< गिन 28 >

1 और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि;
وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى:١
2 “बनी — इस्राईल से कह कि मेरा हदिया, या'नी मेरी वह गिज़ा जो राहतअंगेज़ ख़ुशबू की आतिशीन क़ुर्बानी है, तुम याद करके मेरे सामने वक़्त — ए — मु'अय्यन पर पेश करा करना।
«أَوْصِ بَنِي إِسْرَائِيلَ وَقُلْ لَهُمْ: عَلَيْكُمْ أَنْ تُقَرِّبُوا لِي طَعَامَ وَقَائِدِي فِي مَوَاعِيدِهِ كَرَائِحَةِ رِضًى لِي،٢
3 तू उन से कह दे कि जो आतिशी क़ुर्बानी तुम को ख़ुदावन्द के सामने पेश करना है वह यह है: कि दो बे — 'ऐब यक — साला नर बर्रे हर दिन दाइमी सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए 'अदा करो।
وَقُلْ لَهُمْ: هَذَا هُوَ الْوَقُودُ الَّذِي تُقَدِّمُونَهُ لِلرَّبِّ: حَمَلانِ حَوْلِيَّانِ صَحِيحَانِ يَوْمِيًّا، لِيَكُونَا مُحْرَقَةً دَائِمَةً.٣
4 एक बर्रा सुबह और दूसरा बर्रा शाम को चढ़ाना;
قَدِّمُوا أَحَدَ الْحَمَلَيْنِ صَبَاحاً، وَالْحَمَلَ الآخَرَ مَا بَيْنَ غُرُوبِ الشَّمْسِ والظَّلامِ،٤
5 और साथ ही ऐफ़ा के दसवें हिस्से के बराबर मैदा, जिसमें कूट कर निकाला हुआ तेल चौथाई हीन के बराबर मिला हो, नज़्र की क़ुर्बानी के तौर पर पेश करना।
مَعَ تَقْدِمَةٍ مِنْ عُشْرِ الإِيفَةِ (نَحْوَ لِتْرَيْنِ وَنِصْفِ اللِّتْرِ) مِنْ دَقِيقٍ مَعْجُونٍ بِرُبْعِ الْهِينِ (نَحْوَ لِتْرٍ) مِنْ زَيْتِ زَيْتُونٍ مَرْضُوضٍ.٥
6 यह वही दाइमी सोख़्तनी क़ुर्बानी है जो कोह-ए-सीना पर मुक़र्रर की गई, ताकि ख़ुदावन्द के सामने राहतअंगेज़ ख़ुशबू की आतिशी क़ुर्बानी ठहरे।
هَذِهِ هِيَ التَّقْدِمَةُ الْمُعْتَادَةُ الَّتِي نُصَّ عَلَيْهَا فِي جَبَلِ سِينَاءَ لِتَكُونَ رَائِحَةَ رِضًى وَمُحْرَقَةً دَائِمَةً لِلرَّبِّ.٦
7 और हीन की चौथाई के बराबर मय हर एक बर्रा तपावन के लिए लाना। हैकल ही में ख़ुदावन्द के सामने मय का यह तपावन चढ़ाना।
وَيُسْكَبُ مَعَ الْحَمَلِ الْوَاحِدِ رُبْعُ الْهِينِ (نَحْوَ لِتْرٍ) مِنَ الْخَمْرِ لِلرَّبِّ فِي الْقُدْسِ.٧
8 और दूसरे बर्रे को शाम के वक़्त चढ़ाना, और उसके साथ भी सुबह की तरह वैसी ही नज़्र की क़ुर्बानी और तपावन हो, ताकि यह ख़ुदावन्द के सामने राहतअंगेज़ ख़ुशबू की आतिशी क़ुर्बानी ठहरे।
أَمَّا الْحَمَلُ الثَّانِي فَتُقَدِّمُونَهُ بَيْنَ الْعَشَاءَيْنِ كَتَقْدِمَةِ الصَّبَاحِ، مَعَ سَكِيبِهِ، فَيَكُونُ مُحْرَقَةً رَائِحَةَ رِضًى لِلرَّبِّ.٨
