< ज़बूर 119 >
1 आलेफ मुबारक हैं वह जो कामिल रफ़्तार है, जो ख़ुदा की शरी'अत पर 'अमल करते हैं!
Heureux ceux qui sont irréprochables dans leur voie, qui marchent selon la loi de Yahweh!
2 मुबारक हैं वह जो उसकी शहादतों को मानते हैं, और पूरे दिल से उसके तालिब हैं!
Heureux ceux qui gardent ses enseignements, qui le cherchent de tout leur cœur,
3 उन से नारास्ती नहीं होती, वह उसकी राहों पर चलते हैं।
qui ne commettent pas l’iniquité et qui marchent dans ses voies!
4 तूने अपने क़वानीन दिए हैं, ताकि हम दिल लगा कर उनकी मानें।
Tu as prescrit tes ordonnances, pour qu’on les observe avec soin.
5 काश कि तेरे क़ानून मानने के लिए, मेरी चाल चलन दुरुस्त हो जाएँ!
Puissent mes voies être dirigées, pour que j’observe tes lois!
6 जब मैं तेरे सब अहकाम का लिहाज़ रख्खूँगा, तो शर्मिन्दा न हूँगा।
Alors je n’aurai pas à rougir, à la vue de tous tes commandements.
7 जब मैं तेरी सदाक़त के अहकाम सीख लूँगा, तो सच्चे दिल से तेरा शुक्र अदा करूँगा।
Je te louerai dans la droiture de mon cœur, en apprenant les préceptes de ta justice.
8 मैं तेरे क़ानून मानूँगा; मुझे बिल्कुल छोड़ न दे!
Je veux garder tes lois: ne me délaisse pas complètement.
9 बेथ जवान अपने चाल चलन किस तरह पाक रख्खे? तेरे कलाम के मुताबिक़ उस पर निगाह रखने से।
Comment le jeune homme rendra-t-il pur son sentier? En se gardant selon ta parole.
10 मैं पूरे दिल से तेरा तालिब हुआ हूँ: मुझे अपने फ़रमान से भटकने न दे।
Je te cherche de tout mon cœur: ne me laisse pas errer loin de tes commandements.
11 मैंने तेरे कलाम को अपने दिल में रख लिया है ताकि मैं तेरे ख़िलाफ़ गुनाह न करूँ।
Je garde ta parole cachée dans mon cœur, afin de ne pas pécher contre toi.
12 ऐ ख़ुदावन्द! तू मुबारक है; मुझे अपने क़ानून सिखा!
Béni sois-tu, Yahweh! Enseigne-moi tes lois.
13 मैंने अपने लबों से, तेरे फ़रमूदा अहकाम को बयान किया।
De mes lèvres j’énumère tous les préceptes de ta bouche.
14 मुझे तेरी शहादतों की राह से ऐसी ख़ुशी हुई, जैसी हर तरह की दौलत से होती है।
J’ai de la joie à suivre tes enseignements, comme si je possédais tous les trésors.
15 मैं तेरे क़वानीन पर ग़ौर करूँगा, और तेरी राहों का लिहाज़ रख्खूँगा।
Je veux méditer tes ordonnances, avoir les yeux sur tes sentiers.
16 मैं तेरे क़ानून में मसरूर रहूँगा; मैं तेरे कलाम को न भूलूँगा।
Je fais mes délices de tes lois, je n’oublierai pas ta parole.
17 गिमेल अपने बन्दे पर एहसान कर ताकि मैं जिन्दा रहूँ और तेरे कलाम को मानता रहूँ।
Use de bonté envers ton serviteur, afin que je vive, et j’observerai ta parole.
18 मेरी आँखे खोल दे, ताकि मैं तेरी शरीअत के 'अजायब देखूँ।
Ouvre mes yeux, pour que je contemple les merveilles de ta loi.
19 मैं ज़मीन पर मुसाफ़िर हूँ, अपने फ़रमान मुझ से छिपे न रख।
Je suis un étranger sur la terre: ne me cache pas tes commandements.
20 मेरा दिल तेरे अहकाम के इश्तियाक में, हर वक़्त तड़पता रहता है।
Mon âme est brisée par le désir, qui toujours la porte vers tes préceptes.
21 तूने उन मला'ऊन मग़रूरों को झिड़क दिया, जो तेरे फ़रमान से भटकते रहते हैं।
Tu menaces les orgueilleux, ces maudits, qui s’égarent loin de tes commandements.
22 मलामत और हिक़ारत को मुझ से दूर कर दे, क्यूँकि मैंने तेरी शहादतें मानी हैं।
Eloigne de moi la honte et le mépris, car j’observe tes enseignements.
23 उमरा भी बैठकर मेरे ख़िलाफ़ बातें करते रहे, लेकिन तेरा बंदा तेरे क़ानून पर ध्यान लगाए रहा।
Que les princes siègent et parlent contre moi: ton serviteur méditera tes lois.
24 तेरी शहादतें मुझे पसन्द, और मेरी मुशीर हैं।
Oui, tes enseignements font mes délices, ce sont les hommes de mon conseil.
