< ज़बूर 139 >

1 ऐ ख़ुदावन्द! तूने मुझे जाँच लिया और पहचान लिया।
Zborovođi. Davidov. Jahve, proničeš me svega i poznaješ,
2 तू मेरा उठना बैठना जानता है; तू मेरे ख़याल को दूर से समझ लेता है।
ti znaš kada sjednem i kada ustanem, izdaleka ti već misli moje poznaješ.
3 तू मेरे रास्ते की और मेरी ख़्वाबगाह की छान बीन करता है, और मेरे सब चाल चलन से वाक़िफ़ है।
Hodam li ili ležim, sve ti vidiš, znani su ti svi moji putovi.
4 देख! मेरी ज़बान पर कोई ऐसी बात नहीं, जिसे तू ऐ ख़ुदावन्द पूरे तौर पर न जानता हो।
Riječ mi još nije na jezik došla, a ti, Jahve, sve već znadeš.
5 तूने मुझे आगे पीछे से घेर रखा है, और तेरा हाथ मुझ पर है।
S leđa i s lica ti me obuhvaćaš, na mene si ruku svoju stavio.
6 यह इरफ़ान मेरे लिए बहुत 'अजीब है; यह बुलन्द है, मैं इस तक पहुँच नहीं सकता।
Znanje to odveć mi je čudesno, previsoko da bih ga dokučio.
7 मैं तेरी रूह से बचकर कहाँ जाऊँ? या तेरे सामने से किधर भागूँ?
Kamo da idem od duha tvojega i kamo da od tvog lica pobjegnem?
8 अगर आसमान पर चढ़ जाऊँ, तो तू वहाँ है। अगर मैं पाताल में बिस्तर बिछाऊँ, तो देख तू वहाँ भी है! (Sheol h7585)
Ako se na nebo popnem, ondje si, ako u Podzemlje legnem, i ondje si. (Sheol h7585)
9 अगर मैं सुबह के पर लगाकर, समन्दर की इन्तिहा में जा बसूँ,
Uzmem li krila zorina pa se naselim moru na kraj
10 तो वहाँ भी तेरा हाथ मेरी राहनुमाई करेगा, और तेरा दहना हाथ मुझे संभालेगा।
i ondje bi me ruka tvoja vodila, desnica bi me tvoja držala.
11 अगर मैं कहूँ कि यक़ीनन तारीकी मुझे छिपा लेगी, और मेरी चारों तरफ़ का उजाला रात बन जाएगा।
Reknem li: “Nek' me barem tmine zakriju i nek' me noć umjesto svjetla okruži!” -
12 तो अँधेरा भी तुझ से छिपा नहीं सकता, बल्कि रात भी दिन की तरह रोशन है; अँधेरा और उजाला दोनों एक जैसे हैं।
ni tmina tebi neće biti tamna: noć sjaji kao dan i tama kao svjetlost.
13 क्यूँकि मेरे दिल को तू ही ने बनाया; मेरी माँ के पेट में तू ही ने मुझे सूरत बख़्शी।
Jer ti si moje stvorio bubrege, satkao me u krilu majčinu.
14 मैं तेरा शुक्र करूँगा, क्यूँकि मैं 'अजीबओ — ग़रीब तौर से बना हूँ। तेरे काम हैरत अंगेज़ हैं मेरा दिल इसे खू़ब जानता है।
Hvala ti što sam stvoren tako čudesno, što su djela tvoja predivna. Dušu moju do dna si poznavao,
15 जब मैं पोशीदगी में बन रहा था, और ज़मीन के तह में 'अजीब तौर से मुरतब हो रहा था, तो मेरा क़ालिब तुझ से छिपा न था।
kosti moje ne bjehu ti sakrite dok nastajah u tajnosti, otkan u dubini zemlje.
16 तेरी आँखों ने मेरे बेतरतीब माद्दे को देखा, और जो दिन मेरे लिए मुक़र्रर थे, वह सब तेरी किताब में लिखे थे; जब कि एक भी वुजूद में न आया था।
Oči tvoje već tada gledahu djela moja, sve već bješe zapisano u knjizi tvojoj: dani su mi određeni dok još ne bješe ni jednoga.
17 ऐ ख़ुदा! तेरे ख़याल मेरे लिए कैसे बेशबहा हैं। उनका मजमूआ कैसा बड़ा है!
Kako su mi, Bože, naumi tvoji nedokučivi, kako li je neprocjenjiv zbroj njihov.
18 अगर मैं उनको गिनूँ तो वह शुमार में रेत से भी ज़्यादा हैं। जाग उठते ही तुझे अपने साथ पाता हूँ।
Da ih brojim? Više ih je nego pijeska! Dođem li im do kraja, ti mi preostaješ!
19 ऐ ख़ुदा! काश के तू शरीर को क़त्ल करे। इसलिए ऐ ख़ूनख़्वारो! मेरे पास से दूर हो जाओ।
De, istrijebi, Bože, zlotvora, krvoloci nek' odstupe od mene!
20 क्यूँकि वह शरारत से तेरे ख़िलाफ़ बातें करते हैं: और तेरे दुश्मन तेरा नाम बेफ़ायदा लेते हैं।
Jer podmuklo se bune protiv tebe, uzalud se dižu tvoji dušmani.
21 ऐ ख़ुदावन्द! क्या मैं तुझ से 'अदावत रखने वालों से 'अदावत नहीं रखता, और क्या मैं तेरे मुख़ालिफ़ों से बेज़ार नहीं हूँ?
Jahve, zar da ne mrzim tvoje mrzitelje? Zar da mi se ne gade protivnici tvoji?
22 मुझे उनसे पूरी 'अदावत है, मैं उनको अपने दुश्मन समझता हूँ।
Mržnjom dubokom ja ih mrzim i držim ih svojim neprijateljima.
23 ऐ ख़ुदा, तू मुझे जाँच और मेरे दिल को पहचान। मुझे आज़मा और मेरे ख़यालों को जान ले!
Pronikni me svega, Bože, srce mi upoznaj, iskušaj me i upoznaj misli moje:
24 और देख कि मुझ में कोई बुरा चाल चलन तो नहीं, और मुझ को हमेशा की राह में ले चल!
pogledaj, ne idem li putem pogubnim i povedi me putem vječnim!

< ज़बूर 139 >