9 'और सबत के दिन दो बे — 'ऐब यकसाला नर बर्रे और नज़्र की क़ुर्बानी के तौर पर ऐफ़ा के पाँचवें हिस्से के बराबर मैदा, जिसमें तेल मिला हो, तपावन के साथ पेश करना।
وَفِي يَوْمِ السَّبْتِ تُقَرِّبُونَ حَمَلَيْنِ حَوْلِيَّيْنِ صَحِيحَيْنِ، مَعَ تَقْدِمَةٍ مِنْ عُشْرَيِ الإيفَةِ (نَحْوَ خَمْسَةِ لِتْرَاتٍ) مِنْ دَقِيقٍ مَعْجُونٍ بِزَيْتٍ، وَأَيْضاً سَكِيبِ خَمْرٍ.٩
10 दाइमी सोख़्तनी क़ुर्बानी और उसके तपावन के 'अलावा यह हर सब्त की सोख़्तनी क़ुर्बानी है।
فَتَكُونُ هَذِهِ مُحْرَقَةً فِي كُلِّ سَبْتٍ، عَلاوَةً عَلَى الْمُحْرَقَةِ الدَّائِمَةِ وَسَكِيبِهَا.١٠
11 “और अपने महीनों के शुरू' में हर माह दो। बछड़े और एक मेंढा और सात बे'ऐब यक — साला नर बर्रे सोख़्तनी क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने चढ़ाया करना।
وَتُقَرِّبُونَ أَيْضاً فِي الْيَوْمِ الأَوَّلِ مِنْ كُلِّ شَهْرٍ مُحْرَقَةً لِلرَّبِّ مِنْ ثَوْرَيْنِ وَكَبْشٍ وَاحِدٍ، وَسَبْعَةِ حُمْلانٍ حَوْلِيَّةٍ صَحِيحَةٍ.١١
12 और ऐफ़ा के तीन दहाई हिस्से के बराबर मैदा, जिसमें तेल मिला हो, हर बछड़े के साथ; और ऐफ़ा के पाँचवे हिस्से के बराबर मैदा, जिसमें तेल मिला हो, हर मेंढे के साथ: और ऐफ़ा के दसवें हिस्से के बराबर मैदा, जिसमें तेल मिला हो,
وَتَقْدِمَةً مِنْ ثَلاثَةِ أَعْشَارِ الإيفَةِ (نَحْوَ سَبْعَةِ لِتْرَاتٍ وَنِصْفِ اللِّتْرِ) مِنْ دَقِيقٍ مَعْجُونٍ بِزَيْتٍ، لِكُلِّ ثَوْرٍ، وَتَقْدِمَةً مِنْ عُشْرَيِ الإيفَةِ (نَحْوَ خَمْسَةِ لِتْرَاتٍ) مِنْ دَقِيقٍ مَعْجُونٍ بِزَيْتٍ لِلْكَبْشِ الْوَاحِدِ.١٢
13 हर बर्रे के साथ नज़्र की क़ुर्बानी के तौर पर लाना। ताकि यह राहतअंगेज़ ख़ुशबू की सोख़्तनी कुर्बानी, या'नी ख़ुदावन्द के सामने आतिशीन क़ुर्बानी ठहरे।
وَتَقْدِمَةً مِنْ عُشْرِ الإيفَةِ (نَحْوَ لِتْرَيْنِ وَنِصْفِ اللِّتْرِ) مِنْ دَقِيقٍ مَعْجُونٍ بِزَيْتٍ لِكُلِّ حَمَلٍ، فَتَكُونُ مُحْرَقَةً رَائِحَةَ رِضًى وَقُرْبَاناً لِلرَّبِّ.١٣
14 और इन के साथ तपावन के लिए मय हर एक बछड़ा आधे हीन के बराबर, और हर एक मेंढा तिहाई हीन के बराबर, और हर एक बर्रा चौथाई हीन के बराबर हो। यह साल भर के हर महीने की सोख़्तनी क़ुर्बानी है।
وَتَكُونُ سَكَائِبُ خَمْرِهَا نِصْفَ الْهِينِ (نَحْوَ لِتْرَينِ) لِلثَّوْرِ، وَثُلْثَ الْهِينِ (نَحْوَ لِتْرٍ وَثُلْثِ اللِّتْرِ) لِلْكَبْشِ، وَرُبْعَ الْهِينِ (نَحْوَ لِتْرٍ) لِلْحَمَلِ. هَذِهِ مُحْرَقَةٌ تُقَرَّبُ كُلَّ شَهْرٍ مِنْ أَشْهُرِ السَّنَةِ.١٤