25 दाल्थ मेरी जान ख़ाक में मिल गई: तू अपने कलाम के मुताबिक़ मुझे ज़िन्दा कर।
Mon âme est attachée à la poussière: rends-moi la vie, selon ta parole!
26 मैंने अपने चाल चलन का इज़हार किया और तूने मुझे जवाब दिया; मुझे अपने क़ानून की ता'लीम दे।
Je t’ai exposé mes voies, et tu m’as répondu: enseigne-moi tes lois.
27 अपने क़वानीन की राह मुझे समझा दे, और मैं तेरे 'अजायब पर ध्यान करूँगा।
Fais-moi comprendre la voie de tes ordonnances, et je méditerai sur tes merveilles.
28 ग़म के मारे मेरी जान घुली जाती है; अपने कलाम के मुताबिक़ मुझे ताक़त दे।
Mon âme, attristée, se fond en larmes: relève-moi selon ta parole.
29 झूट की राह से मुझे दूर रख, और मुझे अपनी शरी'अत इनायत फ़रमा।
Eloigne de moi la voie du mensonge, et accorde-moi la faveur de ta loi.
30 मैंने वफ़ादारी की राह इख़्तियार की है, मैंने तेरे अहकाम अपने सामने रख्खे हैं।
J’ai choisi la voie de la fidélité, je place tes préceptes sous mes yeux.
31 मैं तेरी शहादतों से लिपटा हुआ हूँ, ऐ ख़ुदावन्द! मुझे शर्मिन्दा न होने दे!
Je me suis attaché à tes enseignements: Yahweh, ne permets pas que je sois confondu.
32 जब तू मेरा हौसला बढ़ाएगा, तो मैं तेरे फ़रमान की राह में दौड़ूँगा।
Je cours dans la voie de tes commandements, car tu élargis mon cœur.
33 हे ऐ ख़ुदावन्द, मुझे अपने क़ानून की राह बता, और मैं आख़िर तक उस पर चलूँगा।
Enseigne-moi, Yahweh, la voie de tes préceptes, afin que je la garde jusqu’à la fin de ma vie.
34 मुझे समझ 'अता कर और मैं तेरी शरी'अत पर चलूँगा, बल्कि मैं पूरे दिल से उसको मानूँगा।
Donne-moi l’intelligence pour que je garde ta loi, et que je l’observe de tout mon cœur.
35 मुझे अपने फ़रमान की राह पर चला, क्यूँकि इसी में मेरी ख़ुशी है।
Conduis-moi dans le sentier de tes commandements, car j’y trouve le bonheur.
36 मेरे दिल की अपनी शहादतों की तरफ़ रुजू' दिला; न कि लालच की तरफ़।
Incline mon cœur vers tes enseignements, et non vers le gain.
37 मेरी आँखों को बेकारी पर नज़र करने से बाज़ रख, और मुझे अपनी राहों में ज़िन्दा कर।
Détourne mes yeux pour qu’ils ne voient pas la vanité, fais-moi vivre dans ta voie.
38 अपने बन्दे के लिए अपना वह क़ौल पूरा कर, जिस से तेरा खौफ़ पैदा होता है।
Accomplis envers ton serviteur ta promesse, que tu as faite à ceux qui te craignent.
39 मेरी मलामत को जिस से मैं डरता हूँ दूर कर दे; क्यूँकि तेरे अहकाम भले हैं।
Ecarte de moi l’opprobre que je redoute, car tes préceptes sont bons.
40 देख, मैं तेरे क़वानीन का मुश्ताक़ रहा हूँ; मुझे अपनी सदाक़त से ज़िन्दा कर।
Je désire ardemment pratiquer tes ordonnances: par ta justice, fais-moi vivre.
41 वाव ऐ ख़ुदावन्द, तेरे क़ौल के मुताबिक़, तेरी शफ़क़त और तेरी नजात मुझे नसीब हों,
Que vienne sur moi ta miséricorde, Yahweh, et ton salut, selon ta parole!
42 तब मैं अपने मलामत करने वाले को जवाब दे सकूँगा, क्यूँकि मैं तेरे कलाम पर भरोसा रखता हूँ।
Et je pourrai répondre à celui qui m’outrage, car je me confie en ta parole.
43 और हक़ बात को मेरे मुँह से हरगिज़ जुदा न होने दे, क्यूँकि मेरा भरोसा तेरे अहकाम पर है।
N’ôte pas entièrement de ma bouche la parole de vérité, car j’espère en tes préceptes.
44 फिर मैं हमेशा से हमेशा तक, तेरी शरी'अत को मानता रहूँगा
Je veux garder ta loi constamment, toujours et à perpétuité.
45 और मैं आज़ादी से चलूँगा, क्यूँकि मैं तेरे क़वानीन का तालिब रहा हूँ।
Je marcherai au large, car je recherche tes ordonnances.
46 मैं बादशाहों के सामने तेरी शहादतों का बयान करूँगा, और शर्मिन्दा न हूँगा।
Je parlerai de tes enseignements devant les rois, et je n’aurai pas de honte.
