< ज़बूर 109 >
1 ऐ ख़ुदा मेरे महमूद ख़ामोश न रह!
HOLD not thy peace, O God of my praise;
2 क्यूँकि शरीरों और दग़ाबाज़ों ने मेरे ख़िलाफ़ मुँह खोला है, उन्होंने झूठी ज़बान से मुझ से बातें की हैं।
For the mouth of the wicked and the mouth of the deceitful are opened against me: they have spoken against me with a lying tongue.
3 उन्होंने 'अदावत की बातों से मुझे घेर लिया, और बे वजह मुझ से लड़े हैं।
They compassed me about also with words of hatred; and fought against me without a cause.
4 वह मेरी मुहब्बत की वजह से मेरे मुख़ालिफ़ हैं, लेकिन मैं तो बस दुआ करता हूँ।
For my love they are my adversaries: but I give myself unto prayer.
5 उन्होंने नेकी के बदले मुझ से बदी की है, और मेरी मुहब्बत के बदले' अदावत।
And they have rewarded me evil for good, and hatred for my love.
6 तू किसी शरीर आदमी को उस पर मुक़र्रर कर दे और कोई मुख़ालिफ़ उनके दहने हाथ खड़ा रहे
Set thou a wicked man over him: and let Satan stand at his right hand.
7 जब उसकी 'अदालत हो तो वह मुजरिम ठहरे, और उसकी दुआ भी गुनाह गिनी जाए!
When he shall be judged, let him be condemned: and let his prayer become sin.
8 उसकी उम्र कोताह हो जाए, और उसका मन्सब कोई दूसरा ले ले!
Let his days be few; and let another take his office.
9 उसके बच्चे यतीम हो जाएँ, और उसकी बीवी बेवा हो जाए!
Let his children be fatherless, and his wife a widow.
10 उसके बच्चे आवारा होकर भीक माँगे; उनको अपने वीरान मकामों से दूर जाकर टुकड़े माँगना पड़ें!
Let his children be continually vagabonds, and beg: let them seek their bread also out of their desolate places.
11 क़र्ज़ के तलबगार उसका सब कुछ छीन ले, और परदेसी उसकी कमाई लूट लें।
Let the extortioner catch all that he hath; and let the strangers spoil his labour.
12 कोई न हो जो उस पर शफ़क़त करे, न कोई उसके यतीम बच्चों पर तरस खाए!
Let there be none to extend mercy unto him: neither let there be any to favour his fatherless children.
13 उसकी नसल कट जाए, और दूसरी नसल में उनका नाम मिटा दिया जाए!
Let his posterity be cut off; and in the generation following let their name be blotted out.
14 उसके बाप — दादा की बदी ख़ुदावन्द के सामने याद रहे, और उसकी माँ का गुनाह मिटाया न जाए!
Let the iniquity of his fathers be remembered with the Lord; and let not the sin of his mother be blotted out.
15 वह बराबर ख़ुदावन्द के सामने रहें, ताकि वह ज़मीन पर से उनका ज़िक्र मिटा दे!
Let them be before the Lord continually, that he may cut off the memory of them from the earth.
16 इसलिए कि उसने रहम करना याद नरख्खा, लेकिन ग़रीब और मुहताज और शिकस्तादिल को सताया, ताकि उनको मार डाले।
Because that he remembered not to shew mercy, but persecuted the poor and needy man, that he might even slay the broken in heart.
17 बल्कि ला'नत करना उसे पसंद था, इसलिए वही उस पर आ पड़ी; और दुआ देना उसे पसन्द न था, इसलिए वह उससे दूर रही
As he loved cursing, so let it come unto him: as he delighted not in blessing, so let it be far from him.
18 उसने ला'नत को अपनी पोशाक की तरह पहना, और वह पानी की तरह उसके बातिन में, और तेल की तरह उसकी हड़िडयों में समा गई।
As he clothed himself with cursing like as with his garment, so let it come into his bowels like water, and like oil into his bones.
19 वह उसके लिए उस पोशाक की तरह हो जिसे वह पहनता है, और उस पटके की जगह, जिससे वह अपनी कमर कसे रहता है।
Let it be unto him as the garment which covereth him, and for a girdle wherewith he is girded continually.
20 ख़ुदावन्द की तरफ़ से मेरे मुख़ालिफ़ों का, और मेरी जान को बुरा कहने वालों का यही बदला है!
Let this be the reward of mine adversaries from the Lord, and of them that speak evil against my soul.
21 लेकिन ऐ मालिक ख़ुदावन्द, अपने नाम की ख़ातिर मुझ पर एहसान कर; मुझे छुड़ा क्यूँकि तेरी शफ़क़त खू़ब है!
But do thou for me, O God the Lord, for thy name’s sake: because thy mercy is good, deliver thou me.
22 इसलिए कि मैं ग़रीब और मुहताज हूँ, और मेरा दिल मेरे पहलू में ज़ख़्मी है।
For I am poor and needy, and my heart is wounded within me.
23 मैं ढलते साये की तरह जाता रहा; मैंटिड्डी की तरह उड़ा दिया गया।
I am gone like the shadow when it declineth: I am tossed up and down as the locust.
24 फ़ाक़ा करते करते मेरे घुटने कमज़ोर हो गए, और चिकनाई की कमी से मेरा जिस्म सूख गया।
My knees are weak through fasting; and my flesh faileth of fatness.
25 मैं उनकी मलामत का निशाना बन गया हूँ जब वह मुझे देखते हैं तो सिर हिलाते हैं।
I became also a reproach unto them: when they looked upon me they shaked their heads.
26 ऐ ख़ुदावन्द मेरे ख़ुदा, मेरी मदद कर! अपनी शफ़क़त के मुताबिक़ मुझे बचा ले।
Help me, O Lord my God: O save me according to thy mercy:
27 ताकि वह जान लें कि इसमें तेरा हाथ है, और तू ही ने ऐ ख़ुदावन्द, यह किया है!
That they may know that this is thy hand; that thou, Lord, hast done it.
28 वह ला'नत करते रहें, लेकिन तू बरकत दे! वह जब उठेगे तो शर्मिन्दा होंगे, लेकिन तेरा बन्दा ख़ुश होगा!
Let them curse, but bless thou: when they arise, let them be ashamed; but let thy servant rejoice.
29 मेरे मुख़ालिफ़ ज़िल्लत से मुलब्बस हो जाएँ और अपनी ही शर्मिन्दगी की चादर की तरह ओढ़ लें।
Let mine adversaries be clothed with shame, and let them cover themselves with their own confusion, as with a mantle.
30 मैं अपने मुँह से ख़ुदावन्द का बड़ा शुक्र करूँगा, बल्कि बड़ी भीड़ में उसकी हम्द करूँगा।
I will greatly praise the Lord with my mouth; yea, I will praise him among the multitude.
31 क्यूँकि वह मोहताज के दहने हाथ खड़ा होगा, ताकि उसकी जान पर फ़तवा देने वालों से उसे रिहाई दे।
For he shall stand at the right hand of the poor, to save him from those that condemn his soul.