< ज़बूर 116 >

1 मैं ख़ुदावन्द से मुहब्बत रखता हूँ क्यूँकि उसने मेरी फ़रियाद और मिन्नत सुनी है
Alleluja. Dilexi, quoniam exaudiet Dominus vocem orationis meæ.
2 चुँकि उसने मेरी तरफ़ कान लगाया, इसलिए मैं उम्र भर उससे दू'आ करूँगा
Quia inclinavit aurem suam mihi, et in diebus meis invocabo.
3 मौत की रस्सियों ने मुझे जकड़ लिया, और पाताल के दर्द मुझ पर आ पड़े; मैं दुख और ग़म में गिरफ़्तार हुआ। (Sheol h7585)
Circumdederunt me dolores mortis; et pericula inferni invenerunt me. Tribulationem et dolorem inveni, (Sheol h7585)
4 तब मैंने ख़ुदावन्द से दुआ की, ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरी मिन्नत करता हूँ मेरी जान की रिहाई बख्श!
et nomen Domini invocavi: o Domine, libera animam meam.
5 ख़ुदावन्द सादिक़ और करीम है; हमारा ख़ुदा रहीम है।
Misericors Dominus et justus, et Deus noster miseretur.
6 ख़ुदावन्द सादा लोगों की हिफ़ाज़त करता है; मैं पस्त हो गया था, उसी ने मुझे बचा लिया।
Custodiens parvulos Dominus; humiliatus sum, et liberavit me.
7 ऐ मेरी जान, फिर मुत्मइन हो; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने तुझ पर एहसान किया है।
Convertere, anima mea, in requiem tuam, quia Dominus benefecit tibi:
8 इसलिए के तूने मेरी जान को मौत से, मेरी आँखों को आँसू बहाने से, और मेरे पाँव को फिसलने से बचाया है।
quia eripuit animam meam de morte, oculos meos a lacrimis, pedes meos a lapsu.
9 मैं ज़िन्दों की ज़मीन में, ख़ुदावन्द के सामने चलता रहूँगा।
Placebo Domino in regione vivorum.
10 मैं ईमान रखता हूँ इसलिए यह कहूँगा, मैं बड़ी मुसीबत में था।
Alleluja. Credidi, propter quod locutus sum; ego autem humiliatus sum nimis.
11 मैंने जल्दबाज़ी से कह दिया, कि “सब आदमी झूटे हैं।”
Ego dixi in excessu meo: Omnis homo mendax.
12 ख़ुदावन्द की सब ने'मतें जो मुझे मिलीं, मैं उनके बदले में उसे क्या दूँ?
Quid retribuam Domino pro omnibus quæ retribuit mihi?
13 मैं नजात का प्याला उठाकर, ख़ुदावन्द से दुआ करूँगा।
Calicem salutaris accipiam, et nomen Domini invocabo.
14 मैं ख़ुदावन्द के सामने अपनी मन्नतें, उसकी सारी क़ौम के सामने पूरी करूँगा।
Vota mea Domino reddam coram omni populo ejus.
15 ख़ुदावन्द की निगाह में, उसके पाक लोगों की मौत गिरा क़द्र है।
Pretiosa in conspectu Domini mors sanctorum ejus.
16 आह! ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरा बन्दा हूँ। मैं तेरा बन्दा, तेरी लौंडी का बेटा हूँ। तूने मेरे बन्धन खोले हैं।
O Domine, quia ego servus tuus; ego servus tuus, et filius ancillæ tuæ. Dirupisti vincula mea:
17 मैं तेरे सामने शुक्रगुज़ारी की कु़र्बानी पेश करूँगा और ख़ुदावन्द से दुआ करूँगा।
tibi sacrificabo hostiam laudis, et nomen Domini invocabo.
18 मैं ख़ुदावन्द के सामने अपनी मन्नतें, उसकी सारी क़ौम के सामने पूरी करूँगा।
Vota mea Domino reddam in conspectu omnis populi ejus;
19 ख़ुदावन्द के घर की बारगाहों में, तेरे अन्दर ऐ येरूशलेम! ख़ुदावन्द की हम्द करो।
in atriis domus Domini, in medio tui, Jerusalem.

< ज़बूर 116 >