< गिन 31 >

1 फिर ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى قَائِلًا:١
2 “मिदियानियों से बनी — इस्राईल का इन्तक़ाम ले; इसके बाद तू अपने लोगों में जा मिलेगा।”
«اِنْتَقِمْ نَقْمَةً لِبَنِي إِسْرَائِيلَ مِنَ ٱلْمِدْيَانِيِّينَ، ثُمَّ تُضَمُّ إِلَى قَوْمِكَ».٢
3 तब मूसा ने लोगों से कहा, “अपने में से जंग के लिए आदमियों को हथियारबन्द करो, ताकि वह मिदियानियों पर हमला करें और मिदियानियों से ख़ुदावन्द का इन्तक़ाम लें।
فَكَلَّمَ مُوسَى ٱلشَّعْبَ قَائِلًا: «جَرِّدُوا مِنْكُمْ رِجَالًا لِلْجُنْدِ، فَيَكُونُوا عَلَى مِدْيَانَ لِيَجْعَلُوا نَقْمَةَ ٱلرَّبِّ عَلَى مِدْيَانَ.٣
4 और इस्राईल के सब क़बीलों में से हर क़बीला एक हज़ार आदमी लेकर जंग के लिए भेजना।”
أَلْفًا وَاحِدًا مِنْ كُلِّ سِبْطٍ مِنْ جَمِيعِ أَسْبَاطِ إِسْرَائِيلَ تُرْسِلُونَ لِلْحَرْبِ».٤
5 फिर हज़ारों हज़ार बनी — इस्राईल में से हर क़बीला एक हज़ार के हिसाब से बारह हज़ार हथियारबन्द आदमी जंग के लिए चुने गए।
فَٱخْتِيرَ مِنْ أُلُوفِ إِسْرَائِيلَ أَلْفٌ مِنْ كُلِّ سِبْطٍ. ٱثْنَا عَشَرَ أَلْفًا مُجَرَّدُونَ لِلْحَرْبِ.٥
6 यूँ मूसा ने हर क़बीले से एक हज़ार आदमियों को जंग के लिए भेजा और इली'एलियाज़र काहिन के बेटे फ़ीन्हास को भी जंग पर रवाना किया, और हैकल के बर्तन और बलन्द आवाज़ के नरसिंगे उसके साथ कर दिए।
فَأَرْسَلَهُمْ مُوسَى أَلْفًا مِنْ كُلِّ سِبْطٍ إِلَى ٱلْحَرْبِ، هُمْ وَفِينْحَاسَ بْنَ أَلِعَازَارَ ٱلْكَاهِنِ إِلَى ٱلْحَرْبِ، وَأَمْتِعَةُ ٱلْقُدْسِ وَأَبْوَاقُ ٱلْهُتَافِ فِي يَدِهِ.٦
7 और जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा को हुक्म दिया था, उसके मुताबिक़ उन्होंने मिदियानियों से जंग की और सब मर्दों को क़त्ल किया।
فَتَجَنَّدُوا عَلَى مِدْيَانَ كَمَا أَمَرَ ٱلرَّبُّ وَقَتَلُوا كُلَّ ذَكَرٍ.٧
8 और उन्होंने उन मक्तूलों के अलावा ईव्वी और रक़म और सूर और होर और रबा' को भी, जो मिदियान के पाँच बादशाह थे, जान से मारा और ब'ओर के बेटे बल'आम को भी तलवार से क़त्ल किया।
وَمُلُوكُ مِدْيَانَ قَتَلُوهُمْ فَوْقَ قَتْلَاهُمْ: أَوِيَ وَرَاقِمَ وَصُورَ وَحُورَ وَرَابِعَ. خَمْسَةَ مُلُوكِ مِدْيَانَ. وَبَلْعَامَ بْنَ بَعُورَ قَتَلُوهُ بِٱلسَّيْفِ.٨
9 और बनी — इस्राईल ने मिदियान की 'औरतों और उनके बच्चों को ग़ुलाम किया, और उनके चौपाये और भेड़ बकरियाँ और माल — ओ — अस्बाब सब कुछ लूट लिया।
