< ज़बूर 2 >
1 क़ौमें किस लिए ग़ुस्से में है और लोग क्यूँ बेकार ख़याल बाँधते हैं
psalmus David quare fremuerunt gentes et populi meditati sunt inania adstiterunt reges terrae et principes convenerunt in unum adversus Dominum et adversus christum eius diapsalma
2 ख़ुदावन्द और उसके मसीह के ख़िलाफ़ ज़मीन के बादशाह एक हो कर, और हाकिम आपस में मशवरा करके कहते हैं,
disrumpamus vincula eorum et proiciamus a nobis iugum ipsorum
3 “आओ, हम उनके बन्धन तोड़ डालें, और उनकी रस्सियाँ अपने ऊपर से उतार फेंके।”
qui habitat in caelis inridebit eos et Dominus subsannabit eos
4 वह जो आसमान पर तख़्त नशीन है हँसेगा, ख़ुदावन्द उनका मज़ाक़ उड़ाएगा।
tunc loquetur ad eos in ira sua et in furore suo conturbabit eos
5 तब वह अपने ग़ज़ब में उनसे कलाम करेगा, और अपने ग़ज़बनाक ग़ुस्से में उनको परेशान कर देगा,
ego autem constitutus sum rex ab eo super Sion montem sanctum eius praedicans praeceptum eius
6 “मैं तो अपने बादशाह को, अपने पाक पहाड़ सिय्यून पर बिठा चुका हूँ।”
Dominus dixit ad me filius meus es tu ego hodie genui te
7 मैं उस फ़रमान को बयान करूँगा: ख़ुदावन्द ने मुझ से कहा, “तू मेरा बेटा है। आज तू मुझ से पैदा हुआ।
postula a me et dabo tibi gentes hereditatem tuam et possessionem tuam terminos terrae
8 मुझ से माँग, और मैं क़ौमों को तेरी मीरास के लिए, और ज़मीन के आख़िरी हिस्से तेरी मिल्कियत के लिए तुझे बख़्शूँगा।
reges eos in virga ferrea tamquam vas figuli confringes eos
9 तू उनको लोहे के 'असा से तोड़ेगा, कुम्हार के बर्तन की तरह तू उनको चकनाचूर कर डालेगा।”
et nunc reges intellegite erudimini qui iudicatis terram
10 इसलिए अब ऐ बादशाहो, अक़्लमंद बनो; ऐ ज़मीन की 'अदालत करने वालो, तरबियत पाओ।
servite Domino in timore et exultate ei in tremore
11 डरते हुए ख़ुदावन्द की इबादत करो, काँपते हुए ख़ुशी मनाओ।
adprehendite disciplinam nequando irascatur Dominus et pereatis de via iusta
12 बेटे को चूमो, ऐसा न हो कि वह क़हर में आए, और तुम रास्ते में हलाक हो जाओ, क्यूँकि उसका ग़ज़ब जल्द भड़कने को है। मुबारक हैं वह सब जिनका भरोसा उस पर है।
cum exarserit in brevi ira eius beati omnes qui confidunt in eo