< ज़बूर 102 >
1 ऐ ख़ुदावन्द! मेरी दुआ सुन और मेरी फ़रियाद तेरे सामने पहुँचे।
“A prayer of the afflicted, when in deep distress he poureth out his complaint before the Lord.” Hear my prayer, O LORD! And let my cry come unto thee!
2 मेरी मुसीबत के दिन मुझ से चेहरा न छिपा, अपना कान मेरी तरफ़ झुका, जिस दिन मैं फ़रियाद करूँ मुझे जल्द जवाब दे।
Hide not thy face from me in the day of my trouble; Incline thine ear to me when I call! Answer me speedily!
3 क्यूँकि मेरे दिन धुएँ की तरह उड़े जाते हैं, और मेरी हड्डियाँ ईधन की तरह जल गई।
For my life is consumed like smoke, And my bones burn like a brand.
4 मेरा दिल घास की तरह झुलस कर सूख गया; क्यूँकि मैं अपनी रोटी खाना भूल जाता हूँ।
My heart is smitten and withered like grass; Yea, I forget to eat my bread.
5 कराहते कराहते मेरी हड्डियाँ मेरे गोश्त से जा लगीं।
By reason of my sighing, my bones cleave to my skin;
6 मैं जंगली हवासिल की तरह हूँ, मैं वीराने का उल्लू बन गया।
I am like the pelican of the wilderness; I am like an owl amid ruins.
7 मैं बेख़्वाब और उस गौरे की तरह हो गया हूँ, जो छत पर अकेला हो।
I am sleepless; I am like a solitary bird upon the house-top.
8 मेरे दुश्मन मुझे दिन भर मलामत करते हैं; मेरे मुख़ालिफ़ दीवाना होकर मुझ पर ला'नत करते हैं।
All the day long my enemies reproach me; They who rage against me curse by me.
9 क्यूँकि मैंने रोटी की तरह राख खाई, और आँसू मिलाकर पानी पिया।
For I eat ashes like bread, And mingle my drink with tears.
10 यह तेरे ग़ज़ब और क़हर की वजह से है, क्यूँकि तूने मुझे उठाया और फिर पटक दिया।
On account of thine indignation and thy wrath; For thou hast lifted me up and cast me down!
11 मेरे दिन ढलने वाले साये की तरह हैं, और मैं घास की तरह मुरझा गया
My life is like a declining shadow, And I wither like grass.
12 लेकिन तू ऐ ख़ुदावन्द, हमेशा तक रहेगा; और तेरी यादगार नसल — दर — नसल रहेगी।
But thou, O LORD! endurest for ever, And thy name from generation to generation!
13 तू उठेगा और सिय्यून पर रहम करेगाः क्यूँकि उस पर तरस खाने का वक़्त है, हाँ उसका मु'अय्यन वक़्त आ गया है।
Thou wilt arise and have pity upon Zion, For the time to favor her, yea, the set time, is come.
14 इसलिए कि तेरे बन्दे उसके पत्थरों को चाहते, और उसकी ख़ाक पर तरस खाते हैं।
For thy servants take pleasure in her stones; Yea, they have a regard for her dust.
15 और क़ौमों को ख़ुदावन्द के नाम का, और ज़मीन के सब बादशाहों को तेरे जलाल का ख़ौफ़ होगा।
Then shall the nations fear the name of Jehovah, And all the kings of the earth thy glory.
16 क्यूँकि ख़ुदावन्द ने सिय्यून को बनाया है; वह अपने जलाल में ज़ाहिर हुआ है।
For Jehovah will build up Zion; He will appear in his glory.
17 उसने बेकसों की दुआ पर तवज्जुह की, और उनकी दुआ को हक़ीर न जाना।
He will regard the prayer of the destitute, And not despise their supplication.
18 यह आने वाली नसल के लिए लिखा जाएगा, और एक क़ौम पैदा होगी जो ख़ुदावन्द की सिताइश करेगी।
This shall be written for the generation to come, That the people to be born may praise Jehovah.
19 क्यूँकि उसने अपने हैकल की बुलन्दी पर से निगाह की, ख़ुदावन्द ने आसमान पर से ज़मीन पर नज़र की;
For he looketh down from his holy height, From heaven doth he cast his eye upon the earth,
20 ताकि ग़ुलाम का कराहना सुने, और मरने वालों को छुड़ा ले;
To listen to the sighs of the prisoner. To release those that are doomed to death;
21 ताकि लोग सिय्यून में ख़ुदावन्द के नाम का इज़हार, और येरूशलेम में उसकी ता'रीफ़ करें,
That they may declare the name of Jehovah in Zion, And his praise in Jerusalem,
22 जब ख़ुदावन्द की इबादत के लिए, हों।
When the nations are assembled together, And the kingdoms to serve Jehovah.
23 उसने राह में मेरा ज़ोर घटा दिया, उसने मेरी उम्र कोताह कर दी।
He hath weakened my strength on the way, He hath shortened my days.
24 मैंने कहा, ऐ मेरे ख़ुदा, मुझे आधी उम्र में न उठा, तेरे बरस नसल दर नसल हैं।
I say, O my God! take me not away in the midst of my days! Thy years endure through all generations.
25 तूने इब्तिदा से ज़मीन की बुनियाद डाली; आसमान तेरे हाथ की कारीगरी है।
Of old hast thou laid the foundations of the earth, And the heavens are the work of thy hands;
26 वह हलाक हो जाएँगे, लेकिन तू बाक़ी रहेगा; बल्कि वह सब पोशाक की तरह पुराने हो जाएँगे। तू उनको लिबास की तरह बदलेगा, और वह बदल जाएँगे;
They shall perish, but thou shalt endure; Yea, all of them shall wax old like a garment; As a vesture shalt thou change them, And they shall be changed;
27 लेकिन तू बदलने वाला नहीं है, और तेरे बरस बेइन्तिहा होंगे।
But thou art the same, And thy years have no end.
28 तेरे बन्दों के फ़र्ज़न्द बरकरार रहेंगे; और उनकी नसल तेरे सामने क़ाईम रहेगी।
The children of thy servants shall dwell securely, And their posterity shall be established before thee.