< गिन 31 >

1 फिर ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
וַיְדַבֵּ֥ר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃
2 “मिदियानियों से बनी — इस्राईल का इन्तक़ाम ले; इसके बाद तू अपने लोगों में जा मिलेगा।”
נְקֹ֗ם נִקְמַת֙ בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל מֵאֵ֖ת הַמִּדְיָנִ֑ים אַחַ֖ר תֵּאָסֵ֥ף אֶל־עַמֶּֽיךָ׃
3 तब मूसा ने लोगों से कहा, “अपने में से जंग के लिए आदमियों को हथियारबन्द करो, ताकि वह मिदियानियों पर हमला करें और मिदियानियों से ख़ुदावन्द का इन्तक़ाम लें।
וַיְדַבֵּ֤ר מֹשֶׁה֙ אֶל־הָעָ֣ם לֵאמֹ֔ר הֵחָלְצ֧וּ מֵאִתְּכֶ֛ם אֲנָשִׁ֖ים לַצָּבָ֑א וְיִהְיוּ֙ עַל־מִדְיָ֔ן לָתֵ֥ת נִקְמַת־יְהוָ֖ה בְּמִדְיָֽן׃
4 और इस्राईल के सब क़बीलों में से हर क़बीला एक हज़ार आदमी लेकर जंग के लिए भेजना।”
אֶ֚לֶף לַמַּטֶּ֔ה אֶ֖לֶף לַמַּטֶּ֑ה לְכֹל֙ מַטּ֣וֹת יִשְׂרָאֵ֔ל תִּשְׁלְח֖וּ לַצָּבָֽא׃
5 फिर हज़ारों हज़ार बनी — इस्राईल में से हर क़बीला एक हज़ार के हिसाब से बारह हज़ार हथियारबन्द आदमी जंग के लिए चुने गए।
וַיִּמָּֽסְרוּ֙ מֵאַלְפֵ֣י יִשְׂרָאֵ֔ל אֶ֖לֶף לַמַּטֶּ֑ה שְׁנֵים־עָשָׂ֥ר אֶ֖לֶף חֲלוּצֵ֥י צָבָֽא׃
6 यूँ मूसा ने हर क़बीले से एक हज़ार आदमियों को जंग के लिए भेजा और इली'एलियाज़र काहिन के बेटे फ़ीन्हास को भी जंग पर रवाना किया, और हैकल के बर्तन और बलन्द आवाज़ के नरसिंगे उसके साथ कर दिए।
וַיִּשְׁלַ֨ח אֹתָ֥ם מֹשֶׁ֛ה אֶ֥לֶף לַמַּטֶּ֖ה לַצָּבָ֑א אֹ֠תָם וְאֶת־פִּ֨ינְחָ֜ס בֶּן־אֶלְעָזָ֤ר הַכֹּהֵן֙ לַצָּבָ֔א וּכְלֵ֥י הַקֹּ֛דֶשׁ וַחֲצֹצְר֥וֹת הַתְּרוּעָ֖ה בְּיָדֽוֹ׃
7 और जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा को हुक्म दिया था, उसके मुताबिक़ उन्होंने मिदियानियों से जंग की और सब मर्दों को क़त्ल किया।
וַֽיִּצְבְּאוּ֙ עַל־מִדְיָ֔ן כַּאֲשֶׁ֛ר צִוָּ֥ה יְהוָ֖ה אֶת־מֹשֶׁ֑ה וַיַּֽהַרְג֖וּ כָּל־זָכָֽר׃
8 और उन्होंने उन मक्तूलों के अलावा ईव्वी और रक़म और सूर और होर और रबा' को भी, जो मिदियान के पाँच बादशाह थे, जान से मारा और ब'ओर के बेटे बल'आम को भी तलवार से क़त्ल किया।