وَسَبَى بَنُو إِسْرَائِيلَ نِسَاءَ مِدْيَانَ وَأَطْفَالَهُمْ، وَنَهَبُوا جَمِيعَ بَهَائِمِهِمْ، وَجَمِيعَ مَوَاشِيهِمْ وَكُلَّ أَمْلَاكِهِمْ.٩
10 और उनकी सुकुनतगाहों के सब शहरों को जिनमें वह रहते थे, और उनकी सब छावनियों को आग से फूँक दिया।
وَأَحْرَقُوا جَمِيعَ مُدُنِهِمْ بِمَسَاكِنِهِمْ، وَجَمِيعَ حُصُونِهِمْ بِٱلنَّارِ.١٠
11 और उन्होंने सारा माल — ए — ग़नीमत और सब ग़ुलाम, क्या इंसान और क्या हैवान साथ लिए,
وَأَخَذُوا كُلَّ ٱلْغَنِيمَةِ وَكُلَّ ٱلنَّهْبِ مِنَ ٱلنَّاسِ وَٱلْبَهَائِمِ،١١
12 और उन ग़ुलामों और माल — ए — ग़नीमत को मूसा और इली'एलियाज़र काहिन और बनी इस्राईल की सारी जमा'अत के पास उस लश्करगाह में ले आए जो यरीहू के सामने यरदन के किनारे किनारे मोआब के मैदानों में थी।
وَأَتَوْا إِلَى مُوسَى وَأَلِعَازَارَ ٱلْكَاهِنِ وَإِلَى جَمَاعَةِ بَنِي إِسْرَائِيلَ بِٱلسَّبْيِ وَٱلنَّهْبِ وَٱلْغَنِيمَةِ إِلَى ٱلْمَحَلَّةِ إِلَى عَرَبَاتِ مُوآبَ ٱلَّتِي عَلَى أُرْدُنِّ أَرِيحَا.١٢
13 तब मूसा और इली'एलियाज़र काहिन और जमा'अत के सब सरदार उनके इस्तक़बाल के लिए लश्करगाह के बाहर गए।
فَخَرَجَ مُوسَى وَأَلِعَازَارُ ٱلْكَاهِنُ وَكُلُّ رُؤَسَاءِ ٱلْجَمَاعَةِ لِٱسْتِقْبَالِهِمْ إِلَى خَارِجِ ٱلْمَحَلَّةِ.١٣
14 और मूसा उन फ़ौजी सरदारों पर जो हज़ारों और सैकड़ों के सरदार थे और जंग से लौटे थे झल्लाया,
فَسَخَطَ مُوسَى عَلَى وُكَلَاءِ ٱلْجَيْشِ، رُؤَسَاءِ ٱلْأُلُوفِ وَرُؤَسَاءِ ٱلْمِئَاتِ ٱلْقَادِمِينَ مِنْ جُنْدِ ٱلْحَرْبِ.١٤
15 और उनसे कहने लगा, “क्या तुम ने सब 'औरतें जीती बचा रख्खी हैं?
وَقَالَ لَهُمْ مُوسَى: «هَلْ أَبْقَيْتُمْ كُلَّ أُنْثَى حَيَّةً؟١٥
16 देखो, इन ही ने बल'आम की सलाह से फ़गूर के मु'आमिले में बनी — इस्राईल से ख़ुदावन्द की हुक्म उदूली कराई, और यूँ ख़ुदावन्द की जमा'अत में वबा फैली।
إِنَّ هَؤُلَاءِ كُنَّ لِبَنِي إِسْرَائِيلَ، حَسَبَ كَلَامِ بَلْعَامَ، سَبَبَ خِيَانَةٍ لِلرَّبِّ فِي أَمْرِ فَغُورَ، فَكَانَ ٱلْوَبَأُ فِي جَمَاعَةِ ٱلرَّبِّ.١٦
17 इसलिए इन बच्चों में जितने लड़के हैं सब को मार डालो, और जितनी 'औरतें मर्द का मुँह देख चुकी हैं उनको क़त्ल कर डालो।
فَٱلْآنَ ٱقْتُلُوا كُلَّ ذَكَرٍ مِنَ ٱلْأَطْفَالِ. وَكُلَّ ٱمْرَأَةٍ عَرَفَتْ رَجُلًا بِمُضَاجَعَةِ ذَكَرٍ ٱقْتُلُوهَا.١٧
18 लेकिन उन लड़कियों को जो मर्द से वाक़िफ़ नहीं और अछूती हैं, अपने लिए ज़िन्दा रख्खो।
