< ज़बूर 19 >

1 आसमान ख़ुदा का जलाल ज़ाहिर करता है; और फ़ज़ा उसकी दस्तकारी दिखाती है।
Небеса казују славу Божју, и дела руку Његових гласи свод небески.
2 दिन से दिन बात करता है, और रात को रात हिकमत सिखाती है।
Дан дану доказује, и ноћ ноћи јавља.
3 न बोलना है न कलाम, न उनकी आवाज़ सुनाई देती है।
Нема језика, нити има говора, где се не би чуо глас њихов.
4 उनका सुर सारी ज़मीन पर, और उनका कलाम दुनिया की इन्तिहा तक पहुँचा है। उसने आफ़ताब के लिए उनमें ख़ेमा लगाया है।
По свој земљи иде казивање њихово и речи њихове на крај васиљене. Сунцу је поставио стан на њима;
5 जो दुल्हे की तरह अपने ख़िलवतख़ाने से निकलता है। और पहलवान की तरह अपनी दौड़ में दौड़ने को खु़श है।
И оно излази као женик из ложнице своје, као јунак весело тече путем.
6 वह आसमान की इन्तिहा से निकलता है, और उसकी गश्त उसके किनारों तक होती है; और उसकी हरारत से कोई चीज़ बे बहरा नहीं।
Излазак му је накрај неба, и ход му до краја његовог; и нико није сакривен од топлоте његове.
7 ख़ुदावन्द की शरी'अत कामिल है, वह जान को बहाल करती है; ख़ुदावन्द कि शहादत बरहक़ है नादान को दानिश बख़्शती है।
Закон је Господњи савршен, крепи душу; сведочанство је Господње верно, даје мудрост невештоме.
8 ख़ुदावन्द के क़वानीन रास्त हैं, वह दिल को फ़रहत पहुँचाते हैं; ख़ुदावन्द का हुक्म बे'ऐब है, वह आँखों की रौशन करता है।
Наредбе су Господње праведне, веселе срце. Заповест је Господња светла, просветљује очи.
9 ख़ुदावन्द का ख़ौफ़ पाक है, वह अबद तक क़ाईम रहता है; ख़ुदावन्द के अहकाम बरहक़ और बिल्कुल रास्त हैं।
Страх је Господњи чист, остаје довека. Судови су Његови истинити, праведни свиколики.
10 वह सोने से बल्कि बहुत कुन्दन से ज़्यादा पसंदीदा हैं; वह शहद से बल्कि छत्ते के टपकों से भी शीरीन हैं।
Бољи су од злата и драгог камења, слађи од меда који тече из саћа.
11 नीज़ उन से तेरे बन्दे को आगाही मिलती है; उनको मानने का अज्र बड़ा है।
И слугу Твог они су просветлили; ко их држи има велику плату.
12 कौन अपनी भूलचूक को जान सकता है? तू मुझे पोशीदा 'ऐबों से पाक कर।
Ко ће знати све своје погрешке? Очисти ме и од тајних;
13 तू अपने बंदे को बे — बाकी के गुनाहों से भी बाज़ रख; वह मुझ पर ग़ालिब न आएँ तो मैं कामिल हूँगा, और बड़े गुनाह से बचा रहूँगा।
И од вољних сачувај слугу свог, да не овладају мноме. Тада ћу бити савршен и чист од великог преступа.
14 मेरे मुँह का कलाम और मेरे दिल का ख़याल तेरे सामने मक़्बूल ठहरे; ऐ ख़ुदावन्द! ऐ मेरी चट्टान और मेरे फ़िदिया देने वाले!
Да су Му речи уста мојих угодне, и помисао срца мог пред Тобом, Господе, крепости моја и Избавитељу мој!

< ज़बूर 19 >