וְאֶת־מַלְכֵ֨י מִדְיָ֜ן הָרְג֣וּ עַל־חַלְלֵיהֶ֗ם אֶת־אֱוִ֤י וְאֶת־רֶ֙קֶם֙ וְאֶת־צ֤וּר וְאֶת־חוּר֙ וְאֶת־רֶ֔בַע חֲמֵ֖שֶׁת מַלְכֵ֣י מִדְיָ֑ן וְאֵת֙ בִּלְעָ֣ם בֶּן־בְּע֔וֹר הָרְג֖וּ בֶּחָֽרֶב׃
9 और बनी — इस्राईल ने मिदियान की 'औरतों और उनके बच्चों को ग़ुलाम किया, और उनके चौपाये और भेड़ बकरियाँ और माल — ओ — अस्बाब सब कुछ लूट लिया।
וַיִּשְׁבּ֧וּ בְנֵי־יִשְׂרָאֵ֛ל אֶת־נְשֵׁ֥י מִדְיָ֖ן וְאֶת־טַפָּ֑ם וְאֵ֨ת כָּל־בְּהֶמְתָּ֧ם וְאֶת־כָּל־מִקְנֵהֶ֛ם וְאֶת־כָּל־חֵילָ֖ם בָּזָֽזוּ׃
10 और उनकी सुकुनतगाहों के सब शहरों को जिनमें वह रहते थे, और उनकी सब छावनियों को आग से फूँक दिया।
וְאֵ֤ת כָּל־עָרֵיהֶם֙ בְּמ֣וֹשְׁבֹתָ֔ם וְאֵ֖ת כָּל־טִֽירֹתָ֑ם שָׂרְפ֖וּ בָּאֵֽשׁ׃
11 और उन्होंने सारा माल — ए — ग़नीमत और सब ग़ुलाम, क्या इंसान और क्या हैवान साथ लिए,
וַיִּקְחוּ֙ אֶת־כָּל־ הַשָּׁלָ֔ל וְאֵ֖ת כָּל־הַמַּלְק֑וֹחַ בָּאָדָ֖ם וּבַבְּהֵמָֽה׃
12 और उन ग़ुलामों और माल — ए — ग़नीमत को मूसा और इली'एलियाज़र काहिन और बनी इस्राईल की सारी जमा'अत के पास उस लश्करगाह में ले आए जो यरीहू के सामने यरदन के किनारे किनारे मोआब के मैदानों में थी।
וַיָּבִ֡אוּ אֶל־מֹשֶׁה֩ וְאֶל־אֶלְעָזָ֨ר הַכֹּהֵ֜ן וְאֶל־עֲדַ֣ת בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֗ל אֶת־הַשְּׁבִ֧י וְאֶת־הַמַּלְק֛וֹחַ וְאֶת־הַשָּׁלָ֖ל אֶל־הַֽמַּחֲנֶ֑ה אֶל־עַֽרְבֹ֣ת מוֹאָ֔ב אֲשֶׁ֖ר עַל־יַרְדֵּ֥ן יְרֵחֽוֹ׃ ס
13 तब मूसा और इली'एलियाज़र काहिन और जमा'अत के सब सरदार उनके इस्तक़बाल के लिए लश्करगाह के बाहर गए।
וַיֵּ֨צְא֜וּ מֹשֶׁ֨ה וְאֶלְעָזָ֧ר הַכֹּהֵ֛ן וְכָל־נְשִׂיאֵ֥י הָעֵדָ֖ה לִקְרָאתָ֑ם אֶל־מִח֖וּץ לַֽמַּחֲנֶֽה׃
14 और मूसा उन फ़ौजी सरदारों पर जो हज़ारों और सैकड़ों के सरदार थे और जंग से लौटे थे झल्लाया,
וַיִּקְצֹ֣ף מֹשֶׁ֔ה עַ֖ל פְּקוּדֵ֣י הֶחָ֑יִל שָׂרֵ֤י הָאֲלָפִים֙ וְשָׂרֵ֣י הַמֵּא֔וֹת הַבָּאִ֖ים מִצְּבָ֥א הַמִּלְחָמָֽה׃
15 और उनसे कहने लगा, “क्या तुम ने सब 'औरतें जीती बचा रख्खी हैं?
