< ज़बूर 19 >

1 आसमान ख़ुदा का जलाल ज़ाहिर करता है; और फ़ज़ा उसकी दस्तकारी दिखाती है।
Dawut yazƣan küy: — Ərxlǝr Tǝngrining uluƣluⱪini jakarlaydu, Asman gümbizi Uning ⱪoli yasiƣanlirini namayan ⱪilidu;
2 दिन से दिन बात करता है, और रात को रात हिकमत सिखाती है।
Ularning sɵzliri kün-künlǝr dǝryadǝk eⱪiwatidu; Keqǝ-keqilǝp ular bilimni ayan ⱪiliwatidu.
3 न बोलना है न कलाम, न उनकी आवाज़ सुनाई देती है।
Tilsiz ⱨǝm awazsiz bolsimu, ularning sadasi [alǝmgǝ] anglanmaⱪta.
4 उनका सुर सारी ज़मीन पर, और उनका कलाम दुनिया की इन्तिहा तक पहुँचा है। उसने आफ़ताब के लिए उनमें ख़ेमा लगाया है।
Ularning ɵlqǝm tanisi yǝr yüzidǝ tartilmaⱪta; Ularning sɵzliri alǝmning qetigiqǝ yǝtmǝktǝ. Ularning iqidǝ [Huda] ⱪuyax üqün qedir tikkǝn,
5 जो दुल्हे की तरह अपने ख़िलवतख़ाने से निकलता है। और पहलवान की तरह अपनी दौड़ में दौड़ने को खु़श है।
[Ⱪuyax] ⱨujrisidin toyƣa qiⱪⱪan yigittǝk qiⱪidu, Bǝygigǝ qüxidiƣan palwandǝk xadlinidu;
6 वह आसमान की इन्तिहा से निकलता है, और उसकी गश्त उसके किनारों तक होती है; और उसकी हरारत से कोई चीज़ बे बहरा नहीं।
Asmanlarning bir qetidin ɵrlǝydu, Jaⱨanning u qetigiqǝ qɵrgilǝydu, Uning ⱨararitidin ⱨeqⱪandaⱪ mǝhluⱪat yoxurunalmaydu.
7 ख़ुदावन्द की शरी'अत कामिल है, वह जान को बहाल करती है; ख़ुदावन्द कि शहादत बरहक़ है नादान को दानिश बख़्शती है।
Pǝrwǝrdigarning tǝwrat-ⱪanuni mukǝmmǝldur, U insan wujudini yengilaydu; Pǝrwǝrdigar bǝrgǝn ⱨɵküm-guwaⱨlar muⱪim-ixǝnqlik, U nadanlarni dana ⱪilidu.
8 ख़ुदावन्द के क़वानीन रास्त हैं, वह दिल को फ़रहत पहुँचाते हैं; ख़ुदावन्द का हुक्म बे'ऐब है, वह आँखों की रौशन करता है।
Pǝrwǝrdigarning kɵrsǝtmiliri durus, U ⱪǝlbni xadlanduridu; Pǝrwǝrdigarning pǝrmanliri yoruⱪluⱪtur, U kɵzlǝrni nurlanduridu.
9 ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ पाक है, वह अबद तक क़ाईम रहता है; ख़ुदावन्द के अहकाम बरहक़ और बिल्कुल रास्त हैं।
Pǝrwǝrdigardin ǝyminix pak ixtur, u mǝnggü dawamlixidu; Pǝrwǝrdigarning ⱨɵkümliri ⱨǝⱪtur, Ⱨǝrbiri tamamǝn ⱨǝⱪⱪaniyǝttur.
10 वह सोने से बल्कि बहुत कुन्दन से ज़्यादा पसंदीदा हैं; वह शहद से बल्कि छत्ते के टपकों से भी शीरीन हैं।
Ular altundin, bǝrⱨǝⱪ kɵp sap altundin ⱪimmǝtliktur; Ⱨǝsǝldin, ⱨǝsǝl jǝwⱨiridin xerindur;
11 नीज़ उन से तेरे बन्दे को आगाही मिलती है; उनको मानने का अज्र बड़ा है।
Ular bilǝn ⱪulung oyƣitilidu; Insan ularƣa riayǝ ⱪilixta qing tursa qong mukapat bardur.
12 कौन अपनी भूलचूक को जान सकता है? तू मुझे पोशीदा 'ऐबों से पाक कर।
Kim ɵz hataliⱪlirini bilip yetǝlisun? Meni bilip-bilmǝy ⱪilƣan gunaⱨlirimdin saⱪit ⱪilƣaysǝn;
13 तू अपने बंदे को बे — बाकी के गुनाहों से भी बाज़ रख; वह मुझ पर ग़ालिब न आएँ तो मैं कामिल हूँगा, और बड़े गुनाह से बचा रहूँगा।
Ɵz ⱪul-qakaringni baxbaxtaⱪ gunaⱨlardin tartⱪaysǝn; Bu gunaⱨlarni manga hojayin ⱪildurmiƣaysǝn; Xuning bilǝn mǝn ⱪusursiz bolimǝn, Eƣir gunaⱨtin haliy bolƣaymǝn.
14 मेरे मुँह का कलाम और मेरे दिल का ख़याल तेरे सामने मक़्बूल ठहरे; ऐ ख़ुदावन्द! ऐ मेरी चट्टान और मेरे फ़िदिया देने वाले!
I Pǝrwǝrdigar, mening Ⱪoram Texim wǝ Ⱨǝmjǝmǝt-Nijatkarim, Aƣzimdiki sɵzlǝr, ⱪǝlbimdiki oylinixlar nǝziringdǝ mǝⱪbul bolƣay!

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