< ज़बूर 124 >
1 अब इस्राईल यूँ कहे, अगर ख़ुदावन्द हमारी तरफ़ न होता,
canticum graduum huic David nisi quia Dominus erat in nobis dicat nunc Israhel
2 अगर ख़ुदावन्द उस वक़्त हमारी तरफ़ न होता, जब लोग हमारे ख़िलाफ़ उठे,
nisi quia Dominus erat in nobis cum exsurgerent in nos homines
3 तो जब उनका क़हर हम पर भड़का था, वह हम को ज़िन्दा ही निगल जाते।
forte vivos degluttissent nos cum irasceretur furor eorum in nos
4 उस वक़्त पानी हम को डुबो देता, और सैलाब हमारी जान पर से गुज़र जाता।
forsitan aqua absorbuisset nos
5 उस वक़्त मौजज़न, पानी हमारी जान पर से गुज़र जाता।
torrentem pertransivit anima nostra forsitan pertransisset anima nostra aquam intolerabilem
6 ख़ुदावन्द मुबारक हो, जिसने हमें उनके दाँतों का शिकार न होने दिया।
benedictus Dominus qui non dedit nos in captionem dentibus eorum
7 हमारी जान चिड़िया की तरह चिड़ीमारों के जाल से बच निकली, जाल तो टूट गया और हम बच निकले।
anima nostra sicut passer erepta est de laqueo venantium laqueus contritus est et nos liberati sumus
8 हमारी मदद ख़ुदावन्द के नाम से है, जिसने आसमान और ज़मीन को बनाया।
adiutorium nostrum in nomine Domini qui fecit caelum et terram