< ज़बूर 145 >

1 ऐ मेरे ख़ुदा, मेरे बादशाह! मैं तेरी तम्जीद करूँगा। और हमेशा से हमेशा तक तेरे नाम को मुबारक कहूँगा।
Ein Loblied von David. Ich will dich erheben, mein Gott, du König,
2 मैं हर दिन तुझे मुबारक कहूँगा, और हमेशा से हमेशा तक तेरे नाम की सिताइश करूँगा।
An jedem Tage will ich dich preisen und deinen Namen rühmen immer und ewig!
3 ख़ुदावन्द बुजु़र्ग और बेहद सिताइश के लायक़ है; उसकी बुजु़र्गी बयान से बाहर है।
Groß ist der HERR und hoch zu rühmen, und seine Größe ist unausforschlich.
4 एक नसल दूसरी नसल से तेरे कामों की ता'रीफ़, और तेरी कु़दरत के कामों का बयान करेगी।
Ein Geschlecht wird dem andern rühmen deine Werke und kundtun deine gewaltigen Taten.
5 मैं तेरी 'अज़मत की जलाली शान पर, और तेरे 'अजायब पर ग़ौर करूँगा।
Von der herrlichen Pracht deiner Hoheit will ich reden, und von deinen Wundertaten (will ich singen).
6 और लोग तेरी कु़दरत के हौलनाक कामों का ज़िक्र करेंगे, और मैं तेरी बुजु़र्गी बयान करूँगा।
Von der Macht deines furchtbaren Waltens wird man reden, und deine Größe – davon will ich erzählen!
7 वह तेरे बड़े एहसान की यादगार का बयान करेंगे, और तेरी सदाक़त का हम्द गाएँगे।
Den Ruhm deiner reichen Güte wird man verkünden und jubelnd preisen deine Gerechtigkeit.
8 ख़ुदावन्द रहीम — ओ — करीम है; वह कहर करने में धीमा और शफ़क़त में ग़नी है।
Gnädig und barmherzig ist der HERR, langmütig und reich an Güte.
9 ख़ुदावन्द सब पर मेहरबान है, और उसकी रहमत उसकी सारी मख़लूक पर है।
Der HERR ist gütig gegen alle, und sein Erbarmen umfaßt alle seine Werke.
10 ऐ ख़ुदावन्द, तेरी सारी मख़लूक़ तेरा शुक्र करेगी, और तेरे पाक लोग तुझे मुबारक कहेंगे!
Alle deine Werke werden dich loben, HERR, und deine Frommen dich preisen;
11 वह तेरी सल्तनत के जलाल का बयान, और तेरी कु़दरत का ज़िक्र करेंगे;
die Herrlichkeit deines Königtums werden sie rühmen und reden von deiner Macht,
12 ताकि बनी आदम पर उसके कुदरत के कामों को, और उसकी सल्तनत के जलाल की शान को ज़ाहिर करें।
um den Menschenkindern kundzutun seine mächtigen Taten und die herrliche Pracht seines Königtums.
13 तेरी सल्तनत हमेशा की सल्तनत है, और तेरी हुकूमत नसल — दर — नसल।
Dein Reich ist ein Reich für alle Ewigkeiten, und deine Herrschaft besteht durch alle Geschlechter. Getreu ist der HERR in seinen Worten und heilig in all seinem Tun.
14 ख़ुदावन्द गिरते हुए को संभालता, और झुके हुए को उठा खड़ा करता है।
Der HERR stützt alle Fallenden und richtet alle Gebeugten auf.
15 सब की आँखें तुझ पर लगी हैं, तू उनको वक़्त पर उनकी ख़ुराक देता है।
Aller Augen warten auf dich, und du gibst ihnen ihre Speise zu seiner Zeit;
16 तू अपनी मुट्ठी खोलता है, और हर जानदार की ख़्वाहिश पूरी करता है।
du tust deine Hand auf und sättigst alles, was lebt, mit Wohlgefallen.
17 ख़ुदावन्द अपनी सब राहों में सादिक़, और अपने सब कामों में रहीम है।
Gerecht ist der HERR in all seinem Walten und liebreich in all seinem Tun.
18 ख़ुदावन्द उन सबके क़रीब है जो उससे दुआ करते हैं, या'नी उन सबके जो सच्चाई से दुआ करते हैं।
Der HERR ist nahe allen, die ihn anrufen, allen, die ihn in Treue anrufen;
19 जो उससे डरते हैं वह उनकी मुराद पूरी करेगा, वह उनकी फ़रियाद सुनेगा और उनको बचा लेगा।
er erfüllt das Begehren derer, die ihn fürchten, er hört ihr Schreien und hilft ihnen.
20 ख़ुदावन्द अपने सब मुहब्बत रखने वालों की हिफ़ाज़त करेगा; लेकिन सब शरीरों को हलाक कर डालेगा।
Der HERR behütet alle, die ihn lieben, doch alle Frevler rottet er aus.
21 मेरे मुँह से ख़ुदावन्द की सिताइश होगी, और हर बशर उसके पाक नाम को हमेशा से हमेशा तक मुबारक कहे।
Mein Mund soll verkünden den Lobpreis des HERRN, und alles Fleisch soll preisen seinen heiligen Namen immer und ewig!

< ज़बूर 145 >