< ज़बूर 20 >

1 मुसीबत के दिन ख़ुदावन्द तेरी सुने। या'क़ूब के ख़ुदा का नाम तुझे बुलन्दी पर क़ाईम करे!
לַמְנַצֵּ֗חַ מִזְמֹ֥ור לְדָוִֽד׃ יַֽעַנְךָ֣ יְ֭הוָה בְּיֹ֣ום צָרָ֑ה יְ֝שַׂגֶּבְךָ֗ שֵׁ֤ם ׀ אֱלֹהֵ֬י יַעֲקֹֽב׃
2 वह मक़दिस से तेरे लिए मदद भेजे, और सिय्यून से तुझे क़ुव्वत बख़्शे!
יִשְׁלַֽח־עֶזְרְךָ֥ מִקֹּ֑דֶשׁ וּ֝מִצִּיֹּ֗ון יִסְעָדֶֽךָּ׃
3 वह तेरे सब हदियों को याद रख्खे, और तेरी सोख़्तनी क़ुर्बानी को क़ुबूल करे! (सिलाह)
יִזְכֹּ֥ר כָּל־מִנְחֹתֶ֑ךָ וְעֹולָתְךָ֖ יְדַשְּׁנֶ֣ה סֶֽלָה׃
4 वह तेरे दिल की आरज़ू पूरी करे, और तेरी सब मश्वरत पूरी करे!
יִֽתֶּן־לְךָ֥ כִלְבָבֶ֑ךָ וְֽכָל־עֲצָתְךָ֥ יְמַלֵּֽא׃
5 हम तेरी नजात पर ख़ुशी मनाएंगे, और अपने ख़ुदा के नाम पर झंडे खड़े करेंगे। ख़ुदावन्द तेरी तमाम दरख़्वास्तें पूरी करे!
נְרַנְּנָ֤ה ׀ בִּ֘ישׁ֤וּעָתֶ֗ךָ וּבְשֵֽׁם־אֱלֹהֵ֥ינוּ נִדְגֹּ֑ל יְמַלֵּ֥א יְ֝הוָ֗ה כָּל־מִשְׁאֲלֹותֶֽיךָ׃
6 अब मैं जान गया कि ख़ुदावन्द अपने मम्सूह को बचा लेता है; वह अपने दहने हाथ की नजात बख़्श ताक़त से अपने पाक आसमान पर से उसे जवाब देगा।
עַתָּ֤ה יָדַ֗עְתִּי כִּ֤י הֹושִׁ֥יעַ ׀ יְהוָ֗ה מְשִׁ֫יחֹ֥ו יַ֭עֲנֵהוּ מִשְּׁמֵ֣י קָדְשֹׁ֑ו בִּ֝גְבֻרֹ֗ות יֵ֣שַׁע יְמִינֹֽו׃
7 किसी को रथों का और किसी को घोड़ों का भरोसा है, लेकिन हम तो ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा ही का नाम लेंगे।
אֵ֣לֶּה בָ֭רֶכֶב וְאֵ֣לֶּה בַסּוּסִ֑ים וַאֲנַ֓חְנוּ ׀ בְּשֵׁם־יְהוָ֖ה אֱלֹהֵ֣ינוּ נַזְכִּֽיר׃
8 वह तो झुके और गिर पड़े; लेकिन हम उठे और सीधे खड़े हैं।
הֵ֭מָּה כָּרְע֣וּ וְנָפָ֑לוּ וַאֲנַ֥חְנוּ קַּ֝֗מְנוּ וַנִּתְעֹודָֽד׃
9 ऐ ख़ुदावन्द! बचा ले; जिस दिन हम पुकारें, तो बादशाह हमें जवाब दे।
יְהוָ֥ה הֹושִׁ֑יעָה הַ֝מֶּ֗לֶךְ יַעֲנֵ֥נוּ בְיֹום־קָרְאֵֽנוּ׃

< ज़बूर 20 >