וַיֹּ֥אמֶר אֲלֵיהֶ֖ם מֹשֶׁ֑ה הַֽחִיִּיתֶ֖ם כָּל־נְקֵבָֽה׃
16 देखो, इन ही ने बल'आम की सलाह से फ़गूर के मु'आमिले में बनी — इस्राईल से ख़ुदावन्द की हुक्म उदूली कराई, और यूँ ख़ुदावन्द की जमा'अत में वबा फैली।
הֵ֣ן הֵ֜נָּה הָי֨וּ לִבְנֵ֤י יִשְׂרָאֵל֙ בִּדְבַ֣ר בִּלְעָ֔ם לִמְסָר־מַ֥עַל בַּיהוָ֖ה עַל־דְּבַר־פְּע֑וֹר וַתְּהִ֥י הַמַּגֵּפָ֖ה בַּעֲדַ֥ת יְהוָֽה׃
17 इसलिए इन बच्चों में जितने लड़के हैं सब को मार डालो, और जितनी 'औरतें मर्द का मुँह देख चुकी हैं उनको क़त्ल कर डालो।
וְעַתָּ֕ה הִרְג֥וּ כָל־זָכָ֖ר בַּטָּ֑ף וְכָל־אִשָּׁ֗ה יֹדַ֥עַת אִ֛ישׁ לְמִשְׁכַּ֥ב זָכָ֖ר הֲרֹֽגוּ׃
18 लेकिन उन लड़कियों को जो मर्द से वाक़िफ़ नहीं और अछूती हैं, अपने लिए ज़िन्दा रख्खो।
וְכֹל֙ הַטַּ֣ף בַּנָּשִׁ֔ים אֲשֶׁ֥ר לֹא־יָדְע֖וּ מִשְׁכַּ֣ב זָכָ֑ר הַחֲי֖וּ לָכֶֽם׃
19 और तुम सात दिन तक लश्करगाह के बाहर ही ख़ेमे डाले पड़े रहो, और तुम में से जितनों ने किसी आदमी की जान से मारा हो और जितनों ने किसी मक़्तूल को छुआ हो, वह सब अपने आप को और अपने कैदियों को तीसरे दिन और सातवें दिन पाक करें।
וְאַתֶּ֗ם חֲנ֛וּ מִח֥וּץ לַֽמַּחֲנֶ֖ה שִׁבְעַ֣ת יָמִ֑ים כֹּל֩ הֹרֵ֨ג נֶ֜פֶשׁ וְכֹ֣ל ׀ נֹגֵ֣עַ בֶּֽחָלָ֗ל תִּֽתְחַטְּא֞וּ בַּיּ֤וֹם הַשְּׁלִישִׁי֙ וּבַיּ֣וֹם הַשְּׁבִיעִ֔י אַתֶּ֖ם וּשְׁבִיכֶֽם׃
20 तुम अपने सब कपड़ों और चमड़े की सब चीज़ों को और बकरी के बालों की बुनी हुई चीज़ों को और लकड़ी के सब बर्तनों को पाक करना।”
וְכָל־בֶּ֧גֶד וְכָל־כְּלִי־ע֛וֹר וְכָל־מַעֲשֵׂ֥ה עִזִּ֖ים וְכָל־כְּלִי־עֵ֑ץ תִּתְחַטָּֽאוּ׃ ס
21 और इली'एलियाज़र काहिन ने उन सिपाहियों से जो जंग पर गए थे कहा, शरी'अत का वह क़ानून जिसका हुक्म ख़ुदावन्द ने मूसा को दिया यही है, कि
וַיֹּ֨אמֶר אֶלְעָזָ֤ר הַכֹּהֵן֙ אֶל־אַנְשֵׁ֣י הַצָּבָ֔א הַבָּאִ֖ים לַמִּלְחָמָ֑ה זֹ֚את חֻקַּ֣ת הַתּוֹרָ֔ה אֲשֶׁר־צִוָּ֥ה יְהוָ֖ה אֶת־מֹשֶֽׁה׃
22 सोना और चाँदी और पीतल और लोहा और रांगा और सीसा;
אַ֥ךְ אֶת־הַזָּהָ֖ב וְאֶת־הַכָּ֑סֶף אֶֽת־הַנְּחֹ֙שֶׁת֙ אֶת־הַבַּרְזֶ֔ל אֶֽת־הַבְּדִ֖יל וְאֶת־הָעֹפָֽרֶת׃
