< गिन 30 >

1 और मूसा ने बनी — इस्राईल के क़बीलों के सरदारों से कहा, “जिस बात का ख़ुदावन्द ने हुक्म दिया है वह यह है, कि
موسی رهبران قبایل را جمع کرد و این دستورها را از جانب خداوند به ایشان داد: «هرگاه کسی برای خداوند نذر کند یا تعهدی نماید، حق ندارد قول خود را بشکند بلکه باید آنچه را که قول داده است بجا آورد.
2 जब कोई मर्द ख़ुदावन्द की मिन्नत माने या क़सम खाकर अपने ऊपर कोई ख़ास फ़र्ज़ ठहराए, तो वह अपने 'अहद को न तोड़े; बल्कि जो कुछ उसके मुँह से निकला है उसे पूरा करे।
3 और अगर कोई 'औरत ख़ुदावन्द की मिन्नत माने और अपनी नौ जवानी के दिनों में अपने बाप के घर होते हुए अपने ऊपर कोई फ़र्ज़ ठहराए।
«هرگاه دختری که هنوز در خانهٔ پدرش زندگی می‌کند، برای خداوند نذر کند یا تعهدی نماید،
4 और उसका बाप उसकी मिन्नत और उसके फ़र्ज़ का हाल जो उसने अपने ऊपर ठहराया है सुनकर चुप हो रहे, तो वह सब मिन्नतें और सब फ़र्ज़ जो उस 'औरत ने अपने ऊपर ठहराए हैं क़ाईम रहेंगे।
باید هر چه را قول داده است ادا نماید مگر اینکه وقتی پدرش آن را بشنود او را منع کند. در این صورت، نذر دختر خودبه‌خود باطل می‌شود و خداوند او را می‌بخشد، چون پدرش به او اجازه نداده است به آن عمل کند. ولی اگر پدرش در روزی که از نذر یا تعهد دخترش آگاه می‌شود، سکوت کند، دختر ملزم به ادای قول خویش می‌باشد.
5 लेकिन अगर उसका बाप जिस दिन यह सुने उसी दिन उसे मना' करे, तो उसकी कोई मिन्नत या कोई फ़र्ज़ जो उसने अपने ऊपर ठहराया है, क़ाईम नहीं रहेगा; और ख़ुदावन्द उस 'औरत को मा'ज़ूर रख्खेगा क्यूँकि उसके बाप ने उसे इजाज़त नहीं दी।
6 और अगर किसी आदमी से उसकी निस्बत हो जाए, हालाँके उसकी मिन्नतें या मुँह की निकली हुई बात जो उसने अपने ऊपर फ़र्ज़ ठहराई है, अब तक पूरी न हुई हो;
«اگر زنی قبل از ازدواج نذری کرده و یا با قول نسنجیده‌ای خود را متعهد کرده باشد،
7 और उसका आदमी यह हाल सुनकर उस दिन उससे कुछ न कहे तो उसकी मनतें क़ाईम रहेंगी, और जो बातें उसने अपने ऊपर फ़र्ज़ ठहराई हैं वह भी क़ाईम रहेंगी।
و شوهرش از قول او باخبر شود و در همان روزی که شنید چیزی نگوید، نذر او به قوت خود باقی خواهد ماند.
8 लेकिन अगर उसका आदमी जिस दिन यह सब सुने, उसी दिन उसे मना' करे तो उसने जैसे उस 'औरत की मिन्नत को और उसके मुँह की निकली हुई बात को जो उसने अपने ऊपर फ़र्ज़ ठहराई थी तोड़ दिया; और ख़ुदावन्द उस 'औरत को मा'जूर रख्खेगा।
ولی اگر شوهرش نذر یا تعهد او را قبول نکند، مخالفت شوهر نذر او را باطل می‌سازد و خداوند آن زن را می‌بخشد.
9 लेकिन बेवा और तलाकशुदा कीं मिन्नतें और फ़र्ज़ ठहरायी हुई बातें क़ाईम रहेंगी।
اما اگر زن بیوه‌ای یا زنی که طلاق داده شده باشد، نذر یا تعهدی کند، باید آن را ادا نماید.
10 और अगर उसने अपने शौहर के घर होते हुए कुछ मिन्नत मानी या क़सम खाकर अपने ऊपर कोई फ़र्ज़ ठहराया हो,
«اگر زنی ازدواج کرده باشد و در خانهٔ شوهرش نذر یا تعهدی کند،
11 और उसका शौहर यह हाल सुन कर ख़ामोश रहा हो और उसे मना' न किया हो, तो उसकी मिन्नतें और सब फ़र्ज़ जो उसने अपने ऊपर ठहराए क़ाईम रहेंगे।
و شوهرش از این امر با اطلاع شود و چیزی نگوید، نذر یا تعهد او به قوت خود باقی خواهد بود.
12 लेकिन अगर उसके शौहर ने जिस दिन यह सब सुना उसी दिन उसे बातिल ठहराया हो, तो जो कुछ उस 'औरत के मुँह से उसकी मिन्नतों और ठहराए हुए फ़र्ज़ के बारे में निकला है, वह क़ाईम नहीं रहेगा; उसके शौहर ने उनको तोड़ डाला है, और ख़ुदावन्द उस 'औरत को मा'ज़ूर रख्खेगा।
ولی اگر شوهرش در آن روزی که باخبر می‌شود به او اجازه ندهد نذر یا تعهدش را به جا آورد، نذر یا تعهد آن زن باطل می‌شود و خداوند او را خواهد بخشید، چون شوهرش به او اجازه نداده است به آن عمل کند.
13 उसकी हर मिन्नत को और अपनी जान को दुख देने की हर क़सम को उसका शौहर चाहे तो क़ाईम रख्खे, या अगर चाहे तो बातिल ठहराए।
پس شوهر او حق دارد نذر یا تعهد او را تأیید یا باطل نماید.
14 लेकिन अगर उसका शौहर दिन — ब — दिन ख़ामोश ही रहे, तो वह जैसे उसकी सब मिन्नतों और ठहराए हुए फ़र्ज़ों को क़ाईम कर देता है; उसने उनको क़ाईम यूँ किया कि जिस दिन से सब सुना वह ख़ामोश ही रहा।
ولی اگر در روزی که شنید چیزی نگوید، معلوم می‌شود با آن موافقت کرده است.
15 लेकिन अगर वह उनको सुन कर बाद में उनको बातिल ठहराए तो वह उस 'औरत का गुनाह उठाएगा।”
اگر بیش از یک روز صبر نموده، بعد نذر او را باطل سازد، شوهر مسئول گناه زنش است.»
16 शौहर और बीवी के बीच और बाप बेटी के बीच, जब बेटी नौ — जवानी के दिनों में बाप के घर हो, इन ही तौर तरीक़े का हुक्म ख़ुदावन्द ने मूसा को दिया।
اینها دستورهایی است که خداوند به موسی داد، در مورد ادای نذر یا تعهد دختری که در خانهٔ پدرش زندگی می‌کند یا زنی که شوهر دارد.

< गिन 30 >