< ज़बूर 15 >
1 ऐ ख़ुदावन्द तेरे ख़ेमे में कौन रहेगा? तेरे पाक पहाड़ पर कौन सुकूनत करेगा?
Oh Yavé, ¿quién morará en tu Tabernáculo? ¿Quién morará en tu Montaña Santa?
2 वह जो रास्ती से चलता और सदाक़त का काम करता, और दिल से सच बोलता है।
El que vive en integridad y hace justicia, Y habla la verdad en su corazón.
3 वह जो अपनी ज़बान से बुहतान नहीं बांधता, और अपने दोस्त से बदी नहीं करता, और अपने पड़ोसी की बदनामी नहीं सुनता।
El que no calumnia con su boca, Ni hace mal a su amigo, Ni levanta un reproche contra su prójimo,
4 वह जिसकी नज़र में रज़ील आदमी हक़ीर है, लेकिन जो ख़ुदावन्द से डरते हैं उनकी 'इज़्ज़त करता है; वह जो क़सम खाकर बदलता नहीं चाहे नुक़्सान ही उठाए।
En cuyos ojos el vil es menospreciado, Pero honra a los que temen a Yavé, El que jura en daño suyo y no cambia,
5 वह जो अपना रुपया सूद पर नहीं देता, और बेगुनाह के ख़िलाफ़ रिश्वत नहीं लेता। ऐसे काम करने वाला कभी जुम्बिश न खाएगा।
Quien no presta su dinero con interés, Ni acepta soborno contra el inocente. El que hace estas cosas jamás será movido.