< अम्सा 26 >

1 जिस तरह गर्मी के दिनों में बर्फ़ और दिरौ के वक्त बारिश, उसी तरह बेवक़ूफ़ को 'इज़्ज़त ज़ेब नहीं देती।
כַּשֶּׁ֤לֶג ׀ בַּקַּ֗יִץ וְכַמָּטָ֥ר בַּקָּצִ֑יר כֵּ֤ן לֹא־נָאוֶ֖ה לִכְסִ֣יל כָּבֽוֹד׃
2 जिस तरह गौरय्या आवारा फिरती और अबाबील उड़ती रहती है, उसी तरह बे वजह ला'नत बेमतलब है।
כַּצִּפּ֣וֹר לָ֭נוּד כַּדְּר֣וֹר לָע֑וּף כֵּ֥ן קִֽלְלַ֥ת חִ֝נָּ֗ם לא תָבֹֽא׃
3 घोड़े के लिए चाबुक और गधे के लिए लगाम, लेकिन बेवक़ूफ़ की पीठ के लिए छड़ी है।
שׁ֣וֹט לַ֭סּוּס מֶ֣תֶג לַחֲמ֑וֹר וְ֝שֵׁ֗בֶט לְגֵ֣ו כְּסִילִֽים׃
4 बेवक़ूफ़ को उसकी हिमाक़त के मुताबिक़ जवाब न दे, मबादा तू भी उसकी तरह हो जाए।
אַל־תַּ֣עַן כְּ֭סִיל כְּאִוַּלְתּ֑וֹ פֶּֽן־תִּשְׁוֶה־לּ֥וֹ גַם־אָֽתָּה׃
5 बेवक़ूफ़ को उसकी हिमाक़त के मुताबिक जवाब दे, ऐसा न हो कि वह अपनी नज़र में 'अक़्लमंद ठहरे।
עֲנֵ֣ה כְ֭סִיל כְּאִוַּלְתּ֑וֹ פֶּן־יִהְיֶ֖ה חָכָ֣ם בְּעֵינָֽיו׃
6 जो बेवक़ूफ़ के हाथ पैग़ाम भेजता है, अपने पाँव पर कुल्हाड़ा मारता और नुक़सान का प्याला पीता है।
מְקַצֶּ֣ה רַ֭גְלַיִם חָמָ֣ס שֹׁתֶ֑ה שֹׁלֵ֖חַ דְּבָרִ֣ים בְּיַד־כְּסִֽיל׃
7 जिस तरह लंगड़े की टाँग लड़खड़ाती है, उसी तरह बेवक़ूफ़ के मुँह में तमसील है।
דַּלְי֣וּ שֹׁ֭קַיִם מִפִּסֵּ֑חַ וּ֝מָשָׁ֗ל בְּפִ֣י כְסִילִֽים׃
8 बेवक़ूफ़ की ता'ज़ीम करने वाला, गोया जवाहिर को पत्थरों के ढेर में रखता है।
כִּצְר֣וֹר אֶ֭בֶן בְּמַרְגֵּמָ֑ה כֵּן־נוֹתֵ֖ן לִכְסִ֣יל כָּבֽוֹד׃
9 बेवक़ूफ़ के मुँह में तमसील, शराबी के हाथ में चुभने वाले काँटे की तरह है।
ח֭וֹחַ עָלָ֣ה בְיַד־שִׁכּ֑וֹר וּ֝מָשָׁ֗ל בְּפִ֣י כְסִילִֽים׃
10 जो बेवक़ूफ़ों और राहगुज़रों को मज़दूरी पर लगाता है, उस तीरंदाज़ की तरह है जो सबको ज़ख़्मी करता है।
רַ֥ב מְחֽוֹלֵֽל־כֹּ֑ל וְשֹׂכֵ֥ר כְּ֝סִ֗יל וְשֹׂכֵ֥ר עֹבְרִֽים׃
11 जिस तरह कुत्ता अपने उगले हुए को फिर खाता है, उसी तरह बेवक़ूफ़ अपनी बेवक़ूफ़ी को दोहराता है।
כְּ֭כֶלֶב שָׁ֣ב עַל־קֵא֑וֹ כְּ֝סִ֗יל שׁוֹנֶ֥ה בְאִוַּלְתּֽוֹ׃
12 क्या तू उसको जो अपनी नज़र में 'अक़्लमंद है देखता है? उसके मुक़ाबिले में बेवक़ूफ़ से ज़्यादा उम्मीद है।
רָאִ֗יתָ אִ֭ישׁ חָכָ֣ם בְּעֵינָ֑יו תִּקְוָ֖ה לִכְסִ֣יל מִמֶּֽנּוּ׃
13 सुस्त आदमी कहता है, राह में शेर है, शेर — ए — बबर गलियों में है!