47 तेरे फ़रमान मुझे अज़ीज़ हैं, मैं उनमें मसरूर रहूँगा।
Je ferai mes délices de tes commandements, car je les aime.
48 मैं अपने हाथ तेरे फ़रमान की तरफ़ जो मुझे 'अज़ीज़ है उठाऊँगा, और तेरे क़ानून पर ध्यान करूँगा।
J’élèverai mes mains vers tes commandements que j’aime, et je méditerai tes lois.
49 ज़ैन जो कलाम तूने अपने बन्दे से किया उसे याद कर, क्यूँकि तूने मुझे उम्मीद दिलाई है।
Souviens-toi de la parole donnée à ton serviteur, sur laquelle tu fais reposer mon espérance.
50 मेरी मुसीबत में यही मेरी तसल्ली है, कि तेरे कलाम ने मुझे ज़िन्दा किया
C’est ma consolation dans la misère, que ta parole me rende la vie.
51 मग़रूरों ने मुझे बहुत ठठ्ठों में उड़ाया, तोभी मैंने तेरी शरी'अत से किनारा नहीं किया
Des orgueilleux me prodiguent leurs railleries: je ne m’écarte pas de ta loi.
52 ऐ ख़ुदावन्द! मैं तेरे क़दीम अहकाम को याद करता, और इत्मीनान पाता रहा हूँ।
Je pense à tes préceptes des temps passés, Yahweh, et je me console.
53 उन शरीरों की वजह से जो तेरी शरी'अत को छोड़ देते हैं, मैं सख़्त ग़ुस्से में आ गया हूँ।
L’indignation me saisit à cause des méchants, qui abandonnent ta loi.
54 मेरे मुसाफ़िर ख़ाने में, तेरे क़ानून मेरी हम्द रहे हैं।
Tes lois sont le sujet de mes cantiques, dans le lieu de mon pèlerinage.
55 ऐ ख़ुदावन्द, रात को मैंने तेरा नाम याद किया है, और तेरी शरी'अत पर 'अमल किया है।
La nuit je me rappelle ton nom, Yahweh, et j’observe ta loi.
56 यह मेरे लिए इसलिए हुआ, कि मैंने तेरे क़वानीन को माना।
Voici la part qui m’est donnée: je garde tes ordonnances.
57 हेथ ख़ुदावन्द मेरा बख़रा है; मैंने कहा है मैं तेरी बातें मानूँगा।
Ma part, Yahweh, je le dis, c’est de garder tes paroles.
58 मैं पूरे दिल से तेरे करम का तलब गार हुआ; अपने कलाम के मुताबिक़ मुझ पर रहम कर!
Je t’implore de tout mon cœur; aie pitié de moi selon ta parole.
59 मैंने अपनी राहों पर ग़ौर किया, और तेरी शहादतों की तरफ़ अपने कदम मोड़े।
Je réfléchis à mes voies, et je ramène mes pas vers tes enseignements.
60 मैंने तेरे फ़रमान मानने में, जल्दी की और देर न लगाई।
Je me hâte, je ne diffère point d’observer tes commandements.
61 शरीरों की रस्सियों ने मुझे जकड़ लिया, लेकिन मैं तेरी शरी'अत को न भूला।
Les pièges des méchants m’environnent, et je n’oublie pas ta loi.
62 तेरी सदाकत के अहकाम के लिए, मैं आधी रात को तेरा शुक्र करने को उठूँगा।
Au milieu de la nuit, je me lève pour te louer, à cause des jugements de ta justice.
63 मैं उन सबका साथी हूँ जो तुझ से डरते हैं, और उनका जो तेरे क़वानीन को मानते हैं।
Je suis l’ami de tous ceux qui te craignent, et de ceux qui gardent tes ordonnances.
64 ऐ ख़ुदावन्द, ज़मीन तेरी शफ़क़त से मा'मूर है; मुझे अपने क़ानून सिखा!
La terre est pleine de ta bonté, Yahweh: enseigne-moi tes lois.
65 टेथ ऐ ख़ुदावन्द! तूने अपने कलाम के मुताबिक़, अपने बन्दे के साथ भलाई की है।
Tu as usé de bonté envers ton serviteur, Yahweh, selon ta parole.
66 मुझे सही फ़र्क़ और 'अक़्ल सिखा, क्यूँकि मैं तेरे फ़रमान पर ईमान लाया हूँ।
Enseigne-moi le sens droit et l’intelligence, car j’ai foi en tes commandements.
67 मैं मुसीबत उठाने से पहले गुमराह था; लेकिन अब तेरे कलाम को मानता हूँ।
Avant d’avoir été humilié, je m’égarais; maintenant, j’observe ta parole.
68 तू भला है और भलाई करता है; मुझे अपने क़ानून सिखा।
Tu es bon et bienfaisant: enseigne-moi tes lois.
69 मग़रूरों ने मुझ पर बहुतान बाँधा है; मैं पूरे दिल से तेरे क़वानीन को मानूँगा।
Des orgueilleux imaginent contre moi des mensonges; moi, je garde de tout cœur tes ordonnances.