23 ग़रज़ जो कुछ आग में ठहर सके वह सब तुम आग में डालना तब वह साफ़ होगा, तो भी नापाकी दूर करने के पानी से उसे पाक करना पड़ेगा; और जो कुछ आग में न ठहर सके उसे तुम पानी में डालना।
כָּל־דָּבָ֞ר אֲשֶׁר־יָבֹ֣א בָאֵ֗שׁ תַּעֲבִ֤ירוּ בָאֵשׁ֙ וְטָהֵ֔ר אַ֕ךְ בְּמֵ֥י נִדָּ֖ה יִתְחַטָּ֑א וְכֹ֨ל אֲשֶׁ֧ר לֹֽא־יָבֹ֛א בָּאֵ֖שׁ תַּעֲבִ֥ירוּ בַמָּֽיִם׃
24 और तुम सातवें दिन अपने कपड़े धोना तब तुम पाक ठहरोगे, इसके बाद लश्करगाह में दाख़िल होना।
וְכִבַּסְתֶּ֧ם בִּגְדֵיכֶ֛ם בַּיּ֥וֹם הַשְּׁבִיעִ֖י וּטְהַרְתֶּ֑ם וְאַחַ֖ר תָּבֹ֥אוּ אֶל־הַֽמַּחֲנֶֽה׃ פ
25 और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि,
וַיֹּ֥אמֶר יְהוָ֖ה אֶל־מֹשֶׁ֥ה לֵּאמֹֽר׃
26 “इली'एलियाज़र काहिन और जमा'अत के आबाई ख़ान्दानों के सरदारों को साथ लेकर, तू उन आदमियों और जानवरों को शुमार कर जो लूट में आए हैं।
שָׂ֗א אֵ֣ת רֹ֤אשׁ מַלְק֙וֹחַ֙ הַשְּׁבִ֔י בָּאָדָ֖ם וּבַבְּהֵמָ֑ה אַתָּה֙ וְאֶלְעָזָ֣ר הַכֹּהֵ֔ן וְרָאשֵׁ֖י אֲב֥וֹת הָעֵדָֽה׃
27 और लूट के इस माल को दो हिस्सों में तक़्सीम कर कि, एक हिस्सा उन जंगी मर्दों को दे जो लड़ाई में गए थे और दूसरा हिस्सा जमा'अत को दे।
וְחָצִ֙יתָ֙ אֶת־הַמַּלְק֔וֹחַ בֵּ֚ין תֹּפְשֵׂ֣י הַמִּלְחָמָ֔ה הַיֹּצְאִ֖ים לַצָּבָ֑א וּבֵ֖ין כָּל־הָעֵדָֽה׃
28 और उन जंगी मर्दों से जो लड़ाई में गए थे, ख़ुदावन्द के लिए चाहे आदमी हों या गाय — बैल या गधे या भेड़ बकरियाँ, हर पाँच सौ पीछे एक को हिस्से के तौर पर ले;
וַהֲרֵמֹתָ֨ מֶ֜כֶס לַֽיהוָ֗ה מֵאֵ֞ת אַנְשֵׁ֤י הַמִּלְחָמָה֙ הַיֹּצְאִ֣ים לַצָּבָ֔א אֶחָ֣ד נֶ֔פֶשׁ מֵחֲמֵ֖שׁ הַמֵּא֑וֹת מִן־הָאָדָם֙ וּמִן־הַבָּקָ֔ר וּמִן־הַחֲמֹרִ֖ים וּמִן־הַצֹּֽאן׃
29 इनही के आधे में से इस हिस्से को लेकर इली'एलियाज़र काहिन को देना, ताकि यह ख़ुदावन्द के सामने उठाने की क़ुर्बानी ठहरे।
מִמַּֽחֲצִיתָ֖ם תִּקָּ֑חוּ וְנָתַתָּ֛ה לְאֶלְעָזָ֥ר הַכֹּהֵ֖ן תְּרוּמַ֥ת יְהוָֽה׃
