< ज़बूर 143 >
1 ऐ ख़ुदावन्द, मेरी दू'आ सुन, मेरी इल्तिजा पर कान लगा। अपनी वफ़ादारी और सदाक़त में मुझे जवाब दे,
Jehovah, höre mein Gebet, nimm zu Ohren mein Flehen, in Deiner Wahrheit, antworte mir in Deiner Gerechtigkeit.
2 और अपने बन्दे को 'अदालत में न ला, क्यूँकि तेरी नज़र में कोई आदमी रास्तबाज़ नहीं ठहर सकता।
Und komme nicht mit Deinem Knechte in das Gericht; denn vor Dir ist kein Lebendiger gerecht.
3 इसलिए कि दुश्मन ने मेरी जान को सताया है; उसने मेरी ज़िन्दगी को ख़ाक में मिला दिया, और मुझे अँधेरी जगहों में उनकी तरह बसाया है जिनको मरे मुद्दत हो गई हो।
Denn der Feind verfolgt meine Seele, er zerstößt zur Erde mein Leben, er läßt mich sitzen in Finsternissen wie die Toten der Welt.
4 इसी वजह से मुझ में मेरी जान निढाल है; और मेरा दिल मुझ में बेकल है।
Mein Geist verzagt in mir, mein Herz entsetzt sich in meinem Inneren.
5 मैं पिछले ज़मानों को याद करता हूँ, मैं तेरे सब कामों पर ग़ौर करता हूँ, और तेरी दस्तकारी पर ध्यान करता हूँ।
Ich gedenke der Vorzeit Tage, ich sinne über alle Deine Werke, und überdenke Deiner Hände Tun.
6 मैं अपने हाथ तेरी तरफ़ फैलाता हूँ मेरी जान खु़श्क ज़मीन की तरह तेरी प्यासी है।
Ich breite meine Hände zu Dir; meine Seele ist wie durstig Land vor Dir. (Selah)
7 ऐ ख़ुदावन्द, जल्द मुझे जवाब दे: मेरी रूह गुदाज़ हो चली! अपना चेहरा मुझ से न छिपा, ऐसा न हो कि मैं क़ब्र में उतरने वालों की तरह हो जाऊँ।
Eile, antworte mir, Jehovah; mein Geist verzehrt sich, birg Dein Angesicht nicht vor mir, sonst werde ich gleich denen, so hinab zur Grube fahren.
8 सुबह को मुझे अपनी शफ़क़त की ख़बर दे, क्यूँकि मेरा भरोसा तुझ पर है। मुझे वह राह बता जिस पर मैं चलूं, क्यूँकि मैं अपना दिल तेरी ही तरफ़ लगाता हूँ।
Laß mich am Morgen hören Deine Barmherzigkeit; denn ich vertraue auf Dich. Tue kund mir den Weg, den ich soll gehen; denn zu Dir erhebe ich meine Seele.
9 ऐ ख़ुदावन्द, मुझे मेरे दुश्मनों से रिहाई बख्श; क्यूँकि मैं पनाह के लिए तेरे पास भाग आया हूँ।
Errette mich, Jehovah, von meinen Feinden, bei Dir bin ich bedeckt.
10 मुझे सिखा के तेरी मर्ज़ी पर चलूँ, इसलिए कि तू मेरा ख़ुदा है! तेरी नेक रूह मुझे रास्ती के मुल्क में ले चले!
Lehre Du mich tun nach Deinem Wohlgefallen; denn Du bist mein Gott. Dein guter Geist führe mich in das Land der Geradheit.
11 ऐ ख़ुदावन्द, अपने नाम की ख़ातिर मुझे ज़िन्दा कर! अपनी सदाक़त में मेरी जान को मुसीबत से निकाल!
Um Deines Namens willen, Jehovah, belebe mich in Deiner Gerechtigkeit, bringe meine Seele aus der Drangsal.
12 अपनी शफ़क़त से मेरे दुश्मनों को काट डाल, और मेरी जान के सब दुख देने वालों को हलाक कर दे, क्यूँकि मैं तेरा बन्दा हूँ।
Und vertilge meine Feinde in Deiner Barmherzigkeit, und zerstöre alle Dränger meiner Seele; denn ich bin Dein Knecht.