< फिलेमोन 1 >
1 पौलुस की तरफ़ से जो मसीह ईसा का क़ैदी है, और भाई तीमुथियुस की तरफ़ से अपने 'अज़ीज़ और हम ख़िदमत फिलेमोन,
Paul, prisonnier de Jésus-Christ, et son frère Timothée, — à notre cher Philémon, le compagnon de nos travaux;
2 और बहन अफ़िया, और अपने हम सफ़र आर्ख़िप्पुस और फिलेमोन के घर की कलीसिया के नाम ख़त:
à notre soeur Apphia; à Archippe notre compagnon d'armes, ainsi qu'à l'Église qui se réunit dans ta maison:
3 फ़ज़ल और इत्मीनान हमारे बाप ख़ुदा और ख़ुदावन्द 'ईसा मसीह की तरफ़ से तुम्हें हासिल होता रहे।
que la grâce et la paix vous soient données par Dieu, notre Père, et par notre Seigneur Jésus-Christ!
4 मैं तेरी उस मुहब्बत का और ईमान का हाल सुन कर, जो सब मुक़द्दसों के साथ और ख़ुदावन्द ईसा पर है'
Je ne cesse de rendre grâces à mon Dieu, en faisant mention de toi dans mes prières,
5 हमेशा अपने ख़ुदा का शुक्र करता हूँ, और अपनी दु'आओं में तुझे याद करता हूँ।
depuis que j'entends parler de ta charité pour tous les saints et de ta foi au Seigneur Jésus.
6 ताकि तेरे ईमान की शिराकत तुम्हारी हर ख़ूबी की पहचान में मसीह के वास्ते मु' अस्सिर हो।
Je lui demande, que l'union que la foi établit entre nous, soit efficace pour te faire reconnaître tout bien qui est en nous en vue de Jésus-Christ.
7 क्यूँकि ऐ भाई! मुझे तेरी मुहब्बत से बहुत ख़ुशी और तसल्ली हुई, इसलिए कि तेरी वजह से मुक़द्दसों के दिल ताज़ा हुए हैं।
Nous avons, en effet, ressenti bien de la joie et bien de la consolation à la pensée de ta charité, car, frère, elle a tranquillisé le coeur des saints.
8 पस अगरचे मुझे मसीह में बड़ी दिलेरी तो है कि तुझे मुनासिब हुक्म दूँ।
C'est pourquoi, bien que j'aie en Christ toute liberté pour te rappeler ton devoir,
9 मगर मुझे ये ज़्यादा पसन्द है कि मैं बूढ़ा पौलुस, बल्कि इस वक़्त मसीह 'ईसा का क़ैदी भी होकर मुहब्बत की राह से इल्तिमास करूँ।
je préfère, par amour, t'adresser une prière. Tel que je suis, moi, Paul, vieillard, et, qui plus est, actuellement prisonnier de Jésus-Christ,
10 सो अपने फ़र्ज़न्द उनेसिमुस के बारे में जो क़ैद की हालत में मुझ से पैदा हुआ, तुझसे इल्तिमास करता हूँ।
je t'adresse une prière pour l'enfant que j'ai engendré dans ma captivité, pour Onésime (Utile),
11 पहले तो तेरे कुछ काम का ना था मगर अब तेरे और मेरे दोनों के काम का है।
qui autrefois t'était inutile, mais qui maintenant t'est fort utile, ainsi qu'à moi.
12 ख़ुद उसी को या'नी अपने कलेजे के टुकड़े को, मैने तेरे पास वापस भेजा है।
Je te le renvoie, et toi, accueille-le, cet objet de ma tendresse.