30 और बनी — इस्राईल के आधे में से चाहे आदमी हों या गाय — बैल या गधे या भेड़ — बकरियाँ, या'नी सब क़िस्म के चौपायों में से पचास — पचास पीछे एक — एक को लेकर लावियों को देना जो ख़ुदावन्द के घर की मुहाफ़िज़त करते हैं।”
וּמִמַּחֲצִ֨ת בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֜ל תִּקַּ֣ח ׀ אֶחָ֣ד ׀ אָחֻ֣ז מִן־הַחֲמִשִּׁ֗ים מִן־הָאָדָ֧ם מִן־הַבָּקָ֛ר מִן־הַחֲמֹרִ֥ים וּמִן־הַצֹּ֖אן מִכָּל־הַבְּהֵמָ֑ה וְנָתַתָּ֤ה אֹתָם֙ לַלְוִיִּ֔ם שֹׁמְרֵ֕י מִשְׁמֶ֖רֶת מִשְׁכַּ֥ן יְהוָֽה׃
31 चुनाँचे मूसा और इली'एलियाज़र काहिन ने जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा था वैसा ही किया।
וַיַּ֣עַשׂ מֹשֶׁ֔ה וְאֶלְעָזָ֖ר הַכֹּהֵ֑ן כַּאֲשֶׁ֛ר צִוָּ֥ה יְהוָ֖ה אֶת־מֹשֶֽׁה׃
32 और जो कुछ माल — ए — ग़नीमत जंगी मदों के हाथ आया था उसे छोड़कर लूट के माल में छः लाख पिछतर हज़ार भेड़ — बकरियाँ थीं;
וַיְהִי֙ הַמַּלְק֔וֹחַ יֶ֣תֶר הַבָּ֔ז אֲשֶׁ֥ר בָּזְז֖וּ עַ֣ם הַצָּבָ֑א צֹ֗אן שֵׁשׁ־מֵא֥וֹת אֶ֛לֶף וְשִׁבְעִ֥ים אֶ֖לֶף וַחֲמֵֽשֶׁת־אֲלָפִֽים׃
33 और बहतर हज़ार गाय — बैल,
וּבָקָ֕ר שְׁנַ֥יִם וְשִׁבְעִ֖ים אָֽלֶף׃
34 और इकसठ हज़ार गधे,
וַחֲמֹרִ֕ים אֶחָ֥ד וְשִׁשִּׁ֖ים אָֽלֶף׃
35 और नुफूस — ए — इंसानी में से बतीस हज़ार ऐसी 'औरतें जो मर्द से नावाक़िफ़ और अछूती थीं।
וְנֶ֣פֶשׁ אָדָ֔ם מִן־הַ֨נָּשִׁ֔ים אֲשֶׁ֥ר לֹֽא־יָדְע֖וּ מִשְׁכַּ֣ב זָכָ֑ר כָּל־נֶ֕פֶשׁ שְׁנַ֥יִם וּשְׁלֹשִׁ֖ים אָֽלֶף׃
36 और लूट के माल के उस आधे में जो जंगी मदों का हिस्सा था, तीन लाख सैंतीस हज़ार पाँच सौ भेड़ — बकरियाँ थीं,
וַתְּהִי֙ הַֽמֶּחֱצָ֔ה חֵ֕לֶק הַיֹּצְאִ֖ים בַּצָּבָ֑א מִסְפַּ֣ר הַצֹּ֗אן שְׁלֹשׁ־מֵא֥וֹת אֶ֙לֶף֙ וּשְׁלֹשִׁ֣ים אֶ֔לֶף וְשִׁבְעַ֥ת אֲלָפִ֖ים וַחֲמֵ֥שׁ מֵאֽוֹת׃
37 जिनमें से छ: सौ पिछतर भेड़ — बकरियाँ ख़ुदावन्द के हिस्से के लिए थीं।
וַיְהִ֛י הַמֶּ֥כֶס לַֽיהוָ֖ה מִן־הַצֹּ֑אן שֵׁ֥שׁ מֵא֖וֹת חָמֵ֥שׁ וְשִׁבְעִֽים׃
38 और छत्तीस हज़ार गाय — बैल थे, जिनमें से बहत्तर ख़ुदावन्द के हिस्से के थे।
וְהַ֨בָּקָ֔ר שִׁשָּׁ֥ה וּשְׁלֹשִׁ֖ים אָ֑לֶף וּמִכְסָ֥ם לַיהוָ֖ה שְׁנַ֥יִם וְשִׁבְעִֽים׃