لَكِنْ جَمِيعُ ٱلْأَطْفَالِ مِنَ ٱلنِّسَاءِ ٱللَّوَاتِي لَمْ يَعْرِفْنَ مُضَاجَعَةَ ذَكَرٍ أَبْقُوهُنَّ لَكُمْ حَيَّاتٍ.١٨
19 और तुम सात दिन तक लश्करगाह के बाहर ही ख़ेमे डाले पड़े रहो, और तुम में से जितनों ने किसी आदमी की जान से मारा हो और जितनों ने किसी मक़्तूल को छुआ हो, वह सब अपने आप को और अपने कैदियों को तीसरे दिन और सातवें दिन पाक करें।
وَأَمَّا أَنْتُمْ فَٱنْزِلُوا خَارِجَ ٱلْمَحَلَّةِ سَبْعَةَ أَيَّامٍ، وَتَطَهَّرُوا كُلُّ مَنْ قَتَلَ نَفْسًا، وَكُلُّ مَنْ مَسَّ قَتِيلًا، فِي ٱلْيَوْمِ ٱلثَّالِثِ وَفِي ٱلسَّابِعِ، أَنْتُمْ وَسَبْيُكُمْ.١٩
20 तुम अपने सब कपड़ों और चमड़े की सब चीज़ों को और बकरी के बालों की बुनी हुई चीज़ों को और लकड़ी के सब बर्तनों को पाक करना।”
وَكُلُّ ثَوْبٍ، وَكُلُّ مَتَاعٍ مِنْ جِلْدٍ، وَكُلُّ مَصْنُوعٍ مِنْ شَعْرِ مَعْزٍ، وَكُلُّ مَتَاعٍ مِنْ خَشَبٍ، تُطَهِّرُونَهُ».٢٠
21 और इली'एलियाज़र काहिन ने उन सिपाहियों से जो जंग पर गए थे कहा, शरी'अत का वह क़ानून जिसका हुक्म ख़ुदावन्द ने मूसा को दिया यही है, कि
وَقَالَ أَلِعَازَارُ ٱلْكَاهِنُ لِرِجَالِ ٱلْجُنْدِ ٱلَّذِينَ ذَهَبُوا لِلْحَرْبِ: «هَذِهِ فَرِيضَةُ ٱلشَّرِيعَةِ ٱلَّتِي أَمَرَ بِهَا ٱلرَّبُّ مُوسَى:٢١
22 सोना और चाँदी और पीतल और लोहा और रांगा और सीसा;
اَلذَّهَبُ وَٱلْفِضَّةُ وَٱلنُّحَاسُ وَٱلْحَدِيدُ وَٱلْقَصْدِيرُ وَٱلرَّصَاصُ،٢٢
23 ग़रज़ जो कुछ आग में ठहर सके वह सब तुम आग में डालना तब वह साफ़ होगा, तो भी नापाकी दूर करने के पानी से उसे पाक करना पड़ेगा; और जो कुछ आग में न ठहर सके उसे तुम पानी में डालना।
كُلُّ مَا يَدْخُلُ ٱلنَّارَ، تُجِيزُونَهُ فِي ٱلنَّارِ فَيَكُونُ طَاهِرًا، غَيْرَ أَنَّهُ يَتَطَهَّرُ بِمَاءِ ٱلنَّجَاسَةِ. وَأَمَّا كُلُّ مَا لَا يَدْخُلُ ٱلنَّارَ فَتُجِيزُونَهُ فِي ٱلْمَاءِ.٢٣
24 और तुम सातवें दिन अपने कपड़े धोना तब तुम पाक ठहरोगे, इसके बाद लश्करगाह में दाख़िल होना।
وَتَغْسِلُونَ ثِيَابَكُمْ فِي ٱلْيَوْمِ ٱلسَّابِعِ فَتَكُونُونَ طَاهِرِينَ، وَبَعْدَ ذَلِكَ تَدْخُلُونَ ٱلْمَحَلَّةَ».٢٤
25 और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि,
وَكَلَّمَ ٱلرَّبُّ مُوسَى قَائِلًا:٢٥
26 “इली'एलियाज़र काहिन और जमा'अत के आबाई ख़ान्दानों के सरदारों को साथ लेकर, तू उन आदमियों और जानवरों को शुमार कर जो लूट में आए हैं।
«أَحْصِ ٱلنَّهْبَ ٱلْمَسْبِيَّ مِنَ ٱلنَّاسِ وَٱلْبَهَائِمِ، أَنْتَ وَأَلِعَازَارُ ٱلْكَاهِنُ وَرُؤُوسُ آبَاءِ ٱلْجَمَاعَةِ.٢٦