13 उसको मैं अपने ही पास रखना चाहता था, ताकि तेरी तरफ़ से इस क़ैद में जो ख़ुशख़बरी के ज़रिए है मेरी ख़िदमत करे।
J'aurais voulu le retenir auprès de moi, afin qu'à ta considération il me servît dans la captivité que je souffre pour l’évangile;
14 लेकिन तेरी मर्ज़ी के बग़ैर में ने कुछ करना न चाहा, ताकि तेरे नेक काम लाचारी से नहीं बल्कि ख़ुशी से हों।
toutefois, je n'ai rien voulu faire sans ton avis, afin que ce bienfait de ta part ne paraisse pas forcé, mais qu'il soit volontaire.
15 क्यूँकि मुम्किन है कि वो तुझ से इसलिए थोड़ी देर के वास्ते जुदा हुआ हो कि हमेशा तेरे पास रहे। (aiōnios )
Peut-être aussi Onésime n'a-t-il été séparé de toi momentanément, qu'afin que tu le recouvres pour l'éternité, (aiōnios )
16 मगर अब से ग़ुलाम की तरह नहीं बल्कि ग़ुलाम से बेहतर होकर या'नी ऐसे भाई की तरह रहे जो जिस्म में भी और ख़ुदावन्द में भी मेरा निहायत 'अज़ीज़ हो और तेरा इससे भी कही ज़्यादा।
non plus comme un esclave, mais comme étant fort au-dessus d'un esclave, comme un frère bien-aimé, tout particulièrement aimé de moi, et combien plus de toi, à qui il doit être cher, et en lui-même, et dans le Seigneur.
17 पस अगर तू मुझे शरीक जानता है, तो उसे इस तरह क़ुबूल करना जिस तरह मुझे।
S'il est donc vrai que tu me tiennes pour un ami, accueille-le comme tu m'accueillerais moi-même.
18 और अगर उस ने तेरा कुछ नुक़्सान किया है, या उस पर तेरा कुछ आता है, तो उसे मेरे नाम से लिख ले।
S'il t'a fait quelque tort ou s'il te doit quelque chose, passe-le-moi en compte.
19 मैं पौलुस अपने हाथ से लिखता हूँ कि ख़ुद अदा करूँगा, इसके कहने की कुछ ज़रूरत नहीं कि मेरा क़र्ज़ जो तुझ पर है वो तू ख़ुद है
Moi, Paul, je te l'écris de ma main, je te rembourserai... pour ne pas dire que tu es mon débiteur, et même de ta propre personne.
20 ऐ भाई! मैं चाहता हूँ कि मुझे तेरी तरफ़ से ख़ुदावन्द में ख़ुशी हासिल हो। मसीह में मेरे दिल को ताज़ा कर।
Oui, frère, fais-moi ce plaisir, dans le Seigneur; tranquillise mon coeur en Christ.
21 मैं तेरी फ़रमाँबरदारी का यक़ीन करके तुझे लिखता हूँ, और जानता हूँ कि जो कुछ मैं कहता हूँ, तू उस से भी ज़्यादा करेगा।
Je t'écris, en comptant sur ton obéissance, sûr même que tu feras au delà de ce que je demande.
22 इसके सिवा मेरे लिए ठहरने की जगह तैयार कर, क्यूँकि मुझे उम्मीद है कि मैं तुम्हारी दु' आओं के वसीले से तुम्हें बख़्शा जाऊँगा।
Prépare-moi en même temps un logement, car j'espère que, grâce à vos prières, je vous serai rendu.
23 इपफ़्रास जो मसीह ईसा में मेरे साथ क़ैद है,
Épaphras, mon compagnon de captivité, te salue en Jésus-Christ,
24 और मरकुस और अरिस्तरख़ुस और दोमास और लुक़ा, जो मेरे हम ख़िदमत हैं तुझे सलाम कहते है।
ainsi que Marc, Aristarque, Démas et Luc, les compagnons de mes travaux.
25 हमारे ख़ुदावन्द ईसा मसीह का फ़ज़ल तुम्हारी रूह पर होता रहे। आमीन।
Que la grâce de notre Seigneur Jésus-Christ soit avec votre esprit!