< ज़बूर 31 >

1 ऐ ख़ुदावन्द! मेरा भरोसा तुझ पर, मुझे कभी शर्मिन्दा न होने दे; अपनी सदाक़त की ख़ातिर मुझे रिहाई दे।
U tebe se, Gospode, uzdam; nemoj me ostaviti pod sramotom dovijeka, po pravdi svojoj izbavi me.
2 अपना कान मेरी तरफ़ झुका, जल्द मुझे छुड़ा! तू मेरे लिए मज़बूत चट्टान, मेरे बचाने को पनाहगाह हो!
Prigni k meni uho svoje, pohitaj, pomozi mi. Budi mi kameni grad, tvrda ograda, gdje bih se spasao.
3 क्यूँकि तू ही मेरी चट्टान और मेरा किला है; इसलिए अपने नाम की ख़ातिर मेरी राहबरीऔर रहनुमाई कर।
Jer si ti kamena gora moja i ograda moja, imena svojega radi vodi me i upravljaj mnom.
4 मुझे उस जाल से निकाल ले जो उन्होंने छिपकर मेरे लिए बिछाया है, क्यूँकि तू ही मेरा मज़बूत क़िला' है।
Izvadi me iz mreže, koju mi tajno zamjestiše; jer si ti krjepost moja.
5 मैं अपनी रूह तेरे हाथ में सौंपता हूँ: ऐ ख़ुदावन्द! सच्चाई के ख़ुदा; तूने मेरा फ़िदिया दिया है।
U tvoju ruku predajem duh svoj; izbavljao si me, Gospode, Bože istini!
6 मुझे उनसे नफ़रत है जो झूटे मा'बूदों को मानते हैं: मेरा भरोसा तो ख़ुदावन्द ही पर है।
Nenavidim one koji poštuju propadljive idole; ja se u Gospoda uzdam.
7 मैं तेरी रहमत से ख़ुश — ओ — ख़ुर्रम रहूँगा, क्यूँकि तूने मेरा दुख: देख लिया है; तू मेरी जान की मुसीबतों से वाक़िफ़ है।
Radovaæu se i veseliti se o milosti tvojoj, kad pogledaš na moju muku, poznaš tugu duše moje,
8 तूने मुझे दुश्मन के हाथ में क़ैद नहीं छोड़ा; तूने मेरे पाँव कुशादा जगह में रख्खे हैं।
Ne daš me u ruku neprijatelju, postaviš noge moje na prostranom mjestu.
9 ऐ ख़ुदावन्द, मुझ पर रहम कर क्यूँकि मैं मुसीबत में हूँ। मेरी आँख बल्कि मेरी जान और मेरा जिस्म सब रंज के मारे घुले जाते हैं।
Smiluj se na me, Gospode; jer me je tuga, od jada iznemože oko moje, duša moja i srce moje.
10 क्यूँकि मेरी जान ग़म में और मेरी उम्र कराहने में फ़ना हुई; मेरा ज़ोर मेरी बदकारी के वजह से जाता रहा, और मेरी हड्डियाँ घुल गई।
Išèilje u žalosti život moj, i godine moje u uzdisanju; oslabi od muke krjepost moja, i kosti moje sasahnuše.
11 मैं अपने सब मुख़ालिफ़ों की वजह से अपने पड़ोसियों के लिए, अज़ बस अन्गुश्तनुमा और अपने जान पहचानों के लिए ख़ौफ़ का ज़रिया' हूँ जिन्होंने मुझको बाहर देखा, मुझ से दूर भागे।
Od množine neprijatelja svojih postadoh potsmijeh i susjedima svojim, i strašilo znancima svojim; koji me vide na ulici, bježe od mene.
12 मैं मुर्दे की तरह भुला दिया गया हूँ; मैं टूटे बर्तन की तरह हूँ।
Zaboravljen sam kao mrtav, nema me u srcima; ja sam kao razbijen sud.