70 उनके दिल चिकनाई से फ़र्बा हो गए, लेकिन मैं तेरी शरी'अत में मसरूर हूँ।
Leur cœur est insensible comme la graisse; moi, je fais mes délices de ta loi.
71 अच्छा हुआ कि मैंने मुसीबत उठाई, ताकि तेरे क़ानून सीख लूँ।
Il m’est bon d’avoir été humilié, afin que j’apprenne tes préceptes.
72 तेरे मुँह की शरी'अत मेरे लिए, सोने चाँदी के हज़ारों सिक्कों से बेहतर है।
Mieux vaut pour moi la loi de ta bouche; que des monceaux d’or et d’argent.
73 योध तेरे हाथों ने मुझे बनाया और तरतीब दी; मुझे समझ 'अता कर ताकि तेरे फ़रमान सीख लें।
Ce sont tes mains qui m’ont fait et qui m’ont façonné: donne-moi l’intelligence pour apprendre tes commandements.
74 तुझ से डरने वाले मुझे देख कर इसलिए कि मुझे तेरे कलाम पर भरोसा है।
Ceux qui te craignent, en me voyant, se réjouiront, car j’ai confiance en ta parole.
75 ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरे अहकाम की सदाक़त को जानता हूँ, और यह कि वफ़ादारी ही से तूने मुझे दुख; में डाला।
Je sais, Yahweh, que tes jugements sont justes; c’est dans ta fidélité que tu m’as humilié.
76 उस कलाम के मुताबिक़ जो तूनेअपने बन्दे से किया, तेरी शफ़क़त मेरी तसल्ली का ज़रिया' हो।
Que ta bonté soit ma consolation, selon ta parole donnée à ton serviteur!
77 तेरी रहमत मुझे नसीब हो ताकि मैं ज़िन्दा रहूँ। क्यूँकि तेरी शरी'अत मेरी ख़ुशनूदी है।
Que ta compassion vienne sur moi, et que je vive, car ta loi fait mes délices!
78 मग़रूर शर्मिन्दा हों, क्यूँकि उन्होंने नाहक़ मुझे गिराया, लेकिन मैं तेरे क़वानीन पर ध्यान करूँगा।
Qu’ils soient confondus les orgueilleux qui me maltraitent injustement! Moi, je médite tes ordonnances.
79 तुझ से डरने वाले मेरी तरफ़ रुजू हों, तो वह तेरी शहादतों को जान लेंगे।
Qu’ils se tournent vers moi ceux qui te craignent, et ceux qui connaissent tes enseignements!
80 मेरा दिल तेरे क़ानून मानने में कामिल रहे, ताकि मैं शर्मिन्दगी न उठाऊँ।
Que mon cœur soit tout entier à tes lois, afin que je ne sois pas confondu!
81 क़ाफ मेरी जान तेरी नजात के लिए बेताब है, लेकिन मुझे तेरे कलाम पर भरोसा है।
Mon âme languit après ton salut, j’espère en ta parole.
82 तेरे कलाम के इन्तिज़ार में मेरी आँखें रह गई, मैं यही कहता रहा कि तू मुझे कब तसल्ली देगा?
Mes yeux languissent après ta promesse, je dis: « Quand me consoleras-tu? »
83 मैं उस मश्कीज़े की तरह हो गया जो धुएँ में हो, तोभी मैं तेरे क़ानून को नहीं भूलता।
Car je suis comme une outre exposée à la fumée, mais je n’oublie pas tes lois.
84 तेरे बन्दे के दिन ही कितने हैं? तू मेरे सताने वालों पर कब फ़तवा देगा?
Quel est le nombre des jours de ton serviteur? Quand donc feras-tu justice de ceux qui me poursuivent?
85 मग़रूरों ने जो तेरी शरी'अत के पैरौ नहीं, मेरे लिए गढ़े खोदे हैं।
Des orgueilleux creusent des fosses pour me perdre; ils sont les adversaires de ta loi.
86 तेरे सब फ़रमान बरहक़ हैं: वह नाहक़ मुझे सताते हैं; तू मेरी मदद कर!
Tous tes commandements sont fidélité; ils me persécutent sans cause: secours-moi.
87 उन्होंने मुझे ज़मीन पर से फ़नाकर ही डाला था, लेकिन मैंने तेरे कवानीन को न छोड़ा।
Ils ont failli m’anéantir dans le pays; et moi je n’abandonne pas tes ordonnances.
88 तू मुझे अपनी शफ़क़त के मुताबिक़ ज़िन्दा कर, तो मैं तेरे मुँह की शहादत को मानूँगा।
Rends-moi la vie dans ta bonté, et j’observerai l’enseignement de ta bouche.
89 लामेध ऐ ख़ुदावन्द! तेरा कलाम, आसमान पर हमेशा तक क़ाईम है।
A jamais, Yahweh, ta parole est établie dans les cieux.
90 तेरी वफ़ादारी नसल दर नसल है; तूने ज़मीन को क़याम बख़्शा और वह क़ाईम है।
D’âge en âge ta fidélité demeure; tu as fondé la terre, et elle subsiste.
