< ज़बूर 12 >
1 ऐ ख़ुदावन्द! बचा ले क्यूँकि कोई दीनदार नहीं रहा और अमानत दार लोग बनी आदम में से मिट गये।
Salva, o! Jehová, porque se acabaron los misericordiosos: porque se han acabado los fieles de entre los hijos de los hombres.
2 वह अपने अपने पड़ोसी से झूठ बोलते हैं वह ख़ुशामदी लबों से दो रंगी बातें करते हैं
Mentira habla cada uno con su prójimo con labios lisonjeros: con doblez de corazón, hablan.
3 ख़ुदावन्द सब ख़ुशामदी लबों को और बड़े बोल बोलने वाली ज़बान को काट डालेगा।
Tale Jehová todos los labios lisonjeros: la lengua que habla grandezas.
4 वह कहते हैं, “हम अपनी ज़बान से जीतेंगे, हमारे होंट हमारे ही हैं; हमारा मालिक कौन है?”
Que dijeron: Por nuestra lengua prevaleceremos: nuestros labios están con nosotros, ¿quién nos es Señor?
5 ग़रीबों की तबाही और ग़रीबों कीआह की वजह से, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, कि अब मैं उठूँगा और जिस पर वह फुंकारते हैं उसे अम्न — ओ — अमान में रख्खूँगा।
Por la opresión de los pobres, por el gemido de los menesterosos, ahora me levantaré, dice Jehová: yo pondré en salvo al que el enlaza.
6 ख़ुदावन्द का कलाम पाक है, उस चाँदी की तरह जो भट्टी में मिट्टी पर ताई गई, और सात बार साफ़ की गई हो।
Las palabras de Jehová, palabras limpias: plata refinada en horno de tierra: colada siete veces.
7 तू ही ऐ ख़ुदावन्द उनकी हिफ़ाज़त करेगा, तू ही उनको इस नसल से हमेशा तक बचाए रखेगा।
Tú, Jehová, los guardarás: guárdalos para siempre de aquesta generación.
8 जब बनी आदम में पाजीपन की क़द्र होती है, तो शरीर हर तरफ़ चलते फिरते हैं।
Cercando andan los malos: entretanto las vilezas de los hijos de los hombres son exaltadas.