27 और लूट के इस माल को दो हिस्सों में तक़्सीम कर कि, एक हिस्सा उन जंगी मर्दों को दे जो लड़ाई में गए थे और दूसरा हिस्सा जमा'अत को दे।
وَنَصِّفِ ٱلنَّهْبَ بَيْنَ ٱلَّذِينَ بَاشَرُوا ٱلْقِتَالَ ٱلْخَارِجِينَ إِلَى ٱلْحَرْبِ، وَبَيْنَ كُلِّ ٱلْجَمَاعَةِ.٢٧
28 और उन जंगी मर्दों से जो लड़ाई में गए थे, ख़ुदावन्द के लिए चाहे आदमी हों या गाय — बैल या गधे या भेड़ बकरियाँ, हर पाँच सौ पीछे एक को हिस्से के तौर पर ले;
وَٱرْفَعْ زَكَاةً لِلرَّبِّ. مِنْ رِجَالِ ٱلْحَرْبِ ٱلْخَارِجِينَ إِلَى ٱلْقِتَالِ وَاحِدَةً. نَفْسًا مِنْ كُلِّ خَمْسِ مِئَةٍ مِنَ ٱلنَّاسِ وَٱلْبَقَرِ وَٱلْحَمِيرِ وَٱلْغَنَمِ.٢٨
29 इनही के आधे में से इस हिस्से को लेकर इली'एलियाज़र काहिन को देना, ताकि यह ख़ुदावन्द के सामने उठाने की क़ुर्बानी ठहरे।
مِنْ نِصْفِهِمْ تَأْخُذُونَهَا وَتُعْطُونَهَا لِأَلِعَازَارَ ٱلْكَاهِنِ رَفِيعَةً لِلرَّبِّ.٢٩
30 और बनी — इस्राईल के आधे में से चाहे आदमी हों या गाय — बैल या गधे या भेड़ — बकरियाँ, या'नी सब क़िस्म के चौपायों में से पचास — पचास पीछे एक — एक को लेकर लावियों को देना जो ख़ुदावन्द के घर की मुहाफ़िज़त करते हैं।”
وَمِنْ نِصْفِ بَنِي إِسْرَائِيلَ تَأْخُذُ وَاحِدَةً مَأْخُوذَةً مِنْ كُلِّ خَمْسِينَ مِنَ ٱلنَّاسِ وَٱلْبَقَرِ وَٱلْحَمِيرِ وَٱلْغَنَمِ مِنْ جَمِيعِ ٱلْبَهَائِمِ، وَتُعْطِيهَا لِلَّاوِيِّينَ ٱلْحَافِظِينَ شَعَائِرَ مَسْكَنِ ٱلرَّبِّ».٣٠
31 चुनाँचे मूसा और इली'एलियाज़र काहिन ने जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा था वैसा ही किया।
فَفَعَلَ مُوسَى وَأَلِعَازَارُ ٱلْكَاهِنُ كَمَا أَمَرَ ٱلرَّبُّ مُوسَى.٣١
32 और जो कुछ माल — ए — ग़नीमत जंगी मदों के हाथ आया था उसे छोड़कर लूट के माल में छः लाख पिछतर हज़ार भेड़ — बकरियाँ थीं;
وَكَانَ ٱلنَّهْبُ فَضْلَةُ ٱلْغَنِيمَةِ ٱلَّتِي ٱغْتَنَمَهَا رِجَالُ ٱلْجُنْدِ: مِنَ ٱلْغَنَمِ سِتَّ مِئَةٍ وَخَمْسَةً وَسَبْعِينَ أَلْفًا،٣٢
33 और बहतर हज़ार गाय — बैल,
وَمِنَ ٱلْبَقَرِ ٱثْنَيْنِ وَسَبْعِينَ أَلْفًا،٣٣
34 और इकसठ हज़ार गधे,
وَمِنَ ٱلْحَمِيرِ وَاحِدًا وَسِتِّينَ أَلْفًا،٣٤
35 और नुफूस — ए — इंसानी में से बतीस हज़ार ऐसी 'औरतें जो मर्द से नावाक़िफ़ और अछूती थीं।
وَمِنْ نُفُوسِ ٱلنَّاسِ مِنَ ٱلنِّسَاءِ ٱللَّوَاتِي لَمْ يَعْرِفْنَ مُضَاجَعَةَ ذَكَرٍ، جَمِيعِ ٱلنُّفُوسِ ٱثْنَيْنِ وَثَلَاثِينَ أَلْفًا.٣٥