91 वह आज तेरे अहकाम के मुताबिक़ क़ाईम हैं क्यूँकि सब चीजें तेरी ख़िदमत गुज़ार हैं।
C’est d’après tes lois que tout subsiste jusqu’à ce jour, car tout obéit à tes ordres.
92 अगर तेरी शरी'अत मेरी ख़ुशनूदी न होती, तो मैं अपनी मुसीबत में हलाक हो जाता।
Si ta loi ne faisait mes délices, déjà j’aurais péri dans ma misère.
93 मैं तेरे क़वानीन को कभी न भूलूँगा, क्यूँकि तूने उन्ही के वसीले से मुझे ज़िन्दा किया है।
Je n’oublierai jamais tes ordonnances, car c’est par elles que tu m’as rendu la vie.
94 मैं तेरा ही हूँ मुझे बचा ले, क्यूँकि मैं तेरे क़वानीन का तालिब रहा हूँ।
Je suis à toi: sauve-moi, car je recherche tes préceptes.
95 शरीर मुझे हलाक करने को घात में लगे रहे, लेकिन मैं तेरी शहादतों पर ग़ौर करूँगा।
Les méchants m’attendent pour me faire périr: je suis attentif à tes enseignements.
96 मैंने देखा कि हर कमाल की इन्तिहा है, लेकिन तेरा हुक्म बहुत वसी'अ है।
J’ai vu des bornes à tout ce qui est parfait; ton commandement n’a pas de limites.
97 मीम आह! मैं तेरी शरी'अत से कैसी मुहब्बत रखता हूँ, मुझे दिन भर उसी का ध्यान रहता है।
Combien j’aime ta loi! Elle est tout le jour l’objet de ma méditation.
98 तेरे फ़रमान मुझे मेरे दुश्मनों से ज़्यादा 'अक़्लमंद बनाते हैं, क्यूँकि वह हमेशा मेरे साथ हैं।
Par tes commandements, tu me rends plus sage que mes ennemis, car je les ai toujours avec moi.
99 मैं अपने सब उस्तादों से 'अक़्लमंद हैं, क्यूँकि तेरी शहादतों पर मेरा ध्यान रहता है।
Je suis plus sage que tous mes maîtres, car tes enseignements sont l’objet de ma méditation.
100 मैं उम्र रसीदा लोगों से ज़्यादा समझ रखता हूँ क्यूँकि मैंने तेरे क़वानीन को माना है।
J’ai plus d’intelligence que les vieillards, car j’observe tes ordonnances.
101 मैंने हर बुरी राह से अपने क़दम रोक रख्खें हैं, ताकि तेरी शरी'अत पर 'अमल करूँ।
Je retiens mon pied loin de tout sentier mauvais, afin de garder ta parole.
102 मैंने तेरे अहकाम से किनारा नहीं किया, क्यूँकि तूने मुझे ता'लीम दी है।
Je ne m’écarte pas de tes préceptes, car c’est toi qui m’as instruit.
103 तेरी बातें मेरे लिए कैसी शीरीन हैं, वह मेरे मुँह को शहद से भी मीठी मा'लूम होती हैं!
Que ta parole est douce à mon palais, plus que le miel à ma bouche!
104 तेरे क़वानीन से मुझे समझ हासिल होता है, इसलिए मुझे हर झूटी राह से नफ़रत है।
Par tes ordonnances je deviens intelligent, aussi je hais tous les sentiers du mensonge.
105 नून तेरा कलाम मेरे क़दमों के लिए चराग़, और मेरी राह के लिए रोशनी है।
Ta parole est un flambeau devant mes pas, une lumière sur mon sentier.
106 मैंने क़सम खाई है और उस पर क़ाईम हूँ, कि तेरी सदाक़त के अहकाम पर'अमल करूँगा।
J’ai juré, et j’y serai fidèle, — d’observer les préceptes de ta justice.
107 मैं बड़ी मुसीबत में हूँ। ऐ ख़ुदावन्द! अपने कलाम के मुताबिक़ मुझे ज़िन्दा कर।
Je suis réduit à une extrême affliction: Yahweh, rends-moi la vie, selon ta parole.
108 ऐ ख़ुदावन्द, मेरे मुँह से रज़ा की क़ुर्बानियाँ क़ुबूल फ़रमा और मुझे अपने अहकाम की ता'लीम दे।
Agrée, Yahweh, l’offrande de mes lèvres, et enseigne-moi tes préceptes.
109 मेरी जान हमेशा हथेली पर है, तोभी मैं तेरी शरी'अत को नहीं भूलता।
Ma vie est continuellement dans mes mains, et je n’oublie pas ta loi.
110 शरीरों ने मेरे लिए फंदा लगाया है, तोभी मैं तेरे क़वानीन से नहीं भटका।
Les méchants me tendent des pièges, et je ne m’égare pas loin de tes ordonnances.
111 मैंने तेरी शहादतों को अपनी हमेशा की मीरास बनाया है, क्यूँकि उनसे मेरे दिल को ख़ुशी होती है।
J’ai tes enseignements pour toujours en héritage, car ils sont la joie de mon cœur.