13 क्यूँकि मैंने बहुतों से अपनी बदनामी सुनी है, हर तरफ़ ख़ौफ़ ही ख़ौफ़ है। जब उन्होंने मिलकर मेरे ख़िलाफ़ मश्वरा किया, तो मेरी जान लेने का मन्सूबा बाँधा।
Jer slušam grdnju od mnogih, otsvuda strah, kad se dogovaraju na me, misle išèupati dušu moju.
14 लेकिन ऐ ख़ुदावन्द, मेरा भरोसा तुझ पर है। मैंने कहा, “तू मेरा ख़ुदा है।”
A ja se, Gospode, u tebe uzdam i velim: ti si Bog moj.
15 मेरे दिन तेरे हाथ में हैं; मुझे मेरे दुश्मनों और सताने वालों के हाथ से छुड़ा।
U tvojoj su ruci dani moji; otmi me iz ruku neprijatelja mojijeh, i od onijeh, koji me gone.
16 अपने चेहरे को अपने बन्दे पर जलवागर फ़रमा; अपनी शफ़क़त से मुझे बचा ले।
Pokaži svijetlo lice svoje sluzi svojemu; spasi me milošæu svojom.
17 ऐ ख़ुदावन्द, मुझे शर्मिन्दा न होने दे क्यूँकि मैंने तुझ से दुआ की है; शरीर शर्मिन्दा हो जाएँ और पाताल में ख़ामोश हों। (Sheol h7585)
Gospode! nemoj me ostaviti pod sramotom; jer tebe prizivljem. Nek se posrame bezbožnici, neka zamuknu i padnu u pakao. (Sheol h7585)
18 झूटे होंट बन्द हो जाएँ, जो सादिकों के ख़िलाफ़ ग़ुरूर और हिक़ारत से तकब्बुर की बातें बोलते हैं।
Neka onijeme usta lažljiva, koja govore na pravednika obijesno, oholo i s porugom.
19 आह! तूने अपने डरने वालों के लिए कैसी बड़ी ने'मत रख छोड़ी है: जिसे तूने बनी आदम के सामने अपने, भरोसा करने वालों के लिए तैयार किया।
Kako je mnogo u tebe dobra, koje èuvaš za one koji te se boje, i koje daješ onima koji se u te uzdaju pred sinovima èovjeèijim!
20 तू उनको इंसान की बन्दिशों से अपनी हुज़ूरी के पर्दे में छिपाएगा; तू उनको ज़बान के झगड़ों से शामियाने में पोशीदा रख्खेगा।
Sakrivaš ih pod krov lica svojega od buna ljudskih; sklanjaš ih pod sjen od svadljivijeh jezika.
21 ख़ुदावन्द मुबारक हो! क्यूँकि उसने मुझ को मज़बूत शहर में अपनी 'अजीब शफ़क़त दिखाई।
Da je blagosloven Gospod, što mi pokaza divnu milost kao da me uvede u tvrd grad!
22 मैंने तो जल्दबाज़ी से कहा था, कि मैं तेरे सामने से काट डाला गया। तोभी जब मैंने तुझ से फ़रियाद की तो तूने मेरी मिन्नत की आवाज़ सुन ली।
Ja rekoh u smetnji svojoj: odbaèen sam od oèiju tvojijeh; ali ti èu molitveni glas moj, kad te prizvah.
23 ख़ुदावन्द से मुहब्बत रखो, ऐ उसके सब पाक लोगों! ख़ुदावन्द ईमानदारों को सलामत रखता है; और मग़रूरों को ख़ूब ही बदला देता है
Ljubite Gospoda svi sveti njegovi; Gospod drži vjeru; i uvršeno vraæa onima koji postupaju oholo.
24 ऐ ख़ुदावन्द पर उम्मीद रखने वालो! सब मज़बूत हो और तुम्हारा दिल क़वी रहे।
Budite slobodni, i neka bude jako srce vaše, svi koji se u Gospoda uzdate.

< ज़बूर 31 >