36 और लूट के माल के उस आधे में जो जंगी मदों का हिस्सा था, तीन लाख सैंतीस हज़ार पाँच सौ भेड़ — बकरियाँ थीं,
وَكَانَ ٱلنِّصْفُ نَصِيبُ ٱلْخَارِجِينَ إِلَى ٱلْحَرْبِ: عَدَدُ ٱلْغَنَمِ ثَلَاثَ مِئَةٍ وَسَبْعَةً وَثَلَاثِينَ أَلْفًا وَخَمْسَ مِئَةٍ.٣٦
37 जिनमें से छ: सौ पिछतर भेड़ — बकरियाँ ख़ुदावन्द के हिस्से के लिए थीं।
وَكَانَتِ ٱلزَّكَاةُ لِلرَّبِّ مِنَ ٱلْغَنَمِ سِتَّ مِئَةٍ وَخَمْسَةً وَسَبْعِينَ،٣٧
38 और छत्तीस हज़ार गाय — बैल थे, जिनमें से बहत्तर ख़ुदावन्द के हिस्से के थे।
وَٱلْبَقَرُ سِتَّةً وَثَلَاثِينَ أَلْفًا، وَزَكَاتُهَا لِلرَّبِّ ٱثْنَيْنِ وَسَبْعِينَ،٣٨
39 और तीस हज़ार पाँच सौ गधे थे, जिनमें से इकसठ गधे ख़ुदावन्द के हिस्से के थे।
وَٱلْحَمِيرُ ثَلَاثِينَ أَلْفًا وَخَمْسَ مِئَةٍ، وَزَكَاتُهَا لِلرَّبِّ وَاحِدًا وَسِتِّينَ،٣٩
40 और नुफूस — ए — इंसानी का शुमार सोलह हज़ार था, जिनमें से बतीस जानें ख़ुदावन्द के हिस्से की थीं।
وَنُفُوسُ ٱلنَّاسِ سِتَّةَ عَشَرَ أَلْفًا، وَزَكَاتُهَا لِلرَّبِّ ٱثْنَيْنِ وَثَلَاثِينَ نَفْسًا.٤٠
41 तब मूसा ने ख़ुदावन्द के हुक्म के मुवाफ़िक उस हिस्से को जो ख़ुदावन्द के उठाने की क़ुर्बानी थी, इली'एलियाज़र काहिन को दिया।
فَأَعْطَى مُوسَى ٱلزَّكَاةَ رَفِيعَةَ ٱلرَّبِّ لِأَلِعَازَارَ ٱلْكَاهِنِ كَمَا أَمَرَ ٱلرَّبُّ مُوسَى.٤١
42 अब रहा बनी — इस्राईल का आधा हिस्सा, जिसे मूसा ने जंगी मर्दों के हिस्से से अलग रख्खा था;
وَأَمَّا نِصْفُ إِسْرَائِيلَ ٱلَّذِي قَسَمَهُ مُوسَى مِنَ ٱلرِّجَالِ ٱلْمُتَجَنِّدِينَ:٤٢
43 फिर इस आधे में भी जो जमा'अत को दिया गया तीन लाख सैंतीस हज़ार पाँच सौ भेड़ — बकरियाँ थीं,
فَكَانَ نِصْفُ ٱلْجَمَاعَةِ مِنَ ٱلْغَنَمِ ثَلَاثَ مِئَةٍ وَسَبْعَةً وَثَلَاثِينَ أَلْفًا وَخَمْسَ مِئَةٍ،٤٣
44 और छत्तीस हज़ार गाय — बैल
وَمِنَ ٱلْبَقَرِ سِتَّةً وَثَلَاثِينَ أَلْفًا،٤٤
45 और तीस हज़ार पाँच सौ गधे,
وَمِنَ ٱلْحَمِيرِ ثَلَاثِينَ أَلْفًا وَخَمْسَ مِئَةٍ،٤٥
46 और सोलह हज़ार नुफूस — ए — इंसान ी।
وَمِنْ نُفُوسِ ٱلنَّاسِ سِتَّةَ عَشَرَ أَلْفًا.٤٦
47 और बनी — इस्राईल के इस आधे में से मूसा ने ख़ुदावन्द के हुक्म के मुवाफ़िक, क्या इंसान और क्या हैवान हर पचास पीछे एक को लेकर लावियों को दिया जो ख़ुदावन्द के घर की मुहाफ़िज़त करते थे।
