< ज़बूर 101 >

1 मैं शफ़क़त और 'अदल का हम्द गाऊँगा; ऐ ख़ुदावन्द, मैं तेरी मदह सराई करूँगा।
I will sing of mercy and judgment: to you, O LORD, will I sing.
2 मैं 'अक़्लमंदी से कामिल राह पर चलूँगा, तू मेरे पास कब आएगा? घर में मेरा चाल चलन सच्चे दिल से होगा।
I will behave myself wisely in a perfect way. O when will you come to me? I will walk within my house with a perfect heart.
3 मैं किसी ख़बासत को मद्द — ए — नज़र नहीं रखूँगा; मुझे कज रफ़तारों के काम से नफ़रत है; उसको मुझ से कुछ मतलब न होगा।
I will set no wicked thing before my eyes: I hate the work of them that turn aside; it shall not stick to me.
4 कजदिली मुझ से दूर हो जाएगी; मैं किसी बुराई से आशना न हूँगा।
A fraudulent heart shall depart from me: I will not know a wicked person.
5 जो दर पर्दा अपने पड़ोसी की बुराई करे, मैं उसे हलाक कर डालूँगा; मैं बुलन्द नज़र और मग़रूर दिल की बर्दाश्त न करूँगा।
Whoever privately slanders his neighbor, him will I cut off: him that has an high look and a proud heart will not I suffer.
6 मुल्क के ईमानदारों पर मेरी निगाह होगी ताकि वह मेरे साथ रहें; जो कामिल राह पर चलता है वही मेरी ख़िदमत करेगा।
My eyes shall be on the faithful of the land, that they may dwell with me: he that walks in a perfect way, he shall serve me.
7 दग़ाबाज़ मेरे घर में रहने न पाएगा; दरोग़ गो को मेरे सामने क़याम न होगा।
He that works deceit shall not dwell within my house: he that tells lies shall not tarry in my sight.
8 मैं हर सुबह मुल्क के सब शरीरों को हलाक किया करूँगा, ताकि ख़ुदावन्द के शहर से बदकारों को काट डालूँ।
I will early destroy all the wicked of the land; that I may cut off all wicked doers from the city of the LORD.

< ज़बूर 101 >