< अम्सा 6 >
1 ऐ मेरे बेटे, अगर तू अपने पड़ोसी का ज़ामिन हुआ है, अगर तू हाथ पर हाथ मारकर किसी बेगाने का ज़िम्मेदार हुआ है,
Fili mi, si spoponderis pro amico tuo, defixisti apud extraneum manum tuam,
2 तो तू अपने ही मुँह की बातों में फंसा, तू अपने ही मुँह की बातों से पकड़ा गया।
illaqueatus es verbis oris tui, et captus propriis sermonibus.
3 इसलिए ऐ मेरे बेटे, क्यूँकि तू अपने पड़ोसी के हाथ में फँस गया है, अब यह कर और अपने आपको बचा ले, जा, ख़ाकसार बनकर अपने पड़ोसी से इसरार कर।
Fac ergo quod dico fili mi, et temetipsum libera: quia incidisti in manum proximi tui. Discurre, festina, suscita amicum tuum:
4 तू न अपनी आँखों में नींद आने दे, और न अपनी पलकों में झपकी।
ne dederis somnum oculis tuis, nec dormitent palpebrae tuae.
5 अपने आपको हरनी की तरह और सय्याद के हाथ से, और चिड़िया की तरह चिड़ीमार के हाथ से छुड़ा।
Eruere quasi damula de manu, et quasi avis de manu aucupis.
6 ऐ काहिल, चींटी के पास जा, चाल चलन पर ग़ौर कर और 'अक़्लमंद बन।
Vade ad formicam o piger, et considera vias eius, et disce sapientiam:
7 जो बावजूद यह कि उसका न कोई सरदार, न नाज़िर न हाकिम है,
quae cum non habeat ducem, nec praeceptorem, nec principem,
8 गर्मी के मौसिम में अपनी खू़राक मुहय्या करती है, और फ़सल कटने के वक़्त अपनी ख़ुराक जमा' करती है।
parat in aestate cibum sibi, et congregat in messe quod comedat.
9 ऐ काहिल, तू कब तक पड़ा रहेगा? तू नींद से कब उठेगा?
Usquequo piger dormies? quando consurges e somno tuo?
10 थोड़ी सी नींद, एक और झपकी, ज़रा पड़े रहने को हाथ पर हाथ:
Paululum dormies, paululum dormitabis, paululum conseres manus ut dormias:
11 इसी तरह तेरी ग़रीबी राहज़न की तरह, और तेरी तंगदस्ती हथियारबन्द आदमी की तरह आ पड़ेगी।
et veniet tibi quasi viator, egestas, et pauperies quasi vir armatus. Si vero impiger fueris, veniet ut fons messis tua, et egestas longe fugiet a te.
12 ख़बीस — ओ — बदकार आदमी, टेढ़ी तिरछी ज़बान लिए फिरता है।
Homo apostata, vir inutilis, graditur ore perverso,
13 वह आँख मारता है, वह पाँव से बातें, और ऊँगलियों से इशारा करता है।
annuit oculis, terit pede, digito loquitur,
14 उसके दिल में कजी है, वह बुराई के मन्सूबे बाँधता रहता है, वह फ़ितना अंगेज़ है।
pravo corde machinatur malum, et omni tempore iurgia seminat.
15 इसलिए आफ़त उस पर अचानक आ पड़ेगी, वह एकदम तोड़ दिया जाएगा और कोई चारा न होगा।
huic extemplo veniet perditio sua, et subito conteretur, nec habebit ultra medicinam.
16 छ: चीजें हैं जिनसे ख़ुदावन्द को नफ़रत है, बल्कि सात हैं जिनसे उसे नफ़रत है:
Sex sunt, quae odit Dominus, et septimum detestatur anima eius:
17 ऊँची आँखें, झूटी ज़बान, बेगुनाह का खू़न बहाने वाले हाथ,
Oculos sublimes, linguam mendacem, manus effundentes innoxium sanguinem,
18 बुरे मन्सूबे बाँधने वाला दिल, शरारत के लिए तेज़ रफ़्तार पाँव,
cor machinans cogitationes pessimas, pedes veloces ad currendum in malum,
19 झूटा गवाह जो दरोग़गोई करता है, और जो भाइयों में निफ़ाक़ डालता है।
proferentem mendacia testem fallacem, et eum, qui seminat inter fratres discordias.
