< ज़बूर 22 >

1 ऐ मेरे ख़ुदा! ऐ मेरे ख़ुदा! तूने मुझे क्यूँ छोड़ दिया? तू मेरी मदद और मेरे नाला — ओ — फ़रियाद से क्यूँ दूर रहता है?
¡Dios mío, Dios mío! ¿por qué me has dejado? ¿estás lejos de mi salud, de las palabras de mi gemido?
2 ऐ मेरे ख़ुदा! मै दिन को पुकारता हूँ लेकिन तू जवाब नहीं देता और रात को भी और ख़ामोश नहीं होता।
Dios mío, clamo de día, y no oyes; y de noche, y no hay para mí silencio.
3 लेकिन तू पाक है तू जो इस्राईल के हम्दो — ओ — सना पर तख़्तनशीन है।
Y tú, santo, habitante, alabanzas de Israel.
4 हमारे बाप दादा ने तुझ पर भरोसा किया; उन्होंने भरोसा किया और तूने उसको छुड़ाया।
En ti esperaron nuestros padres: esperaron, y los salvaste.
5 उन्होंने तुझ से फ़रियाद की और रिहाई पाई; उन्होंने तुझ पर भरोसा किया और शर्मिंदा न हुए।
Clamaron a ti, y fueron librados: esperaron en ti, y no se avergonzaron.
6 लेकिन मै तो कीड़ा हूँ, इंसान नहीं; आदमियों में अन्गुश्तनुमा हूँ और लोगों में हक़ीर।
Y yo, gusano, y no varón: vergüenza de hombres y desecho del pueblo.
7 वह सब जो मुझे देखते हैं, मेरा मज़ाक़ उड़ाते हैं; वह मुँह चिड़ाते, वह सर हिलाकर कहते हैं,
Todos los que me ven, escarnecen de mí: echan de los labios, menean la cabeza.
8 “अपने को ख़ुदावन्द के सुपुर्द कर दे वही उसे छुड़ाए, जब कि वह उससे ख़ुश है तो वही उसे छुड़ाए।”
Remíte se a Jehová, líbrele, que le quiere bien.
9 लेकिन तु ही मुझे पेट से बहार लाया; जब मैं छोटा बच्चा ही था, तूने मुझे भरोसा करना सिखाया।
Empero tú eres el que me sacó del vientre: el que me haces esperar desde los pechos de mi madre.
10 मैं पैदाइश ही से तुझ पर छोड़ा गया, मेरी माँ के पेट ही से तू मेरा ख़ुदा है।
Sobre ti estoy echado desde la matriz: desde el vientre de mi madre tú eres mi Dios.
11 मुझ से दूर न रह क्यूँकि मुसीबत क़रीब है, इसलिए कि कोई मददगार नहीं।
No te alejes de mí, porque la angustia está cerca: porque no hay quien ayude.
12 बहुत से साँडों ने मुझे घेर लिया है, बसन के ताक़तवर साँड मुझे घेरे हुए हैं।
Rodeáronme muchos toros: fuertes toros de Basán me cercaron.
13 वह फाड़ने और गरजने वाले बबर की तरह मुझ पर अपना मूंह पसारे हुए हैं।
Abrieron sobre mí su boca, como león que hace presa y que brama.
14 मैं पानी की तरह बह गया मेरी सब हड्डियाँ उखड़ गईं। मेरा दिल मोम की तरह हो गया, वह मेरे सीने में पिघल गया।
Como aguas me escurrí, y descoyuntáronse todos mis huesos: mi corazón fue como cera desliéndose en medio de mis entrañas.
15 मेरी ताक़त ठीकरे की तरह ख़ुश्क हो गई, और मेरी ज़बान मेरे तालू से चिपक गई; और तूने मुझे मौत की ख़ाक में मिला दिया।
Secóse como un tiesto mi vigor, y mi lengua se pegó a mis paladares: y en el polvo de la muerte me has puesto.
16 क्यूँकि कुत्तो ने मुझे घेर लिया है; बदकारो की गिरोह मुझे घेरे हुए है; वह हाथ और मेरे पाँव छेदते हैं।
Porque me rodearon perros: cercáronme cuadrilla de malignos: horadaron mis manos y mis pies.