39 और तीस हज़ार पाँच सौ गधे थे, जिनमें से इकसठ गधे ख़ुदावन्द के हिस्से के थे।
וַחֲמֹרִ֕ים שְׁלֹשִׁ֥ים אֶ֖לֶף וַחֲמֵ֣שׁ מֵא֑וֹת וּמִכְסָ֥ם לַֽיהוָ֖ה אֶחָ֥ד וְשִׁשִּֽׁים׃
40 और नुफूस — ए — इंसानी का शुमार सोलह हज़ार था, जिनमें से बतीस जानें ख़ुदावन्द के हिस्से की थीं।
וְנֶ֣פֶשׁ אָדָ֔ם שִׁשָּׁ֥ה עָשָׂ֖ר אָ֑לֶף וּמִכְסָם֙ לַֽיהוָ֔ה שְׁנַ֥יִם וּשְׁלֹשִׁ֖ים נָֽפֶשׁ׃
41 तब मूसा ने ख़ुदावन्द के हुक्म के मुवाफ़िक उस हिस्से को जो ख़ुदावन्द के उठाने की क़ुर्बानी थी, इली'एलियाज़र काहिन को दिया।
וַיִּתֵּ֣ן מֹשֶׁ֗ה אֶת־מֶ֙כֶס֙ תְּרוּמַ֣ת יְהוָ֔ה לְאֶלְעָזָ֖ר הַכֹּהֵ֑ן כַּאֲשֶׁ֛ר צִוָּ֥ה יְהוָ֖ה אֶת־מֹשֶֽׁה׃
42 अब रहा बनी — इस्राईल का आधा हिस्सा, जिसे मूसा ने जंगी मर्दों के हिस्से से अलग रख्खा था;
וּמִֽמַּחֲצִ֖ית בְּנֵ֣י יִשְׂרָאֵ֑ל אֲשֶׁר֙ חָצָ֣ה מֹשֶׁ֔ה מִן־הָאֲנָשִׁ֖ים הַצֹּבְאִֽים׃
43 फिर इस आधे में भी जो जमा'अत को दिया गया तीन लाख सैंतीस हज़ार पाँच सौ भेड़ — बकरियाँ थीं,
וַתְּהִ֛י מֶחֱצַ֥ת הָעֵדָ֖ה מִן־הַצֹּ֑אן שְׁלֹשׁ־מֵא֥וֹת אֶ֙לֶף֙ וּשְׁלֹשִׁ֣ים אֶ֔לֶף שִׁבְעַ֥ת אֲלָפִ֖ים וַחֲמֵ֥שׁ מֵאֽוֹת׃
44 और छत्तीस हज़ार गाय — बैल
וּבָקָ֕ר שִׁשָּׁ֥ה וּשְׁלֹשִׁ֖ים אָֽלֶף׃
45 और तीस हज़ार पाँच सौ गधे,
וַחֲמֹרִ֕ים שְׁלֹשִׁ֥ים אֶ֖לֶף וַחֲמֵ֥שׁ מֵאֽוֹת׃
46 और सोलह हज़ार नुफूस — ए — इंसान ी।
וְנֶ֣פֶשׁ אָדָ֔ם שִׁשָּׁ֥ה עָשָׂ֖ר אָֽלֶף׃
47 और बनी — इस्राईल के इस आधे में से मूसा ने ख़ुदावन्द के हुक्म के मुवाफ़िक, क्या इंसान और क्या हैवान हर पचास पीछे एक को लेकर लावियों को दिया जो ख़ुदावन्द के घर की मुहाफ़िज़त करते थे।
וַיִּקַּ֨ח מֹשֶׁ֜ה מִמַּחֲצִ֣ת בְּנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֗ל אֶת־הָֽאָחֻז֙ אֶחָ֣ד מִן־הַחֲמִשִּׁ֔ים מִן־הָאָדָ֖ם וּמִן־הַבְּהֵמָ֑ה וַיִּתֵּ֨ן אֹתָ֜ם לַלְוִיִּ֗ם שֹֽׁמְרֵי֙ מִשְׁמֶ֙רֶת֙ מִשְׁכַּ֣ן יְהוָ֔ה כַּאֲשֶׁ֛ר צִוָּ֥ה יְהוָ֖ה אֶת־מֹשֶֽׁה׃
48 तब वह फ़ौजी सरदार जो हज़ारों और सैकड़ों सिपाहियों के सरदार थे, मूसा के पास आकर
