< ज़बूर 133 >

1 देखो! कैसी अच्छी और खु़शी की बात है, कि भाई एक साथ मिलकर रहें!
تَرْنِيمَةُ ٱلْمَصَاعِدِ. لِدَاوُدَ هُوَذَا مَا أَحْسَنَ وَمَا أَجْمَلَ أَنْ يَسْكُنَ ٱلْإِخْوَةُ مَعًا!١
2 यह उस बेशक़ीमत तेल की तरह है, जो सिर पर लगाया गया, और बहता हुआ दाढ़ी पर, या'नी हारून की दाढ़ी पर आ गया; बल्कि उसके लिबास के दामन तक जा पहुँचा।
مِثْلُ ٱلدُّهْنِ ٱلطَّيِّبِ عَلَى ٱلرَّأْسِ، ٱلنَّازِلِ عَلَى ٱللِّحْيَةِ، لِحْيَةِ هَارُونَ، ٱلنَّازِلِ إِلَى طَرَفِ ثِيَابِهِ.٢
3 या हरमून की ओस की तरह है, जो सिय्यून के पहाड़ों पर पड़ती है! क्यूँकि वहीं ख़ुदावन्द ने बरकत का, या'नी हमेशा की ज़िन्दगी का हुक्म फ़रमाया।
مِثْلُ نَدَى حَرْمُونَ ٱلنَّازِلِ عَلَى جَبَلِ صِهْيَوْنَ. لِأَنَّهُ هُنَاكَ أَمَرَ ٱلرَّبُّ بِٱلْبَرَكَةِ، حَيَاةٍ إِلَى ٱلْأَبَدِ.٣

< ज़बूर 133 >