< ज़बूर 116 >
1 मैं ख़ुदावन्द से मुहब्बत रखता हूँ क्यूँकि उसने मेरी फ़रियाद और मिन्नत सुनी है
J’Aime que l’Eternel écoute ma voix, mes supplications,
2 चुँकि उसने मेरी तरफ़ कान लगाया, इसलिए मैं उम्र भर उससे दू'आ करूँगा
qu’il incline son oreille vers moi, alors que je l’invoque chaque jour de ma vie.
3 मौत की रस्सियों ने मुझे जकड़ लिया, और पाताल के दर्द मुझ पर आ पड़े; मैं दुख और ग़म में गिरफ़्तार हुआ। (Sheol )
Les liens de la mort m’avaient enveloppé, les angoisses du Cheol m’avaient étreint; j’avais éprouvé détresse et douleurs. (Sheol )
4 तब मैंने ख़ुदावन्द से दुआ की, ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरी मिन्नत करता हूँ मेरी जान की रिहाई बख्श!
Mais j’ai invoqué le nom du Seigneur: "Ah! de grâce, Seigneur, sauve mon âme!"
5 ख़ुदावन्द सादिक़ और करीम है; हमारा ख़ुदा रहीम है।
Clément est l’Eternel et juste, notre Dieu est compatissant.
6 ख़ुदावन्द सादा लोगों की हिफ़ाज़त करता है; मैं पस्त हो गया था, उसी ने मुझे बचा लिया।
L’Eternel protège les simples; j’étais abaissé, et il m’a porté secours.
7 ऐ मेरी जान, फिर मुत्मइन हो; क्यूँकि ख़ुदावन्द ने तुझ पर एहसान किया है।
Reviens, ô mon âme, à ta quiétude, car l’Eternel te comble de ses bienfaits.
8 इसलिए के तूने मेरी जान को मौत से, मेरी आँखों को आँसू बहाने से, और मेरे पाँव को फिसलने से बचाया है।
Oui, tu as préservé mon âme de la mort, mes yeux des larmes, mes pieds de la chute.
9 मैं ज़िन्दों की ज़मीन में, ख़ुदावन्द के सामने चलता रहूँगा।
Je circulerai devant le Seigneur, dans les terres des vivants.
10 मैं ईमान रखता हूँ इसलिए यह कहूँगा, मैं बड़ी मुसीबत में था।
Je suis plein de foi quand je parle, si humilié que je puisse être.
11 मैंने जल्दबाज़ी से कह दिया, कि “सब आदमी झूटे हैं।”
Pourtant j’avais dit dans ma précipitation: "Tout dans l’homme est trompeur!"
12 ख़ुदावन्द की सब ने'मतें जो मुझे मिलीं, मैं उनके बदले में उसे क्या दूँ?
Que ferai-je pour l’Eternel en retour de toutes ses bontés pour moi?
13 मैं नजात का प्याला उठाकर, ख़ुदावन्द से दुआ करूँगा।
Je lèverai la coupe du salut, et proclamerai le nom de l’Eternel.
14 मैं ख़ुदावन्द के सामने अपनी मन्नतें, उसकी सारी क़ौम के सामने पूरी करूँगा।
Mes vœux, je les acquitterai envers l’Eternel, à la face de tout son peuple.
15 ख़ुदावन्द की निगाह में, उसके पाक लोगों की मौत गिरा क़द्र है।
Une chose précieuse aux regards de l’Eternel, c’est la mort de ses pieux serviteurs.
16 आह! ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरा बन्दा हूँ। मैं तेरा बन्दा, तेरी लौंडी का बेटा हूँ। तूने मेरे बन्धन खोले हैं।
Oh! grâce, Seigneur, car je suis ton serviteur, je suis ton serviteur, fils de ta servante: puisses-tu dénouer mes liens!
17 मैं तेरे सामने शुक्रगुज़ारी की कु़र्बानी पेश करूँगा और ख़ुदावन्द से दुआ करूँगा।
A toi, j’offrirai un sacrifice de reconnaissance, et je proclamerai le nom du Seigneur.
18 मैं ख़ुदावन्द के सामने अपनी मन्नतें, उसकी सारी क़ौम के सामने पूरी करूँगा।
Mes vœux, je les acquitterai envers l’Eternel, à la face de tout son peuple,
19 ख़ुदावन्द के घर की बारगाहों में, तेरे अन्दर ऐ येरूशलेम! ख़ुदावन्द की हम्द करो।
dans les parvis de la maison de l’Eternel, dans ton enceinte, ô Jérusalem. Alléluia!