וַֽיִּקְרְבוּ֙ אֶל־מֹשֶׁ֔ה הַפְּקֻדִ֕ים אֲשֶׁ֖ר לְאַלְפֵ֣י הַצָּבָ֑א שָׂרֵ֥י הָאֲלָפִ֖ים וְשָׂרֵ֥י הַמֵּאֽוֹת׃
49 उससे कहने लगे, “तेरे ख़ादिमों ने उन सब जंगी मदों को जो हमारे मातहत हैं गिना, और उनमें से एक जवान भी कम न हुआ।
וַיֹּֽאמְרוּ֙ אֶל־מֹשֶׁ֔ה עֲבָדֶ֣יךָ נָֽשְׂא֗וּ אֶת־רֹ֛אשׁ אַנְשֵׁ֥י הַמִּלְחָמָ֖ה אֲשֶׁ֣ר בְּיָדֵ֑נוּ וְלֹא־נִפְקַ֥ד מִמֶּ֖נּוּ אִֽישׁ׃
50 इसलिए हम में से जो कुछ जिसके हाथ लगा, या'नी सोने के ज़ेवर और पाज़ेब और कंगन और अंगूठियाँ और मुन्दरें और बाज़ूबन्द यह सब हम ख़ुदावन्द के हदिये के तौर पर ले आए हैं ताकि हमारी जानों के लिए ख़ुदावन्द के सामने कफ़्फ़ारा दिया जाए।”
וַנַּקְרֵ֞ב אֶת־קָרְבַּ֣ן יְהוָ֗ה אִישׁ֩ אֲשֶׁ֨ר מָצָ֤א כְלִֽי־זָהָב֙ אֶצְעָדָ֣ה וְצָמִ֔יד טַבַּ֖עַת עָגִ֣יל וְכוּמָ֑ז לְכַפֵּ֥ר עַל־נַפְשֹׁתֵ֖ינוּ לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃
51 चुनाँचे मूसा और इली'एलियाज़र काहिन ने उनसे यह सब सोने के घड़े हुए ज़ेवर ले लिए।
וַיִּקַּ֨ח מֹשֶׁ֜ה וְאֶלְעָזָ֧ר הַכֹּהֵ֛ן אֶת־הַזָּהָ֖ב מֵֽאִתָּ֑ם כֹּ֖ל כְּלִ֥י מַעֲשֶֽׂה׃
52 और उस हदिये का सारा सोना जो हज़ारों और सैकड़ों के सरदारों ने ख़ुदावन्द के सामने पेश कर, वह या'नी, तकरीबन 190 कि. ग्रा. या'नीसोलह हज़ार सात सौ पचास मिस्काल था।
וַיְהִ֣י ׀ כָּל־זְהַ֣ב הַתְּרוּמָ֗ה אֲשֶׁ֤ר הֵרִ֙ימוּ֙ לַֽיהוָ֔ה שִׁשָּׁ֨ה עָשָׂ֥ר אֶ֛לֶף שְׁבַע־מֵא֥וֹת וַחֲמִשִּׁ֖ים שָׁ֑קֶל מֵאֵת֙ שָׂרֵ֣י הָֽאֲלָפִ֔ים וּמֵאֵ֖ת שָׂרֵ֥י הַמֵּאֽוֹת׃
53 क्यूँकि जंगी मर्दों में से हर एक कुछ न कुछ लूट कर ले आया था।
אַנְשֵׁי֙ הַצָּבָ֔א בָּזְז֖וּ אִ֥ישׁ לֽוֹ׃
54 तब मूसा और इली'एलियाज़र काहिन उस सोने को जो उन्होंने हज़ारों और सैकड़ों के सरदारों से लिया था, ख़ेमा — ए — इजितमा'अ में लाए ताकि वह ख़ुदावन्द के सामने बनी — इस्राईल की यादगार ठहरे।
וַיִּקַּ֨ח מֹשֶׁ֜ה וְאֶלְעָזָ֤ר הַכֹּהֵן֙ אֶת־הַזָּהָ֔ב מֵאֵ֛ת שָׂרֵ֥י הָאֲלָפִ֖ים וְהַמֵּא֑וֹת וַיָּבִ֤אוּ אֹתוֹ֙ אֶל־אֹ֣הֶל מוֹעֵ֔ד זִכָּר֥וֹן לִבְנֵֽי־יִשְׂרָאֵ֖ל לִפְנֵ֥י יְהוָֽה׃ פ

< गिन 31 >