20 ऐ मेरे बेटे, अपने बाप के फ़रमान को बजा ला, और अपनी माँ की ता'लीम को न छोड़।
Conserva fili mi praecepta patris tui, et ne dimittas legem matris tuae.
21 इनको अपने दिल पर बाँधे रख, और अपने गले का तौक़ बना ले।
Liga ea in corde tuo iugiter, et circumda gutturi tuo.
22 यह चलते वक़्त तेरी रहबरी, और सोते वक़्त तेरी निगहबानी, और जागते वक़्त तुझ से बातें करेगी।
Cum ambulaveris, gradiantur tecum: cum dormieris, custodiant te, et evigilans loquere cum eis.
23 क्यूँकि फ़रमान चिराग़ है और ता'लीम नूर, और तरबियत की मलामत ज़िन्दगी की राह है,
quia mandatum lucerna est, et lex lux, et via vitae increpatio disciplinae:
24 ताकि तुझ को बुरी 'औरत से बचाए, या'नी बेगाना 'औरत की ज़बान की चापलूसी से।
ut custodiant te a muliere mala, et a blanda lingua extraneae.
25 तू अपने दिल में उसके हुस्न पर 'आशिक़ न हो, और वह तुझ को अपनी पलकों से शिकार न करे।
Non concupiscat pulchritudinem eius cor tuum, nec capiaris nutibus illius:
26 क्यूँकि धोके की वजह से आदमी टुकड़े का मुहताज हो जाता है, और ज़ानिया क़ीमती जान का शिकार करती है।
pretium enim scorti vix est unius panis: mulier autem viri pretiosam animam capit.
27 क्या मुम्किन है कि आदमी अपने सीने में आग रख्खे, और उसके कपड़े न जलें?
Numquid potest homo abscondere ignem in sinu suo, ut vestimenta illius non ardeant?
28 या कोई अंगारों पर चले, और उसके पाँव न झुलसें?
aut ambulare super prunas, ut non comburantur plantae eius?
29 वह भी ऐसा है जो अपने पड़ोसी की बीवी के पास जाता है; जो कोई उसे छुए बे सज़ा न रहेगा।
sic qui ingreditur ad mulierem proximi sui, non erit mundus cum tetigerit eam.
30 चोर अगर भूक के मारे अपना पेट भरने को चोरी करे, तो लोग उसे हक़ीर नहीं जानते;
Non grandis est culpa, cum quis furatus fuerit: ut esurientem impleat animam:
31 लेकिन अगर वह पकड़ा जाए तो सात गुना भरेगा, उसे अपने घर का सारा माल देना पड़ेगा।
deprehensus tamen reddet septuplum, et omnem substantiam domus suae tradet.
32 जो किसी 'औरत से ज़िना करता है वह बे'अक़्ल है; वही ऐसा करता है जो अपनी जान को हलाक करना चाहता है।
Qui autem adulter est, propter cordis inopiam perdet animam suam:
33 वह ज़ख़्म और ज़िल्लत उठाएगा, और उसकी रुस्वाई कभी न मिटेगी।
turpitudinem et ignominiam congregat sibi, et opprobrium illius non delebitur.
34 क्यूँकि गै़रत से आदमी ग़ज़बनाक होता है, और वह इन्तिक़ाम के दिन नहीं छोड़ेगा।
quia zelus et furor viri non parcet in die vindictae,
35 वह कोई फ़िदिया मंजूर नहीं करेगा, और चाहे तू बहुत से इन'आम भी दे तोभी वह राज़ी न होगा।
nec acquiescet cuiusquam precibus, nec suscipiet pro redemptione dona plurima.