17 मैं अपनी सब हड्डियाँ गिन सकता हूँ; वह मुझे ताकते और घूरते हैं।
Contaría todos mis huesos: ellos miran, me consideran:
18 वह मेरे कपड़े आपस में बाँटते हैं, और मेरी पोशाक पर पर्ची डालते हैं।
Partieron entre sí mis vestidos: y sobre mi ropa echaron suertes.
19 लेकिन तू ऐ ख़ुदावन्द, दूर न रह! ऐ मेरे चारासाज़, मेरी मदद के लिए जल्दी कर!
Mas tú, Jehová, no te alejes: fortaleza mía, apresúrate para mi socorro.
20 मेरी जान को तलवार से बचा, मेरी जान को कुत्ते के क़ाबू से।
Escapa de la espada mi alma; de poder del perro mi única.
21 मुझे बबर के मुँह से बचा, बल्कि तूने साँडों के सींगों में से मुझे छुड़ाया है।
Sálvame de la boca del león: y de los cuernos de los unicornios óyeme.
22 मैं अपने भाइयों से तेरे नाम का इज़हार करूँगा; जमा'अत में तेरी सिताइश करूँगा।
Contaré tu nombre a mis hermanos: en medio de la congregación te alabaré.
23 ऐ ख़ुदावन्द से डरने वालों, उसकी सिताइश करो! ऐ या'क़ूब की औलाद, सब उसकी तम्जीद करो! और ऐ इस्राईल की नसल, सब उसका डर मानो!
Los que teméis a Jehová, alabádle; toda la simiente de Jacob, glorificádle; y teméd de él toda la simiente de Israel.
24 क्यूँकि उसने न तो मुसीबत ज़दा की मुसीबत को हक़ीर जाना न उससे नफ़रत की, न उससे अपना मुँह छिपाया; बल्कि जब उसने ख़ुदा से फ़रियाद की तो उसने सुन ली।
Porque no menospreció, ni abominó, la aflicción del pobre, ni escondió su rostro de él: y cuando clamó a él, le oyó.
25 बड़े मजमे' में मेरी सना ख़्वानी का जरिया' तू ही है; मैं उस से डरने वालों के सामने अपनी नज़्रे अदा करूँगा।
De ti será mi alabanza en la grande congregación: mis votos pagaré delante de los que le temen.
26 हलीम खाएँगे और सेर होंगे; ख़ुदावन्द के तालिब उसकी सिताइश करेंगे। तुम्हारा दिल हमेशा तक ज़िन्दा रहे।
Comerán los pobres, y hartarse han: alabarán a Jehová los que le buscan: vivirá vuestro corazón para siempre.
27 सारी दुनिया ख़ुदावन्द को याद करेगी और उसकी तरफ़ रूजू' लाएगी; और क़ौमों के सब घराने तेरे सामने सिज्दा करेंगे।
Acordarse han, y volverse han a Jehová todos los términos de la tierra; y humillarse han delante de ti todas las familias de las gentes.
28 क्यूँकि सल्तनत ख़ुदावन्द की है, वही क़ौमों पर हाकिम है।
Porque de Jehová es el reino: y él se enseñoreará de las naciones.
29 दुनिया के सब आसूदा हाल लोग खाएँगे और सिज्दा करेंगे; वह सब जो ख़ाक में मिल जाते हैं उसके सामने झुकेंगे, बल्कि वह भी जो अपनी जान को ज़िन्दा नहीं रख सकता।
Comieron, y adoraron todos los gruesos de la tierra: delante de él se arrodillaron todos los que descienden al polvo: y sus almas no vivificaron.
30 एक नसल उसकी बन्दगी करेगी; दूसरी नसल को ख़ुदावन्द की ख़बर दी जाएगी।
La simiente le servirá: será contada a Jehová perpetuamente.
31 वह आएँगे और उसकी सदाक़त को एक क़ौम पर जो पैदा होगी यह कहकर ज़ाहिर करेंगे कि उसने यह काम किया है।
Vendrán, y anunciarán al pueblo que naciere, su justicia que él hizo.

< ज़बूर 22 >