< अम्सा 5 >

1 ऐ मेरे बेटे! मेरी हिकमत पर तवज्जुह कर, मेरे समझ पर कान लगा;
υἱέ ἐμῇ σοφίᾳ πρόσεχε ἐμοῖς δὲ λόγοις παράβαλλε σὸν οὖς
2 ताकि तू तमीज़ को महफ़ूज़ रख्खें, और तेरे लब 'इल्म के निगहबान हों:
ἵνα φυλάξῃς ἔννοιαν ἀγαθήν αἴσθησιν δὲ ἐμῶν χειλέων ἐντέλλομαί σοι
3 क्यूँकि बेगाना 'औरत के होटों से शहद टपकता है, और उसका मुँह तेल से ज़्यादा चिकना है;
μὴ πρόσεχε φαύλῃ γυναικί μέλι γὰρ ἀποστάζει ἀπὸ χειλέων γυναικὸς πόρνης ἣ πρὸς καιρὸν λιπαίνει σὸν φάρυγγα
4 लेकिन उसका अन्जाम अज़दहे की तरह तल्ख़, और दो धारी तलवार की तरह तेज़ है।
ὕστερον μέντοι πικρότερον χολῆς εὑρήσεις καὶ ἠκονημένον μᾶλλον μαχαίρας διστόμου
5 उसके पाँव मौत की तरफ़ जाते हैं, उसके क़दम पाताल तक पहुँचते हैं। (Sheol h7585)
τῆς γὰρ ἀφροσύνης οἱ πόδες κατάγουσιν τοὺς χρωμένους αὐτῇ μετὰ θανάτου εἰς τὸν ᾅδην τὰ δὲ ἴχνη αὐτῆς οὐκ ἐρείδεται (Sheol h7585)
6 इसलिए उसे ज़िन्दगी का हमवार रास्ता नहीं मिलता; उसकी राहें बेठिकाना हैं, पर वह बेख़बर है।
ὁδοὺς γὰρ ζωῆς οὐκ ἐπέρχεται σφαλεραὶ δὲ αἱ τροχιαὶ αὐτῆς καὶ οὐκ εὔγνωστοι
7 इसलिए ऐ मेरे बेटो, मेरी सुनो, और मेरे मुँह की बातों से नाफ़रमान न हो।
νῦν οὖν υἱέ ἄκουέ μου καὶ μὴ ἀκύρους ποιήσῃς ἐμοὺς λόγους
8 उस 'औरत से अपनी राह दूर रख, और उसके घर के दरवाज़े के पास भी न जा;
μακρὰν ποίησον ἀπ’ αὐτῆς σὴν ὁδόν μὴ ἐγγίσῃς πρὸς θύραις οἴκων αὐτῆς
9 ऐसा न हो कि तू अपनी आबरू किसी गै़र के, और अपनी उम्र बेरहम के हवाले करे।
ἵνα μὴ πρόῃ ἄλλοις ζωήν σου καὶ σὸν βίον ἀνελεήμοσιν
10 ऐसा न हो कि बेगाने तेरी कु़व्वत से सेर हों, और तेरी कमाई किसी गै़र के घर जाए;
ἵνα μὴ πλησθῶσιν ἀλλότριοι σῆς ἰσχύος οἱ δὲ σοὶ πόνοι εἰς οἴκους ἀλλοτρίων εἰσέλθωσιν
11 और जब तेरा गोश्त और तेरा जिस्म घुल जाये तो तू अपने अन्जाम पर नोहा करे;
καὶ μεταμεληθήσῃ ἐπ’ ἐσχάτων ἡνίκα ἂν κατατριβῶσιν σάρκες σώματός σου
12 और कहे, “मैंने तरबियत से कैसी 'अदावत रख्खी, और मेरे दिल ने मलामत को हक़ीर जाना।
καὶ ἐρεῖς πῶς ἐμίσησα παιδείαν καὶ ἐλέγχους ἐξέκλινεν ἡ καρδία μου
13 न मैंने अपने उस्तादों का कहा माना, न अपने तरबियत करने वालों की सुनी।
οὐκ ἤκουον φωνὴν παιδεύοντός με καὶ διδάσκοντός με οὐδὲ παρέβαλλον τὸ οὖς μου
14 मैं जमा'अत और मजलिस के बीच, क़रीबन सब बुराइयों में मुब्तिला हुआ।”
παρ’ ὀλίγον ἐγενόμην ἐν παντὶ κακῷ ἐν μέσῳ ἐκκλησίας καὶ συναγωγῆς
15 तू पानी अपने ही हौज़ से और बहता पानी अपने ही चश्मे से पीना
πῖνε ὕδατα ἀπὸ σῶν ἀγγείων καὶ ἀπὸ σῶν φρεάτων πηγῆς
16 क्या तेरे चश्मे बाहर बह जाएँ, और पानी की नदियाँ कूचों में?