112 मैंने हमेशा के लिए आख़िर तक, तेरे क़ानून मानने पर दिल लगाया है।
J’ai incliné mon cœur à observer tes lois, toujours, jusqu’à la fin.
113 सामेख मुझे दो दिलों से नफ़रत है, लेकिन तेरी शरी'अत से मुहब्बत रखता हूँ।
Je hais les hommes au cœur double, et j’aime ta loi.
114 तू मेरे छिपने की जगह और मेरी ढाल है; मुझे तेरे कलाम पर भरोसा है।
Tu es mon refuge et mon bouclier; j’ai confiance en ta parole.
115 ऐ बदकिरदारो! मुझ से दूर हो जाओ, ताकि मैं अपने ख़ुदा के फ़रमान पर'अमल करूँ!
Retirez-vous de moi, méchants, et j’observerai les commandements de mon Dieu.
116 तू अपने कलाम के मुताबिक़ मुझे संभाल ताकि ज़िन्दा रहूँ, और मुझे अपने भरोसा से शर्मिन्दगी न उठाने दे।
Soutiens-moi selon ta promesse, afin que je vive, et ne permets pas que je sois confondu dans mon espérance.
117 मुझे संभाल और मैं सलामत रहूँगा, और हमेशा तेरे क़ानून का लिहाज़ रखूँगा।
Sois mon appui, et je serai sauvé, et j’aurai toujours tes lois sous les yeux.
118 तूने उन सबको हक़ीर जाना है, जो तेरे क़ानून से भटक जाते हैं; क्यूँकि उनकी दग़ाबाज़ी 'बेकार है।
Tu méprises tous ceux qui s’écartent de tes lois, car leur ruse n’est que mensonge.
119 तू ज़मीन के सब शरीरों को मैल की तरह छाँट देता है; इसलिए में तेरी शहादतों को 'अज़ीज़ रखता हूँ।
Tu rejettes comme des scories tous les méchants de la terre; c’est pourquoi j’aime tes enseignements.
120 मेरा जिस्म तेरे ख़ौफ़ से काँपता है, और मैं तेरे अहकाम से डरता हूँ।
Ma chair frissonne de frayeur devant toi, et je redoute tes jugements.
121 ऐन मैंने 'अद्ल और इन्साफ़ किया है; मुझे उनके हवाले न कर जो मुझ पर ज़ुल्म करते हैं।
J’observe le droit et la justice: ne m’abandonne pas à mes oppresseurs.
122 भलाई के लिए अपने बन्दे का ज़ामिन हो, मग़रूर मुझ पर ज़ुल्म न करें।
Prends sous ta garantie le bien de ton serviteur; et que les orgueilleux ne m’oppriment pas!
123 तेरी नजात और तेरी सदाक़त के कलाम के इन्तिज़ार में मेरी आँखें रह गई।
Mes yeux languissent après ton salut, et après la promesse de ta justice.
124 अपने बन्दे से अपनी शफ़क़त के मुताबिक़ सुलूक कर, और मुझे अपने क़ानून सिखा।
Agis envers ton serviteur selon ta bonté, et enseigne-moi tes lois.
125 मैं तेरा बन्दा हूँ! मुझ को समझ 'अता कर, ताकि तेरी शहादतों को समझ लूँ।
Je suis ton serviteur: donne-moi l’intelligence, pour que je connaisse tes enseignements.
126 अब वक़्त आ गया, कि ख़ुदावन्द काम करे, क्यूँकि उन्होंने तेरी शरी'अत को बेकार कर दिया है।
Il est temps pour Yahweh d’intervenir: ils violent ta loi.
127 इसलिए मैं तेरे फ़रमान को सोने से बल्कि कुन्दन से भी ज़्यादा अज़ीज़ रखता हूँ।
C’est pourquoi j’aime tes commandements, plus que l’or et que l’or fin.
128 इसलिए मैं तेरे सब कवानीन को बरहक़ जानता हूँ, और हर झूटी राह से मुझे नफ़रत है।
C’est pourquoi je trouve justes toutes tes ordonnances, je hais tout sentier de mensonge.
129 पे तेरी शहादतें 'अजीब हैं, इसलिए मेरा दिल उनको मानता है।
Tes enseignements sont merveilleux, aussi mon âme les observe.
130 तेरी बातों की तशरीह नूर बख़्शती है, वह सादा दिलों को 'अक़्लमन्द बनाती है।
La révélation de tes paroles illumine, elle donne l’intelligence aux simples.
131 मैं खू़ब मुँह खोलकर हाँपता रहा, क्यूँकि मैं तेरे फ़रमान का मुश्ताक़ था।
J’ouvre la bouche et j’aspire, car je suis avide de tes commandements.
132 मेरी तरफ़ तवज्जुह कर और मुझ पर रहम फ़रमा, जैसा तेरे नाम से मुहब्बत रखने वालों का हक़ है।
Tourne vers moi ta face et aie pitié de moi; c’est justice envers ceux qui aiment ton nom.