אָמַ֣ר עָ֭צֵל שַׁ֣חַל בַּדָּ֑רֶךְ אֲ֝רִ֗י בֵּ֣ין הָרְחֹבֽוֹת׃
14 जिस तरह दरवाज़ा अपनी चूलों पर फिरता है, उसी तरह सुस्त आदमी अपने बिस्तर पर करवट बदलता रहता है।
הַ֭דֶּלֶת תִּסּ֣וֹב עַל־צִירָ֑הּ וְ֝עָצֵ֗ל עַל־מִטָּתֽוֹ׃
15 सुस्त आदमी अपना हाथ थाली में डालता है, और उसे फिर मुँह तक लाना उसको थका देता है।
טָ֘מַ֤ן עָצֵ֣ל יָ֭דוֹ בַּצַּלָּ֑חַת נִ֝לְאָ֗ה לַֽהֲשִׁיבָ֥הּ אֶל־פִּֽיו׃
16 काहिल अपनी नज़र में 'अक़्लमंद है, बल्कि दलील लाने वाले सात शख्सों से बढ़ कर।
חָכָ֣ם עָצֵ֣ל בְּעֵינָ֑יו מִ֝שִּׁבְעָ֗ה מְשִׁ֣יבֵי טָֽעַם׃
17 जो रास्ता चलते हुए पराए झगड़े में दख़्ल देता है, उसकी तरह है जो कुत्ते को कान से पकड़ता है।
מַחֲזִ֥יק בְּאָזְנֵי־כָ֑לֶב עֹבֵ֥ר מִ֝תְעַבֵּ֗ר עַל־רִ֥יב לֹּֽא־לֽוֹ׃
18 जैसा वह दीवाना जो जलती लकड़ियाँ और मौत के तीर फेंकता है,
כְּֽ֭מִתְלַהְלֵהַּ הַיֹּרֶ֥ה זִקִּ֗ים חִצִּ֥ים וָמָֽוֶת׃
19 वैसा ही वह शख़्स है जो अपने पड़ोसी को दग़ा देता है, और कहता है, मैं तो दिल्लगी कर रहा था।
כֵּֽן־אִ֭ישׁ רִמָּ֣ה אֶת־רֵעֵ֑הוּ וְ֝אָמַ֗ר הֲֽלֹא־מְשַׂחֵ֥ק אָֽנִי׃
20 लकड़ी न होने से आग बुझ जाती है, इसलिए जहाँ चुगलख़ोर नहीं वहाँ झगड़ा मौकूफ़ हो जाता है।
בְּאֶ֣פֶס עֵ֭צִים תִּכְבֶּה־אֵ֑שׁ וּבְאֵ֥ין נִ֝רְגָּ֗ן יִשְׁתֹּ֥ק מָדֽוֹן׃
21 जैसे अंगारों पर कोयले और आग पर ईंधन है, वैसे ही झगड़ालू झगड़ा खड़ा करने के लिए है।
פֶּחָ֣ם לְ֭גֶחָלִים וְעֵצִ֣ים לְאֵ֑שׁ וְאִ֥ישׁ מדונים לְחַרְחַר־רִֽיב׃ פ
22 चुगलख़ोरकी बातें लज़ीज़ निवाले हैं, और वह खूब हज़म हो जाती हैं।
דִּבְרֵ֣י נִ֭רְגָּן כְּמִֽתְלַהֲמִ֑ים וְ֝הֵ֗ם יָרְד֥וּ חַדְרֵי־בָֽטֶן׃
23 उलफ़ती, लब बदख़्वाह दिल के साथ, उस ठीकरे की तरह है जिस पर खोटी चाँदी मेंढ़ी हो।
כֶּ֣סֶף סִ֭יגִים מְצֻפֶּ֣ה עַל־חָ֑רֶשׂ שְׂפָתַ֖יִם דֹּלְקִ֣ים וְלֶב־רָֽע׃
24 कीनावर दिल में दग़ा रखता है, लेकिन अपनी बातों से छिपाता है;
בשפתו יִנָּכֵ֣ר שׂוֹנֵ֑א וּ֝בְקִרְבּ֗וֹ יָשִׁ֥ית מִרְמָֽה׃
25 जब वह मीठी मीठी बातें करे तो उसका यक़ीन न कर, क्यूँकि उसके दिल में कमाल नफ़रत है।
כִּֽי־יְחַנֵּ֣ן ק֭וֹלוֹ אַל־תַּֽאֲמֶן־בּ֑וֹ כִּ֤י שֶׁ֖בַע תּוֹעֵב֣וֹת בְּלִבּֽוֹ׃
26 अगरचे उसकी बदख़्वाही मक्र में छिपी है, तो भी उसकी बदी जमा'अत के आमने सामने खोल दी जाएगी।
תִּכַּסֶּ֣ה שִׂ֭נְאָה בְּמַשָּׁא֑וֹן תִּגָּלֶ֖ה רָעָת֣וֹ בְקָהָֽל׃
27 जो गढ़ा खोदता है, आप ही उसमें गिरेगा; और जो पत्थर ढलकाता है, वह पलटकर उसी पर पड़ेगा।
כֹּֽרֶה־שַּׁ֭חַת בָּ֣הּ יִפֹּ֑ל וְגֹ֥לֵ֥ל אֶ֝בֶן אֵלָ֥יו תָּשֽׁוּב׃
28 झूटी ज़बान उनका कीना रखती है जिनको उस ने घायल किया है, और चापलूस मुँह तबाही करता है।
לְֽשׁוֹן־שֶׁ֭קֶר יִשְׂנָ֣א דַכָּ֑יו וּפֶ֥ה חָ֝לָ֗ק יַעֲשֶׂ֥ה מִדְחֶֽה׃

< अम्सा 26 >