< ज़बूर 143 >
1 ऐ ख़ुदावन्द, मेरी दू'आ सुन, मेरी इल्तिजा पर कान लगा। अपनी वफ़ादारी और सदाक़त में मुझे जवाब दे,
Davut'un mezmuru Duamı işit, ya RAB, Yalvarışlarıma kulak ver! Sadakatinle, doğruluğunla yanıtla beni!
2 और अपने बन्दे को 'अदालत में न ला, क्यूँकि तेरी नज़र में कोई आदमी रास्तबाज़ नहीं ठहर सकता।
Kulunla yargıya girme, Çünkü hiçbir canlı senin karşında aklanmaz.
3 इसलिए कि दुश्मन ने मेरी जान को सताया है; उसने मेरी ज़िन्दगी को ख़ाक में मिला दिया, और मुझे अँधेरी जगहों में उनकी तरह बसाया है जिनको मरे मुद्दत हो गई हो।
Düşman beni kovalıyor, Ezip yere seriyor. Çoktan ölmüş olanlar gibi, Beni karanlıklarda oturtuyor.
4 इसी वजह से मुझ में मेरी जान निढाल है; और मेरा दिल मुझ में बेकल है।
Bu yüzden bunalıma düştüm, Yüreğim perişan.
5 मैं पिछले ज़मानों को याद करता हूँ, मैं तेरे सब कामों पर ग़ौर करता हूँ, और तेरी दस्तकारी पर ध्यान करता हूँ।
Geçmiş günleri anıyor, Bütün yaptıklarını derin derin düşünüyor, Ellerinin işine bakıp dalıyorum.
6 मैं अपने हाथ तेरी तरफ़ फैलाता हूँ मेरी जान खु़श्क ज़मीन की तरह तेरी प्यासी है।
Ellerimi sana açıyorum, Canım kurak toprak gibi sana susamış. (Sela)
7 ऐ ख़ुदावन्द, जल्द मुझे जवाब दे: मेरी रूह गुदाज़ हो चली! अपना चेहरा मुझ से न छिपा, ऐसा न हो कि मैं क़ब्र में उतरने वालों की तरह हो जाऊँ।
Çabuk yanıtla beni, ya RAB, Tükeniyorum. Çevirme benden yüzünü, Yoksa ölüm çukuruna inen ölülere dönerim.
8 सुबह को मुझे अपनी शफ़क़त की ख़बर दे, क्यूँकि मेरा भरोसा तुझ पर है। मुझे वह राह बता जिस पर मैं चलूं, क्यूँकि मैं अपना दिल तेरी ही तरफ़ लगाता हूँ।
Sabahları duyur bana sevgini, Çünkü sana güveniyorum; Bana gideceğim yolu bildir, Çünkü duam sanadır.
9 ऐ ख़ुदावन्द, मुझे मेरे दुश्मनों से रिहाई बख्श; क्यूँकि मैं पनाह के लिए तेरे पास भाग आया हूँ।
Düşmanlarımdan kurtar beni, ya RAB; Sana sığınıyorum.
10 मुझे सिखा के तेरी मर्ज़ी पर चलूँ, इसलिए कि तू मेरा ख़ुदा है! तेरी नेक रूह मुझे रास्ती के मुल्क में ले चले!
Bana istemini yapmayı öğret, Çünkü Tanrım'sın benim. Senin iyi Ruhun Düz yolda bana öncülük etsin!
11 ऐ ख़ुदावन्द, अपने नाम की ख़ातिर मुझे ज़िन्दा कर! अपनी सदाक़त में मेरी जान को मुसीबत से निकाल!
Ya RAB, adın uğruna yaşam ver bana, Doğruluğunla kurtar beni sıkıntıdan.
12 अपनी शफ़क़त से मेरे दुश्मनों को काट डाल, और मेरी जान के सब दुख देने वालों को हलाक कर दे, क्यूँकि मैं तेरा बन्दा हूँ।
Sevginden ötürü, Öldür düşmanlarımı, Yok et bütün hasımlarımı, Çünkü senin kulunum ben.