< ज़बूर 12 >

1 ऐ ख़ुदावन्द! बचा ले क्यूँकि कोई दीनदार नहीं रहा और अमानत दार लोग बनी आदम में से मिट गये।
Salva-nos, Senhor, porque faltam os homens bons; porque são poucos os fieis entre os filhos dos homens.
2 वह अपने अपने पड़ोसी से झूठ बोलते हैं वह ख़ुशामदी लबों से दो रंगी बातें करते हैं
Cada um falla a falsidade ao seu proximo: fallam com labios lisongeiros e coração dobrado.
3 ख़ुदावन्द सब ख़ुशामदी लबों को और बड़े बोल बोलने वाली ज़बान को काट डालेगा।
O Senhor cortará todos os labios lisongeiros e a lingua que falla soberbamente.
4 वह कहते हैं, “हम अपनी ज़बान से जीतेंगे, हमारे होंट हमारे ही हैं; हमारा मालिक कौन है?”
Pois dizem: Com a nossa lingua prevaleceremos: são nossos os beiços; quem é o Senhor sobre nós?
5 ग़रीबों की तबाही और ग़रीबों कीआह की वजह से, ख़ुदावन्द फ़रमाता है, कि अब मैं उठूँगा और जिस पर वह फुंकारते हैं उसे अम्न — ओ — अमान में रख्खूँगा।
Pela oppressão dos miseraveis, pelo gemido dos necessitados me levantarei agora, diz o Senhor; porei em salvo aquelle para quem elles assopram.
6 ख़ुदावन्द का कलाम पाक है, उस चाँदी की तरह जो भट्टी में मिट्टी पर ताई गई, और सात बार साफ़ की गई हो।
As palavras do Senhor são palavras puras, como prata refinada em fornalha de barro, purificada sete vezes.
7 तू ही ऐ ख़ुदावन्द उनकी हिफ़ाज़त करेगा, तू ही उनको इस नसल से हमेशा तक बचाए रखेगा।
Tu os guardarás, Senhor; d'esta geração os livrarás para sempre.
8 जब बनी आदम में पाजीपन की क़द्र होती है, तो शरीर हर तरफ़ चलते फिरते हैं।
Os impios andam cercando, emquanto os mais vis dos filhos dos homens são exaltados.

< ज़बूर 12 >