el ángel de Jehová el que los persiga.
7 क्यूँकि उन्होंने बे वजह मेरे लिए गढ़े में जाल बिछाया, और नाहक़ मेरी जान के लिए गढ़ा खोदा है।
Porque sin causa escondieron para mí el hoyo de su red: sin causa hicieron hoyo a mi alma.
8 उस पर अचानक तबाही आ पड़े! और जिस जाल को उसने बिछाया है उसमें आप ही फसे; और उसी हलाकत में गिरफ़्तार हो।
Véngale el quebrantamiento que no sepa: y su red que escondió, le prenda: con quebrantamiento caiga en ella.
9 लेकिन मेरी जान ख़ुदावन्द में खु़श रहेगी, और उसकी नजात से शादमान होगी।
Y regocíjese mi alma en Jehová: y alégrese en su salud.
10 मेरी सब हड्डियाँ कहेंगी, “ऐ ख़ुदावन्द तुझ सा कौन है, जो ग़रीब को उसके हाथ से जो उससे ताक़तवर है, और ग़रीब — ओ — मोहताज को ग़ारतगर से छुड़ाता है?”
Todos mis huesos dirán, Jehová, ¿quién como tú? Que escapas al afligido del más fuerte que él: y al pobre y menesteroso del que le roba.
11 झूटे गवाह उठते हैं; और जो बातें मैं नहीं जानता, वह मुझ से पूछते हैं।
Levantáronse testigos falsos: lo que no sabía, me demandaron.
12 वह मुझ से नेकी के बदले बदी करते हैं, यहाँ तक कि मेरी जान बेकस हो जाती है।
Volviéronme mal por bien, orfandad a mi alma.
13 लेकिन मैंने तो उनकी बीमारी में जब वह बीमार थे, टाट ओढ़ा और रोज़े रख कर अपनी जान को दुख दिया; और मेरी दुआ मेरे ही सीने में वापस आई।
Y yo, cuando ellos enfermaron, me vestí de saco: afligí con ayuno a mi alma, y mi oración se revolvía en mi seno.
14 मैंने तो ऐसा किया जैसे वह मेरा दोस्त या मेरा भाई था; मैंने सिर झुका कर ग़म किया जैसे कोई अपनी माँ के लिए मातम करता हो।
Como por mi compañero, como por mi hermano andaba; como el que trae luto por su madre, enlutado me humillaba.
15 लेकिन जब मैं लंगड़ाने लगा तो वह ख़ुश होकर इकट्ठे हो गए, कमीने मेरे ख़िलाफ़ इकट्ठा हुए और मुझे मा'लूम न था; उन्होंने मुझे फाड़ा और बाज़ न आए।
Y en mi cojera se alegraron, y se juntaron: juntáronse sobre mí entristecidos, y yo no lo entendía: me despedazaban, y no cesaban;
16 ज़ियाफ़तों के बदतमीज़ मसखरों की तरह, उन्होंने मुझ पर दाँत पीसे।
Con los lisonjeros escarnecedores de escarnio crujiendo sobre mí sus dientes.
17 ऐ ख़ुदावन्द, तू कब तक देखता रहेगा? मेरी जान को उनकी ग़ारतगरी से, मेरी जान को शेरों से छुड़ा।
Señor, ¿hasta cuándo verás? Haz volver mi alma de sus quebrantamientos, mi única de los leones.
18 मैं बड़े मजमे' में तेरी शुक्रगुज़ारी करूँगा मैं बहुत से लोगों में तेरी सिताइश करूँगा।
Confesarte he en grande congregación: en pueblo fuerte te alabaré.
19 जो नाहक़ मेरे दुश्मन हैं, मुझ पर ख़ुशी न मनाएँ; और जो मुझ से बे वजह 'अदावत रखते हैं, चश्मक ज़नी न करें।
No se alegren de mí mis enemigos sin porqué: ni los que me aborrecen sin causa, hagan del ojo.
20 क्यूँकि वह सलामती की बातें नहीं करते, बल्कि मुल्क के अमन पसंद लोगों के ख़िलाफ़, मक्र के मन्सूबे बाँधते हैं।
Porque no hablan paz: y contra los mansos de la tierra piensan palabras engañosas.
21 यहाँ तक कि उन्होंने ख़ूब मुँह फाड़ा और कहा, “अहा! अहा! हम ने अपनी आँख से देख लिया है!”
Y ensancharon sobre mí su boca; dijeron: Hola, hola, nuestros ojos lo han visto.
22 ऐ ख़ुदावन्द, तूने ख़ुद यह देखा है; ख़ामोश न रह! ऐ ख़ुदावन्द, मुझ से दूर न रह!
Visto has, o! Jehová, no calles: Señor, no te alejes de mí.
23 उठ, मेरे इन्साफ़ के लिए जाग, और मेरे मु'आमिले के लिए, ऐ मेरे ख़ुदा! ऐ मेरे ख़ुदावन्द!
Recuerda, y despierta para mi juicio, Dios mío, y Señor mío, para mi causa.
24 अपनी सदाक़त के मुताबिक़ मेरी'अदालत कर, ऐ ख़ुदावन्द, मेरे ख़ुदा! और उनको मुझ पर ख़ुशी न मनाने दे।
Júzgame conforme a tu justicia, Jehová, Dios mío, y no se alegren de mí.
25 वह अपने दिल में यह न कहने पाएँ, “अहा! हम तो यही चाहते थे!” वह यह न कहें, कि हम उसे निगल गए।
No digan en su corazón: Hola, nuestra alma. No digan: Deshecho le hemos.
26 जो मेरे नुक़सान से ख़ुश होते हैं, वह आपस में शर्मिन्दा और परेशान हों! जो मेरे मुक़ाबले में तकब्बुर करते हैं वह शर्मिन्दगी और रुस्वाई से मुलब्बस हों।
Avergüéncense, y sean confundidos a una, los que se alegran de mi mal: vístanse de vergüenza y de confusión, los que se engrandecen contra mí.
27 जो मेरे सच्चे मु'आमिले की ताईद करते हैं, वह ख़ुशी से ललकारें और ख़ुशहों; वह हमेशा यह कहें, ख़ुदावन्द की तम्जीद हो, जिसकी ख़ुशनूदी अपने बन्दे की इक़बालमन्दी में है!
Canten, y alégrense los que se huelgan de mi justicia; y digan siempre: Sea ensalzado Jehová, el que ama la paz de su siervo.
28 तब मेरी ज़बान से तेरी सदाकत का ज़िक्र होगा, और दिन भर तेरी ता'रीफ़ होगी।
Y mi lengua hablará de tu justicia; todo el día de tu loor.

< ज़बूर 35 >