< ज़बूर 141 >
1 ऐ ख़ुदावन्द! मैने तेरी दुहाई दी मेरी तरफ़ जल्द आ! जब मैं तुझ से दुआ करूँ, तो मेरी आवाज़ पर कान लगा!
Jehová, a ti he llamado, apresúrate a mí: escucha mi voz, cuando te llamare.
2 मेरी दुआ तेरे सामने ख़ुशबू की तरह हो, और मेरा हाथ उठाना शाम की कु़र्बानी की तरह!
Sea enderezada mi oración delante de ti como un perfume: el don de mis manos como un presente de la tarde.
3 ऐ ख़ुदावन्द! मेरे मुँह पर पहरा बिठा; मेरे लबों के दरवाजे़ की निगहबानी कर।
Pon, o! Jehová, guarda a mi boca: guarda la puerta de mis labios.
4 मेरे दिल को किसी बुरी बात की तरफ़ माइल न होने दे; कि बदकारों के साथ मिलकर, शरारत के कामों में मसरूफ़ हो जाए, और मुझे उनके नफ़ीस खाने से दूर रख।
No inclines mi corazón a cosa mala: a hacer obras con impiedad con los varones que obran iniquidad; y no coma yo de sus delicias.
5 सादिक़ मुझे मारे तो मेहरबानी होगी, वह मुझे तम्बीह करे तो जैसे सिर पर रौग़न होगा। मेरा सिर इससे इंकार न करे, क्यूँकि उनकी शरारत में भी मैं दुआ करता रहूँगा।
Hiérame el justo con misericordia, y repréndame; y aceite de cabeza no unte mi cabeza: porque aun también mi oración será contra sus males.
6 उनके हाकिम चट्टान के किनारों पर से गिरा दिए गए हैं, और वह मेरी बातें सुनेंगे, क्यूँकि यह शीरीन हैं।
Sean derribados en lugares peñascosos sus jueces; y oigan mis palabras que son suaves.
7 जैसे कोई हल चलाकर ज़मीन को तोड़ता है, वैसे ही हमारी हड्डियाँ पाताल के मुँह पर बिखरी पड़ी हैं। (Sheol )
Como quien parte e hiende leños en tierra, son esparcidos nuestros huesos a la boca de la sepultura: (Sheol )
8 क्यूँकि ऐ मालिक ख़ुदावन्द! मेरी आँखें तेरी तरफ़ हैं; मेरा भरोसा तुझ पर है, मेरी जान को बेकस न छोड़!
Por tanto a ti, o! Jehová, Señor, miran mis ojos, en ti he confiado: no tengas en poco a mi alma.
9 मुझे उस फंदे से जो उन्होंने मेरे लिए लगाया है, और बदकिरदारों के दाम से बचा।
Guárdame de las manos del lazo que me han tendido; y de los lazos de los que obran iniquidad.
10 शरीर आप अपने जाल में फंसें, और मैं सलामत बच निकलूँ।
Caigan los impíos a una en sus redes, mientras yo pasaré para siempre.