133 अपने कलाम में मेरी रहनुमाई कर, कोई बदकारी मुझ पर तसल्लुत न पाए।
Affermis mes pas dans ta parole, et ne laisse aucune iniquité dominer sur moi.
134 इंसान के ज़ुल्म से मुझे छुड़ा ले, तो तेरे क़वानीन पर 'अमल करूँगा।
Délivre-moi de l’oppression des hommes, et je garderai tes ordonnances.
135 अपना चेहरा अपने बन्दे पर जलवागर फ़रमा, और मुझे अपने क़ानून सिखा।
Fais luire ta face sur ton serviteur, et enseigne-moi tes lois.
136 मेरी आँखों से पानी के चश्मे जारी हैं, इसलिए कि लोग तेरी शरी'अत को नहीं मानते।
Mes yeux répandent des torrents de larmes, parce qu’on n’observe pas ta loi.
137 सांदे ऐ ख़ुदावन्द तू सादिक़ है, और तेरे अहकाम बरहक़ हैं।
Tu es juste, Yahweh, et tes jugements sont équitables.
138 तूने सदाक़त और कमाल वफ़ादारी से, अपनी शहादतों को ज़ाहिर फ़रमाया है।
Tu as donné tes enseignements, selon la justice et une parfaite fidélité.
139 मेरी गै़रत मुझे खा गई, क्यूँकि मेरे मुख़ालिफ़ तेरी बातें भूल गए।
Mon zèle me consume, parce que mes adversaires oublient tes paroles.
140 तेरा कलाम बिल्कुल ख़ालिस है, इसलिए तेरे बन्दे को उससे मुहब्बत है।
Ta parole est entièrement éprouvée, et ton serviteur l’aime.
141 मैं अदना और हक़ीर हूँ, तौ भी मैं तेरे क़वानीन को नहीं भूलता।
Je suis petit et méprisé; mais je n’oublie pas tes ordonnances.
142 तेरी सदाक़त हमेशा की सदाक़त है, और तेरी शरी'अत बरहक़ है।
Ta justice est une justice éternelle, et ta loi est vérité.
143 मैं तकलीफ़ और ऐज़ाब में मुब्तिला, हूँ तोभी तेरे फ़रमान मेरी ख़ुशनूदी हैं।
La détresse et l’angoisse m’ont atteint; tes commandements font mes délices.
144 तेरी शहादतें हमेशा रास्त हैं; मुझे समझ 'अता कर तो मैं ज़िन्दा रहूँगा।
Tes enseignements sont éternellement justes; donne-moi l’intelligence, pour que je vive.
145 क़ाफ मैं पूरे दिल से दुआ करता हूँ, ऐ ख़ुदावन्द, मुझे जवाब दे। मैं तेरे क़ानून पर 'अमल करूँगा।
Je t’invoque de tout mon cœur; exauce-moi, Yahweh, afin que je garde tes lois.
146 मैंने तुझ से दुआ की है, मुझे बचा ले, और मैं तेरी शहादतों को मानूँगा।
Je t’invoque, sauve-moi, afin que j’observe tes enseignements.
147 मैंने पौ फटने से पहले फ़रियाद की; मुझे तेरे कलाम पर भरोसा है।
Je devance l’aurore, et je crie vers toi; j’espère en ta parole.
148 मेरी आँखें रात के हर पहर से पहले खुल गई, ताकि तेरे कलाम पर ध्यान करूँ।
Mes yeux devancent les veilles de la nuit, pour méditer ta parole.
149 अपनी शफ़क़त के मुताबिक़ मेरी फ़रियाद सुन: ऐ ख़ुदावन्द! अपने अहकाम के मुताबिक़ मुझे ज़िन्दा कर।
Ecoute ma voix selon ta bonté; Yahweh, rends-moi la vie selon ton jugement.
150 जो शरारत के दर पै रहते हैं, वह नज़दीक आ गए; वह तेरी शरी'अत से दूर हैं।
Ils s’approchent, ceux qui poursuivent le crime, qui se sont éloignés de ta loi.
151 ऐ ख़ुदावन्द, तू नज़दीक है, और तेरे सब फ़रमान बरहक़ हैं।
Tu es proche, Yahweh, et tous tes commandements sont la vérité.
152 तेरी शहादतों से मुझे क़दीम से मा'लूम हुआ, कि तूने उनको हमेशा के लिए क़ाईम किया है।
Dès longtemps je sais, au sujet de tes enseignements, que tu les as établis pour toujours.
153 रेश मेरी मुसीबत का ख़याल करऔर मुझे छुड़ा, क्यूँकि मैं तेरी शरी'अत को नहीं भूलता।
Vois ma misère, et délivre-moi, car je n’oublie pas ta loi.
154 मेरी वकालत कर और मेरा फ़िदिया दे: अपने कलाम के मुताबिक़ मुझे ज़िन्दा कर।
Défends ma cause et sois mon vengeur, rends-moi la vie selon ta parole.
155 नजात शरीरों से दूर है, क्यूँकि वह तेरे क़ानून के तालिब नहीं हैं।
Le salut est loin des méchants, car ils ne s’inquiètent pas de tes lois.
