< ज़बूर 14 >
1 बेवकू़फ़ ने अपने दिल में कहा है, कि कोई ख़ुदा नहीं। वह बिगड़ गए, उन्होंने नफ़रतअंगेज़ काम किए हैं; कोई नेकोकार नहीं।
2 ख़ुदावन्द ने आसमान पर से बनी आदम पर निगाह की ताकि देखे कि कोई अक़्लमन्द, कोई ख़ुदा का तालिब है या नहीं।
3 वह सब के सब गुमराह हुए, वह एक साथ नापाक हो गए, कोई नेकोकार नहीं, एक भी नहीं।
4 क्या उन सब बदकिरदारों को कुछ'इल्म नहीं, जो मेरे लोगों को ऐसे खा जाते हैं जैसे रोटी, और ख़ुदावन्द का नाम नहीं लेते?
5 वहाँ उन पर बड़ा ख़ौफ़ छा गया, क्यूँकि ख़ुदा सादिक़ नसल के साथ है।
6 तुम ग़रीब की मश्वरत की हँसी उड़ाते हो; इसलिए के ख़ुदावन्द उसकी पनाह है।
7 काश कि इस्राईल की नजात सिय्यून में से होती! जब ख़ुदावन्द अपने लोगों को ग़ुलामी से लौटा लाएगा, तो या'क़ूब ख़ुश और इस्राईल शादमान होगा।