فَأَخَذَ مُوسَى مِنْ نِصْفِ بَنِي إِسْرَائِيلَ ٱلْمَأْخُوذِ وَاحِدًا مِنْ كُلِّ خَمْسِينَ مِنَ ٱلنَّاسِ وَمِنَ ٱلْبَهَائِمِ، وَأَعْطَاهَا لِلَّاوِيِّينَ ٱلْحَافِظِينَ شَعَائِرَ مَسْكَنِ ٱلرَّبِّ، كَمَا أَمَرَ ٱلرَّبُّ مُوسَى.٤٧
48 तब वह फ़ौजी सरदार जो हज़ारों और सैकड़ों सिपाहियों के सरदार थे, मूसा के पास आकर
ثُمَّ تَقَدَّمَ إِلَى مُوسَى ٱلْوُكَلَاءُ ٱلَّذِينَ عَلَى أُلُوفِ ٱلْجُنْدِ، رُؤَسَاءُ ٱلْأُلُوفِ وَرُؤَسَاءُ ٱلْمِئَاتِ،٤٨
49 उससे कहने लगे, “तेरे ख़ादिमों ने उन सब जंगी मदों को जो हमारे मातहत हैं गिना, और उनमें से एक जवान भी कम न हुआ।
وَقَالُوا لِمُوسَى: «عَبِيدُكَ قَدْ أَخَذُوا عَدَدَ رِجَالِ ٱلْحَرْبِ ٱلَّذِينَ فِي أَيْدِينَا فَلَمْ يُفْقَدْ مِنَّا إِنْسَانٌ.٤٩
50 इसलिए हम में से जो कुछ जिसके हाथ लगा, या'नी सोने के ज़ेवर और पाज़ेब और कंगन और अंगूठियाँ और मुन्दरें और बाज़ूबन्द यह सब हम ख़ुदावन्द के हदिये के तौर पर ले आए हैं ताकि हमारी जानों के लिए ख़ुदावन्द के सामने कफ़्फ़ारा दिया जाए।”
فَقَدْ قَدَّمْنَا قُرْبَانَ ٱلرَّبِّ، كُلُّ وَاحِدٍ مَا وَجَدَهُ، أَمْتِعَةَ ذَهَبٍ: حُجُولًا وَأَسَاوِرَ وَخَوَاتِمَ وَأَقْرَاطًا وَقَلَائِدَ، لِلتَّكْفِيرِ عَنْ أَنْفُسِنَا أَمَامَ ٱلرَّبِّ».٥٠
51 चुनाँचे मूसा और इली'एलियाज़र काहिन ने उनसे यह सब सोने के घड़े हुए ज़ेवर ले लिए।
فَأَخَذَ مُوسَى وَأَلِعَازَارُ ٱلْكَاهِنُ ٱلذَّهَبَ مِنْهُمْ، كُلَّ أَمْتِعَةٍ مَصْنُوعَةٍ.٥١
52 और उस हदिये का सारा सोना जो हज़ारों और सैकड़ों के सरदारों ने ख़ुदावन्द के सामने पेश कर, वह या'नी, तकरीबन 190 कि. ग्रा. या'नीसोलह हज़ार सात सौ पचास मिस्काल था।
وَكَانَ كُلُّ ذَهَبِ ٱلرَّفِيعَةِ ٱلَّتِي رَفَعُوهَا لِلرَّبِّ سِتَّةَ عَشَرَ أَلْفًا وَسَبْعَ مِئَةٍ وَخَمْسِينَ شَاقِلًا مِنْ عِنْدِ رُؤَسَاءِ ٱلْأُلُوفِ وَرُؤَسَاءِ ٱلْمِئَاتِ.٥٢
53 क्यूँकि जंगी मर्दों में से हर एक कुछ न कुछ लूट कर ले आया था।
أَمَّا رِجَالُ ٱلْجُنْدِ فَٱغْتَنَمُوا كُلُّ وَاحِدٍ لِنَفْسِهِ.٥٣
54 तब मूसा और इली'एलियाज़र काहिन उस सोने को जो उन्होंने हज़ारों और सैकड़ों के सरदारों से लिया था, ख़ेमा — ए — इजितमा'अ में लाए ताकि वह ख़ुदावन्द के सामने बनी — इस्राईल की यादगार ठहरे।
فَأَخَذَ مُوسَى وَأَلِعَازَارُ ٱلْكَاهِنُ ٱلذَّهَبَ مِنْ رُؤَسَاءِ ٱلْأُلُوفِ وَٱلْمِئَاتِ وَأَتَيَا بِهِ إِلَى خَيْمَةِ ٱلِٱجْتِمَاعِ تَذْكَارًا لِبَنِي إِسْرَائِيلَ أَمَامَ ٱلرَّبِّ.٥٤

< गिन 31 >