< ज़बूर 139 >

1 ऐ ख़ुदावन्द! तूने मुझे जाँच लिया और पहचान लिया।
Господе! Ти ме кушаш и знаш.
2 तू मेरा उठना बैठना जानता है; तू मेरे ख़याल को दूर से समझ लेता है।
Ти знаш кад седам и кад устанем; Ти знаш помисли моје издалека;
3 तू मेरे रास्ते की और मेरी ख़्वाबगाह की छान बीन करता है, और मेरे सब चाल चलन से वाक़िफ़ है।
Кад ходим и кад се одмарам, Ти си око мене, и све путеве моје видиш.
4 देख! मेरी ज़बान पर कोई ऐसी बात नहीं, जिसे तू ऐ ख़ुदावन्द पूरे तौर पर न जानता हो।
Још нема речи на језику мом, а Ти, Господе, гле, већ све знаш.
5 तूने मुझे आगे पीछे से घेर रखा है, और तेरा हाथ मुझ पर है।
Састраг и спред Ти си ме заклонио, и ставио на ме руку своју.
6 यह इरफ़ान मेरे लिए बहुत 'अजीब है; यह बुलन्द है, मैं इस तक पहुँच नहीं सकता।
Чудно је за ме знање Твоје, високо, не могу да га докучим.
7 मैं तेरी रूह से बचकर कहाँ जाऊँ? या तेरे सामने से किधर भागूँ?
Куда бих отишао од духа Твог, и од лица Твог куда бих побегао?
8 अगर आसमान पर चढ़ जाऊँ, तो तू वहाँ है। अगर मैं पाताल में बिस्तर बिछाऊँ, तो देख तू वहाँ भी है! (Sheol h7585)
Да изађем на небо, Ти си онде. Да сиђем у пакао, онде си. (Sheol h7585)
9 अगर मैं सुबह के पर लगाकर, समन्दर की इन्तिहा में जा बसूँ,
Да се дигнем на крилима од зоре, и преселим се на крај мора:
10 तो वहाँ भी तेरा हाथ मेरी राहनुमाई करेगा, और तेरा दहना हाथ मुझे संभालेगा।
И онде ће ме рука Твоја водити, и држати ме десница Твоја.
11 अगर मैं कहूँ कि यक़ीनन तारीकी मुझे छिपा लेगी, और मेरी चारों तरफ़ का उजाला रात बन जाएगा।
Да кажем: Да ако ме мрак сакрије; али је и ноћ као видело око мене.
12 तो अँधेरा भी तुझ से छिपा नहीं सकता, बल्कि रात भी दिन की तरह रोशन है; अँधेरा और उजाला दोनों एक जैसे हैं।
Ни мрак неће замрачити од Тебе, и ноћ је светла као дан: мрак је као видело.
13 क्यूँकि मेरे दिल को तू ही ने बनाया; मेरी माँ के पेट में तू ही ने मुझे सूरत बख़्शी।
Јер си Ти створио шта је у мени, саставио си ме у утроби матере моје.
14 मैं तेरा शुक्र करूँगा, क्यूँकि मैं 'अजीबओ — ग़रीब तौर से बना हूँ। तेरे काम हैरत अंगेज़ हैं मेरा दिल इसे खू़ब जानता है।
Хвалим Те, што сам дивно саздан. Дивна су дела Твоја, и душа моја то зна добро.
15 जब मैं पोशीदगी में बन रहा था, और ज़मीन के तह में 'अजीब तौर से मुरतब हो रहा था, तो मेरा क़ालिब तुझ से छिपा न था।
Ниједна се кост моја није сакрила од Тебе, ако и јесам саздан тајно, откан у дубини земаљској.
16 तेरी आँखों ने मेरे बेतरतीब माद्दे को देखा, और जो दिन मेरे लिए मुक़र्रर थे, वह सब तेरी किताब में लिखे थे; जब कि एक भी वुजूद में न आया था।
Заметак мој видеше очи Твоје, у књизи је Твојој све то записано, и дани забележени, кад их још није било ниједног.
17 ऐ ख़ुदा! तेरे ख़याल मेरे लिए कैसे बेशबहा हैं। उनका मजमूआ कैसा बड़ा है!
Како су ми недокучиве помисли Твоје, Боже! Како им је велик број!
18 अगर मैं उनको गिनूँ तो वह शुमार में रेत से भी ज़्यादा हैं। जाग उठते ही तुझे अपने साथ पाता हूँ।
Да их бројим, више их је него песка. Кад се пробудим, још сам с Тобом.
19 ऐ ख़ुदा! काश के तू शरीर को क़त्ल करे। इसलिए ऐ ख़ूनख़्वारो! मेरे पास से दूर हो जाओ।
Да хоћеш, Боже, убити безбожника! Крвопије, идите од мене.
20 क्यूँकि वह शरारत से तेरे ख़िलाफ़ बातें करते हैं: और तेरे दुश्मन तेरा नाम बेफ़ायदा लेते हैं।
Они говоре ружно на Тебе; узимају име Твоје узалуд непријатељи Твоји.
21 ऐ ख़ुदावन्द! क्या मैं तुझ से 'अदावत रखने वालों से 'अदावत नहीं रखता, और क्या मैं तेरे मुख़ालिफ़ों से बेज़ार नहीं हूँ?
Зар да не мрзим на оне, који на Те мрзе, Господе, и да се не гадим на оне који устају на Тебе?
22 मुझे उनसे पूरी 'अदावत है, मैं उनको अपने दुश्मन समझता हूँ।
Пуном мрзошћу мрзим на њих; непријатељи су ми.
23 ऐ ख़ुदा, तू मुझे जाँच और मेरे दिल को पहचान। मुझे आज़मा और मेरे ख़यालों को जान ले!
Окушај ме, Боже, и познај срце моје, испитај ме, и познај помисли моје.
24 और देख कि मुझ में कोई बुरा चाल चलन तो नहीं, और मुझ को हमेशा की राह में ले चल!
И види јесам ли на злом путу, и води ме на пут вечни.

< ज़बूर 139 >