< ज़बूर 20 >
1 मुसीबत के दिन ख़ुदावन्द तेरी सुने। या'क़ूब के ख़ुदा का नाम तुझे बुलन्दी पर क़ाईम करे!
Au maître de chant. Psaume de David. Que Yahweh t'exauce au jour de la détresse, que le nom du Dieu de Jacob te protège!
2 वह मक़दिस से तेरे लिए मदद भेजे, और सिय्यून से तुझे क़ुव्वत बख़्शे!
Que du sanctuaire il t'envoie du secours, que de Sion il te soutienne!
3 वह तेरे सब हदियों को याद रख्खे, और तेरी सोख़्तनी क़ुर्बानी को क़ुबूल करे! (सिलाह)
Qu'il se souvienne de toutes tes oblations, et qu'il ait pour agréable tes holocaustes! — Séla.
4 वह तेरे दिल की आरज़ू पूरी करे, और तेरी सब मश्वरत पूरी करे!
Qu'il te donne ce que ton cœur désire, et qu'il accomplisse tous tes desseins!
5 हम तेरी नजात पर ख़ुशी मनाएंगे, और अपने ख़ुदा के नाम पर झंडे खड़े करेंगे। ख़ुदावन्द तेरी तमाम दरख़्वास्तें पूरी करे!
Puissions-nous de nos cris joyeux saluer ta victoire, lever l'étendard au nom de notre Dieu! Que Yahweh accomplisse tous tes vœux!
6 अब मैं जान गया कि ख़ुदावन्द अपने मम्सूह को बचा लेता है; वह अपने दहने हाथ की नजात बख़्श ताक़त से अपने पाक आसमान पर से उसे जवाब देगा।
Déjà je sais que Yahweh a sauvé son Oint; il l'exaucera des cieux, sa sainte demeure, par le secours puissant de sa droite.
7 किसी को रथों का और किसी को घोड़ों का भरोसा है, लेकिन हम तो ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा ही का नाम लेंगे।
Ceux-ci comptent sur leurs chars, ceux-là sur leurs chevaux; nous, nous invoquons le nom de Yahweh, notre Dieu.
8 वह तो झुके और गिर पड़े; लेकिन हम उठे और सीधे खड़े हैं।
Eux, ils plient et ils tombent; nous, nous nous relevons et tenons ferme.
9 ऐ ख़ुदावन्द! बचा ले; जिस दिन हम पुकारें, तो बादशाह हमें जवाब दे।
Yahweh, sauve le roi! — Qu'il nous exauce au jour où nous l'invoquons.