< ज़बूर 31 >
1 ऐ ख़ुदावन्द! मेरा भरोसा तुझ पर, मुझे कभी शर्मिन्दा न होने दे; अपनी सदाक़त की ख़ातिर मुझे रिहाई दे।
達味詩歌,交與樂官。 上主,我投靠你,總不會受辱,求你憑你的公義將我救出;
2 अपना कान मेरी तरफ़ झुका, जल्द मुझे छुड़ा! तू मेरे लिए मज़बूत चट्टान, मेरे बचाने को पनाहगाह हो!
求你側你的耳聽我,速來救我:作我避難的磐石,獲救的城堡。
3 क्यूँकि तू ही मेरी चट्टान और मेरा किला है; इसलिए अपने नाम की ख़ातिर मेरी राहबरीऔर रहनुमाई कर।
因為因為你是我的磐石,我的城堡,為你的名,求你引導我指教我。
4 मुझे उस जाल से निकाल ले जो उन्होंने छिपकर मेरे लिए बिछाया है, क्यूँकि तू ही मेरा मज़बूत क़िला' है।
求你救我脫免暗布的網羅,因為唯有你是我的避難所。
5 मैं अपनी रूह तेरे हाथ में सौंपता हूँ: ऐ ख़ुदावन्द! सच्चाई के ख़ुदा; तूने मेरा फ़िदिया दिया है।
我將我的靈魂託於你的掌握,上主,忠實的天主,你必拯救我。
6 मुझे उनसे नफ़रत है जो झूटे मा'बूदों को मानते हैं: मेरा भरोसा तो ख़ुदावन्द ही पर है।
拜虛無偶像的人,你深惡痛絕。上主,然而我卻對你全心信賴。
7 मैं तेरी रहमत से ख़ुश — ओ — ख़ुर्रम रहूँगा, क्यूँकि तूने मेरा दुख: देख लिया है; तू मेरी जान की मुसीबतों से वाक़िफ़ है।
我要因你的慈愛喜樂歡暢,因為你曾俯視我的慘狀,體會我心靈所受的悲傷;
8 तूने मुझे दुश्मन के हाथ में क़ैद नहीं छोड़ा; तूने मेरे पाँव कुशादा जगह में रख्खे हैं।
你沒有將我交於敵之手,反而使我穩立於廣闊之處。
9 ऐ ख़ुदावन्द, मुझ पर रहम कर क्यूँकि मैं मुसीबत में हूँ। मेरी आँख बल्कि मेरी जान और मेरा जिस्म सब रंज के मारे घुले जाते हैं।
上主,求你可憐我,因為我陷入困苦,我的眼、心靈和肺腑,全因憂傷而頹喪。
10 क्यूँकि मेरी जान ग़म में और मेरी उम्र कराहने में फ़ना हुई; मेरा ज़ोर मेरी बदकारी के वजह से जाता रहा, और मेरी हड्डियाँ घुल गई।
我的生命因憂傷而耗盡,我的歲月在哭泣中消逝,我的精力因悲傷衰退,我的骸骨也已枯槁腐蝕。
11 मैं अपने सब मुख़ालिफ़ों की वजह से अपने पड़ोसियों के लिए, अज़ बस अन्गुश्तनुमा और अपने जान पहचानों के लिए ख़ौफ़ का ज़रिया' हूँ जिन्होंने मुझको बाहर देखा, मुझ से दूर भागे।
我的仇敵都辱罵我,我的四鄰都恥笑我,我的知己憎恨我,路上的行人都遠避我。
12 मैं मुर्दे की तरह भुला दिया गया हूँ; मैं टूटे बर्तन की तरह हूँ।
我被人全心忘掉,有如死人,活像一個破舊拋棄的瓦盆。
13 क्यूँकि मैंने बहुतों से अपनी बदनामी सुनी है, हर तरफ़ ख़ौफ़ ही ख़ौफ़ है। जब उन्होंने मिलकर मेरे ख़िलाफ़ मश्वरा किया, तो मेरी जान लेने का मन्सूबा बाँधा।
當我聽到許多人在嘯,恐怖瀰漫四境,他們在群集商議攻擊我,謀奪我的性命;
14 लेकिन ऐ ख़ुदावन्द, मेरा भरोसा तुझ पर है। मैंने कहा, “तू मेरा ख़ुदा है।”
我仍舊依靠你,上主,我說:你是我的天主!
15 मेरे दिन तेरे हाथ में हैं; मुझे मेरे दुश्मनों और सताने वालों के हाथ से छुड़ा।
我的命運全掌握於你手,求你救我脫離我的敵手,擺脫一切迫害我的仇讎。
16 अपने चेहरे को अपने बन्दे पर जलवागर फ़रमा; अपनी शफ़क़त से मुझे बचा ले।
求以你的慈容,光照你僕,求以你的仁慈把我救出。
17 ऐ ख़ुदावन्द, मुझे शर्मिन्दा न होने दे क्यूँकि मैंने तुझ से दुआ की है; शरीर शर्मिन्दा हो जाएँ और पाताल में ख़ामोश हों। (Sheol )
上主,因為我呼號了你,求你莫讓我蒙羞;願惡人備受恥辱,默默然歸入陰府! (Sheol )
18 झूटे होंट बन्द हो जाएँ, जो सादिकों के ख़िलाफ़ ग़ुरूर और हिक़ारत से तकब्बुर की बातें बोलते हैं।
願那些驕傲自大,口出妄言,說謊攻擊義人的唇舌啞瘖!
19 आह! तूने अपने डरने वालों के लिए कैसी बड़ी ने'मत रख छोड़ी है: जिसे तूने बनी आदम के सामने अपने, भरोसा करने वालों के लिए तैयार किया।
上主,你為敬愛你的人所保留的恩澤,是何等的豐盛!你在人前施予投奔於你者的慈惠,又是何等寬宏!
20 तू उनको इंसान की बन्दिशों से अपनी हुज़ूरी के पर्दे में छिपाएगा; तू उनको ज़बान के झगड़ों से शामियाने में पोशीदा रख्खेगा।
你將他們掩護在你儀容的影下,免遭世人的重創;又將他們隱藏在你帳幕的裏面,免遭口舌的中傷。
21 ख़ुदावन्द मुबारक हो! क्यूँकि उसने मुझ को मज़बूत शहर में अपनी 'अजीब शफ़क़त दिखाई।
願上主受讚美,因為他在堅固的城內,向我特別顯出祂那奇妙無比的慈愛,
22 मैंने तो जल्दबाज़ी से कहा था, कि मैं तेरे सामने से काट डाला गया। तोभी जब मैंने तुझ से फ़रियाद की तो तूने मेरी मिन्नत की आवाज़ सुन ली।
我雖在惶恐中說:「我已被驅逐離開你前。」但我一呼求你,你即刻俯允我的呼聲哀嘆。
23 ख़ुदावन्द से मुहब्बत रखो, ऐ उसके सब पाक लोगों! ख़ुदावन्द ईमानदारों को सलामत रखता है; और मग़रूरों को ख़ूब ही बदला देता है
眾聖徒!你們應愛慕上主,因祂保祐信徒,但祂對蠻橫的人,必加以嚴厲的報復。
24 ऐ ख़ुदावन्द पर उम्मीद रखने वालो! सब मज़बूत हो और तुम्हारा दिल क़वी रहे।
凡一切信賴上主的人們,請勇敢鼓起你們的心神。