< ज़बूर 17 >

1 ऐ ख़ुदावन्द, हक़ को सुन, मेरी फ़रियाद पर तवज्जुह कर। मेरी दुआ पर, जो दिखावे के होंटों से निकलती है कान लगा।
Ouve, Senhor, a justiça, atende ao meu clamor; dá ouvidos à minha oração, que não é feita com lábios enganosos.
2 मेरा फ़ैसला तेरे सामने से ज़ाहिर हो! तेरी आँखें रास्ती को देखें!
Saia o meu juízo de diante do teu rosto; atendam os teus olhos à razão.
3 तूने मेरे दिल को आज़मा लिया है, तूने रात को मेरी निगरानी की; तूने मुझे परखा और कुछ खोट न पाया, मैंने ठान लिया है कि मेरा मुँह ख़ता न करे।
Provaste o meu coração; visitaste-me de noite; examinaste-me, e nada achaste; propuz que a minha boca não transgredirá.
4 इंसानी कामों में तेरे लबों के कलाम की मदद से मैं ज़ालिमों की राहों से बाज़ रहा हूँ।
Quanto ao trato dos homens, pela palavra dos teus lábios me guardei das veredas do destruidor.
5 मेरे कदम तेरे रास्तों पर क़ाईम रहे हैं, मेरे पाँव फिसले नहीं।
Dirige os meus passos nos teus caminhos, para que as minhas pegadas não vacilem.
6 ऐ ख़ुदा, मैंने तुझ से दुआ की है क्यूँकि तू मुझे जवाब देगा। मेरी तरफ़ कान झुका और मेरी 'अर्ज़ सुन ले।
Eu te invoquei, ó Deus, pois me queres ouvir; inclina para mim os teus ouvidos, e escuta as minhas palavras.
7 तू जो अपने दहने हाथ से अपने भरोसा करने वालों को उनके मुखालिफ़ों से बचाता है, अपनी'अजीब शफ़क़त दिखा।
Faze maravilhosas as tuas beneficências, ó tu que livras aqueles que em ti confiam dos que se levantam contra a tua mão direita.
8 मुझे आँख की पुतली की तरह महफूज़ रख; मुझे अपने परों के साये में छिपा ले,
Guarda-me como à menina do olho, esconde-me debaixo da sombra das tuas asas,
9 उन शरीरों से जो मुझ पर ज़ुल्म करते हैं, मेरे जानी दुश्मनों से जो मुझे घेरे हुए हैं।
Dos ímpios que me oprimem, dos meus inimigos mortais que me andam cercando.
10 उन्होंने अपने दिलों को सख़्त किया है; वह अपने मुँह से बड़ा बोल बोलते हैं।
Na sua gordura se encerram, com a boca falam soberbamente.
11 उन्होंने कदम कदम पर हम को घेरा है; वह ताक लगाए हैं कि हम को ज़मीन पर पटक दें।
Teem-nos cercado agora nossos passos; e abaixaram os seus olhos para a terra;
12 वह उस बबर की तरह है जो फाड़ने पर लालची हो, वह जैसे जवान बबर है जो पोशीदा जगहों में दुबका हुआ है।
Parecem-se com o leão que deseja arrebatar a sua preza, e com o leãozinho que se põe em esconderijos.
13 उठ, ऐ ख़ुदावन्द! उसका सामना कर, उसे पटक दे! अपनी तलवार से मेरी जान को शरीर से बचा ले।
Levanta-te, Senhor, detem-na, derruba-o, livra a minha alma do ímpio, com a espada tua,
14 अपने हाथ से ऐ ख़ुदावन्द! मुझे लोगों से बचा। या'नी दुनिया के लोगों से, जिनका बख़रा इसी ज़िन्दगी में है, और जिनका पेट तू अपने ज़ख़ीरे से भरता है। उनकी औलाद भी हस्ब — ए — मुराद है; वह अपना बाक़ी माल अपने बच्चों के लिए छोड़ जाते हैं
Dos homens que são a tua mão, Senhor, dos homens do mundo, cuja porção está nesta vida, e cujo ventre enches do teu tesouro oculto: estão fartos de filhos e dão os seus sobejos às suas crianças.
15 लेकिन मैं तो सदाक़त में तेरा दीदार हासिल करूँगा; मैं जब जागूँगा तो तेरी शबाहत से सेर हूँगा।
Enquanto a mim, contemplarei a tua face na justiça; satisfazer-me-ei da tua semelhança quando acordar.

< ज़बूर 17 >