156 ऐ ख़ुदावन्द! तेरी रहमत बड़ी है; अपने अहकाम के मुताबिक़ मुझे ज़िन्दा कर।
Tes miséricordes sont nombreuses, Yahweh; rends-moi la vie selon tes jugements.
157 मेरे सताने वाले और मुखालिफ़ बहुत हैं, तोभी मैंने तेरी शहादतों से किनारा न किया।
Nombreux sont mes persécuteurs et mes ennemis; je ne m’écarte pas de tes enseignements.
158 मैं दग़ाबाज़ों को देख कर मलूल हुआ, क्यूँकि वह तेरे कलाम को नहीं मानते।
A la vue des infidèles, j’ai ressenti de l’horreur, parce qu’ils n’observent pas ta parole.
159 ख़याल फ़रमा कि मुझे तेरे क़वानीन से कैसी मुहब्बत है! ऐ ख़ुदावन्द! अपनी शफ़क़त के मुताबिक मुझे ज़िन्दा कर।
Considère que j’aime tes ordonnances; Yahweh, rends-moi la vie selon ta bonté.
160 तेरे कलाम का ख़ुलासा सच्चाई है, तेरी सदाक़त के कुल अहकाम हमेशा के हैं।
Le résumé de ta parole est la vérité, et toutes les lois de ta justice sont éternelles.
161 शीन उमरा ने मुझे बे वजह सताया है, लेकिन मेरे दिल में तेरी बातों का ख़ौफ़ है।
Des princes me persécutent sans cause: c’est de tes paroles que mon cœur a de la crainte.
162 मैं बड़ी लूट पाने वाले की तरह, तेरे कलाम से ख़ुश हूँ।
Je me réjouis de ta parole, comme si j’avais trouvé de riches dépouilles.
163 मुझे झूट से नफ़रत और कराहियत है, लेकिन तेरी शरी'अत से मुहब्बत है।
Je hais le mensonge, je l’ai en horreur; j’aime ta loi.
164 मैं तेरी सदाक़त के अहकाम की वजह से, दिन में सात बार तेरी सिताइश करता हूँ।
Sept fois le jour je te loue, à cause des lois de ta justice.
165 तेरी शरी'अत से मुहब्बत रखने वाले मुत्मइन हैं; उनके लिए ठोकर खाने का कोई मौक़ा' नहीं।
Il y a une grande paix pour ceux qui aiment ta loi, et rien ne leur est une cause de chute.
166 ऐ ख़ुदावन्द! मैं तेरी नजात का उम्मीदवार रहा हूँ और तेरे फ़रमान बजा लाया हूँ।
J’espère en ton salut, Yahweh, et je pratique tes commandements.
167 मेरी जान ने तेरी शहादतें मानी हैं, और वह मुझे बहुत 'अज़ीज़ हैं।
Mon âme observe tes enseignements, et elle en est éprise.
168 मैंने तेरे क़वानीन और शहादतों को माना है, क्यूँकि मेरे सब चाल चलन तेरे सामने हैं।
Je garde tes ordonnances et tes enseignements, car toutes mes voies sont devant toi.
169 ताव ऐ ख़ुदावन्द! मेरी फ़रियाद तेरे सामने पहुँचे; अपने कलाम के मुताबिक़ मुझे समझ 'अता कर।
Que mon cri arrive jusqu’à toi, Yahweh! Selon ta parole, donne-moi l’intelligence.
170 मेरी इल्तिजा तेरे सामने पहुँचे, अपने कलाम के मुताबिक़ मुझे छुड़ा।
Que ma supplication parvienne jusqu’à toi! Selon ta parole, délivre-moi.
171 मेरे लबों से तेरी सिताइश हो। क्यूँकि तू मुझे अपने क़ानून सिखाता है।
Que mes lèvres profèrent ta louange, car tu m’as enseigné tes lois!
172 मेरी ज़बान तेरे कलाम का हम्द गाए, क्यूँकि तेरे सब फ़रमान बरहक़ हैं।
Que ma langue publie ta parole, car tous tes commandements sont justes!
173 तेरा हाथ मेरी मदद को तैयार है क्यूँकि मैंने तेरे क़वानीन इख़्तियार, किए हैं।
Que ta main s’étende pour me secourir, car j’ai choisi tes ordonnances!
174 ऐ ख़ुदावन्द! मैं तेरी नजात का मुश्ताक़ रहा हूँ, और तेरी शरी'अत मेरी ख़ुशनूदी है।
Je soupire après ton salut, Yahweh, et ta loi fait mes délices.
175 मेरी जान ज़िन्दा रहे तो वह तेरी सिताइश करेगी, और तेरे अहकाम मेरी मदद करें।
Que mon âme vive pour te louer, et que tes jugements me viennent en aide!
176 मैं खोई हुई भेड़ की तरह भटक गया हूँ अपने बन्दे की तलाश कर, क्यूँकि मैं तेरे फ़रमान को नहीं भूलता।
Je suis errant comme une brebis égarée: cherche ton serviteur; car je n’oublie pas tes commandements.