< अम्सा 31 >
1 लमविएल बादशाह के पैग़ाम की बातें जो उसकी माँ ने उसको सिखाई:
My words have been spoken by God—the oracular answer of a king, whom his mother instructed.
2 ऐ मेरे बेटे, ऐ मेरे रिहम के बेटे, तुझे, जिसे मैंने नज़्रे माँग कर पाया क्या कहूँ?
What will you keep, my son, what? the words of God. My firstborn son, I speak to you: what? son of my womb? what? son of my vows?
3 अपनी क़ुव्वत 'औरतों को न दे, और अपनी राहें बादशाहों को बिगाड़ने वालियों की तरफ़ न निकाल।
Give not your wealth to women, nor your mind and living to remorse. Do all things with counsel: drink wine with counsel.
4 बादशाहों को ऐ लमविएल, बादशाहों को मयख़्वारी ज़ेबा नहीं, और शराब की तलाश हाकिमों को शायान नहीं।
Princes are prone to anger: let them then not drink wine:
5 ऐसा न हो वह पीकर क़वानीन को भूल जाए, और किसी मज़लूम की हक़ तलफ़ी करें।
lest they drink, and forget wisdom, and be not able to judge the poor rightly.
6 शराब उसको पिलाओ जो मरने पर है, और मय उसको जो तल्ख़ जान है
Give strong drink to those that are in sorrow, and the wine to drink to those in pain:
7 ताकि वह पिए और अपनी तंगदस्ती फ़रामोश करे, और अपनी तबाह हाली को फिर याद न करे
that they may forget their poverty, and may not remember their troubles any more.
8 अपना मुँह गूँगे के लिए खोल उन सबकी वकालत को जो बेकस हैं।
Open your mouth with the word of God, and judge all fairly.
9 अपना मुँह खोल, रास्ती से फ़ैसलाकर, और ग़रीबों और मुहताजों का इन्साफ़ कर।
Open your mouth and judge justly, and plead the cause of the poor and weak.
10 नेकोकार बीवी किसको मिलती है? क्यूँकि उसकी क़द्र मरजान से भी बहुत ज़्यादा है।
Who shall find a virtuous woman? for such a one is more valuable than precious stones.
11 उसके शौहर के दिल को उस पर भरोसा है, और उसे मुनाफ़े' की कमी न होगी।
The heart of her husband trusts in her: such a one shall stand in no need of fine spoils.
12 वह अपनी उम्र के तमाम दिनों में, उससे नेकी ही करेगी, बदी न करेगी।
For she employs all her living for her husband's good.
13 वह ऊन और कतान ढूंडती है, और ख़ुशी के साथ अपने हाथों से काम करती है।
Gathering wool and flax, she makes it serviceable with her hands.
14 वह सौदागरों के जहाज़ों की तरह है, वह अपनी ख़ुराक दूर से ले आती है।
She is like a ship trading from a distance: so she procures her livelihood.
15 वह रात ही को उठ बैठती है, और अपने घराने को खिलाती है, और अपनी लौंडियों को काम देती है।
And she rises by night, and gives food to her household, and [appointed] tasks to her maidens.
16 वह किसी खेत की बारे में सोचती हैऔर उसे ख़रीद लेती है; और अपने हाथों के नफ़े' से ताकिस्तान लगाती है।
She views a farm, and buys it: and with the fruit of her hands she plants and a possession.
17 वह मज़बूती से अपनी कमर बाँधती है, और अपने बाज़ुओं को मज़बूत करती है।
She strongly girds her loins, and strengthens her arms for work.
18 वह अपनी सौदागरी को सूदमंद पाती है। रात को उसका चिराग़ नहीं बुझता।
And she finds by experience that working is good; and her candle goes not out all night.
19 वह तकले पर अपने हाथ चलाती है, और उसके हाथ अटेरन पकड़ते हैं।
She reaches forth her arms to needful [works], and applies her hands to the spindle.
20 वह ग़रीबों की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाती है, हाँ, वह अपने हाथ मोहताजों की तरफ़ बढ़ाती है।
And she opens her hands to the needy, and reaches out fruit to the poor.
21 वह अपने घराने के लिए बर्फ़ से नहीं डरती, क्यूँकि उसके ख़ान्दान में हर एक सुर्ख पोश है।
Her husband is not anxious about those at home when he tarries anywhere abroad: for all her household are clothed.
22 वह अपने लिए निगारीन बाला पोश बनाती है; उसकी पोशाक महीन कतानी और अर्गवानी है।
She makes for her husband clothes of double texture, and garments for herself of fine linen and scarlet.
23 उसका शौहर फाटक में मशहूर है, जब वह मुल्क के बुज़ुगों के साथ बैठता है।
And her husband becomes a distinguished [person] in the gates, when he sits in council with the old inhabitants of the land.
24 वह महीन कतानी कपड़े बनाकर बेचती है; और पटके सौदागरों के हवाले करती है।
She makes fine linens, and sells girdles to the Chananites: she opens her mouth heedfully and with propriety, and controls her tongue.
25 'इज़्ज़त और हुर्मत उसकी पोशाक हैं, और वह आइंदा दिनों पर हँसती है।
She puts on strength and honour; and rejoices in the last days.
26 उसके मुँह से हिकमत की बातें निकलती हैं, उसकी ज़बान पर शफ़क़त की ता'लीम है।
But she opens her mouth wisely, and according to law.
27 वह अपने घराने पर बख़ूबी निगाह रखती है, और काहिली की रोटी नहीं खाती।
The ways of her household are careful, and she eats not the bread of idleness.
28 उसके बेटे उठते हैं और उसे मुबारक कहते हैं; उसका शौहर भी उसकी ता'रीफ़ करता है:
And [her] kindness to them sets up her children for them, and they grow rich, and her husband praises her.
29 “कि बहुतेरी बेटियों ने फ़ज़ीलत दिखाई है, लेकिन तू सब से आगे बढ़ गई।”
Many daughters have obtained wealth, many have wrought valiantly; but you have exceeded, you have surpassed all.
30 हुस्न, धोका और जमाल बेसबात है, लेकिन वह 'औरत जो ख़ुदावन्द से डरती है, सतुदा होगी।
Charms are false, and woman's beauty is vain: for it is a wise woman that is blessed, and let her praise the fear the Lord.
31 उसकी मेहनत का बदला उसे दो, और उसके कामों से मजलिस में उसकी ता'रीफ़ हो।
Give her of the fruit of her lips; and let her husband be praised in the gates.