μὴ ὑπερεκχείσθω σοι τὰ ὕδατα ἐκ τῆς σῆς πηγῆς εἰς δὲ σὰς πλατείας διαπορευέσθω τὰ σὰ ὕδατα
17 वह सिर्फ़ तेरे ही लिए हों, न तेरे साथ गै़रों के लिए भी।
ἔστω σοι μόνῳ ὑπάρχοντα καὶ μηδεὶς ἀλλότριος μετασχέτω σοι
18 तेरा सोता मुबारक हो और तू अपनी जवानी की बीवी के साथ ख़ुश रह।
ἡ πηγή σου τοῦ ὕδατος ἔστω σοι ἰδία καὶ συνευφραίνου μετὰ γυναικὸς τῆς ἐκ νεότητός σου
19 प्यारी हिरनी और दिल फ़रेब गजाला की तरह उसकी छातियाँ तुझे हर वक़्त आसूदह करें और उसकी मुहब्बत तुझे हमेशा फ़रेफ्ता रखे।
ἔλαφος φιλίας καὶ πῶλος σῶν χαρίτων ὁμιλείτω σοι ἡ δὲ ἰδία ἡγείσθω σου καὶ συνέστω σοι ἐν παντὶ καιρῷ ἐν γὰρ τῇ ταύτης φιλίᾳ συμπεριφερόμενος πολλοστὸς ἔσῃ
20 ऐ मेरे बेटे, तुझे बेगाना 'औरत क्यों फ़रेफ्ता करे और तू ग़ैर 'औरत से क्यों हम आग़ोश हो?
μὴ πολὺς ἴσθι πρὸς ἀλλοτρίαν μηδὲ συνέχου ἀγκάλαις τῆς μὴ ἰδίας
21 क्यूँकि इंसान की राहें ख़ुदावन्द कीआँखों के सामने हैं और वही सब रास्तों को हमवार बनाता है।
ἐνώπιον γάρ εἰσιν τῶν τοῦ θεοῦ ὀφθαλμῶν ὁδοὶ ἀνδρός εἰς δὲ πάσας τὰς τροχιὰς αὐτοῦ σκοπεύει
22 शरीर को उसी की बदकारी पकड़ेगी, और वह अपने ही गुनाह की रस्सियों से जकड़ा जाएगा।
παρανομίαι ἄνδρα ἀγρεύουσιν σειραῖς δὲ τῶν ἑαυτοῦ ἁμαρτιῶν ἕκαστος σφίγγεται
23 वह तरबियत न पाने की वजह से मर जायेगा और अपनी सख़्त बेवक़ूफ़ी की वजह से गुमराह हो जायेगा।
οὗτος τελευτᾷ μετὰ ἀπαιδεύτων ἐκ δὲ πλήθους τῆς ἑαυτοῦ βιότητος ἐξερρίφη καὶ ἀπώλετο δῑ ἀφροσύνην

< अम्सा 5 >