15 और उस दाइमी सोख़्तनी क़ुर्बानी और उसके तपावन के 'अलावा एक बकरा ख़ता की क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने पेश करा जाए।
كَذَلِكَ تُقَدِّمُونَ تَيْساً وَاحِداً مِنَ الْمَعْزِ ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ لِلرَّبِّ عَلاوَةً عَلَى الْمُحْرَقَةِ الدَّائِمَةِ الْمُقَرَّبَةِ مَعَ سَكِيبِهَا مِنَ الْخَمْرِ.١٥
16 और पहले महीने की चौदहवीं तारीख़ को ख़ुदावन्द की फ़सह हुआ करे।
وَيَكُونُ الْيَوْمُ الرَّابِعَ عَشَرَ مِنَ الشَّهْرِ الأَوَّلِ الْعِبْرِيِّ فِصْحاً لِلرَّبِّ.١٦
17 और उसी महीने की पंद्रहवीं तारीख़ को 'ईद हो, और सात दिन तक बेख़मीरी रोटी खाई जाए।
وَفِي الْيَوْمِ الْخَامِسَ عَشَرَ مِنْهُ تَحْتَفِلُونَ وَتَأْكُلُونَ فَطِيراً سَبْعَةَ أَيَّامٍ.١٧
18 पहले दिन लोगों का पाक मजमा' हो, तुम उस दिन कोई ख़ादिमाना काम न करना।
وَتُقِيمُونَ فِي الْيَوْمِ الأَوَّلِ مَحْفَلاً مُقَدَّساً، تَمْتَنِعُونَ فِيهِ عَنْ أَيِّ عَمَلٍ.١٨
19 बल्कि तुम आतिशी क़ुर्बानी, या'नी ख़ुदावन्द के सामने सोख़्तनी क़ुर्बानी के तौर पर दो बछड़े और एक मेंढा और सात यक — साला नर बर्रे चढ़ाना। यह सब के सब बे — 'ऐब हों।
وَتُصْعِدُونَ ذَبَائِحَ مُحْرَقَاتٍ لِلرَّبِّ ثَوْرَيْنِ وَكَبْشاً وَاحِداً وَسَبْعَةَ حُمْلانٍ حَوْلِيَّةٍ صَحِيحَةٍ.١٩
20 और उनके साथ नज़्र की क़ुर्बानी के तौर पर तेल मिला हुआ मैदा; हर एक बछड़ा ऐफ़ा के तीन दहाई हिस्से के बराबर, और हर एक मेंढा पाँचवें हिस्से के बराबर।
وَتَكُونُ تَقْدِمَتُهَا ثَلاثَةَ أَعْشَارِ الإيفَةِ (نَحْوَ سَبْعَةِ لِتْرَاتٍ وَنِصْفِ اللِّتْرِ) مِنْ دَقِيقٍ مَعْجُونٍ بِزَيْتٍ لِكُلِّ ثَوْرٍ، وَعُشْرَيِ الإيفَةِ (نَحْوَ خَمْسَةِ لِتْرَاتٍ) لِلْكَبْشِ الْوَاحِدِ.٢٠
21 और सातों बर्रों में से हर बर्रा पीछे ऐफ़ा के दसवें हिस्से के बराबर पेश करा करना।
وَعُشْرَ الإيفَةِ (نَحْوَ لِتْرَيْنِ وَنِصْفٍ) لِكُلِّ حَمَلٍ مِنَ السَّبْعَةِ الْحُمْلانِ.٢١
22 और ख़ता की क़ुर्बानी के लिए एक बकरा हो, ताकि उससे तुम्हारे लिए कफ़्फ़ारा दिया जाए।
وَتُقَرِّبُونَ أَيْضاً تَيْساً وَاحِداً ذَبِيحَةَ خَطِيئَةٍ لِلتَّكْفِيرِ عَنْكُمْ،٢٢
23 तुम सुबह की सोख़्तनी क़ुर्बानी के 'अलावा, जो दाइमी सोख़्तनी क़ुर्बानी है, इनको भी पेश करना।
فَتَكُونُ هَذِهِ التَّقْدِمَةُ عَلاوَةً عَلَى مُحْرَقَةِ الصَّبَاحِ الدَّائِمَةِ الَّتِي تُصْعِدُونَهَا.٢٣
24 इसी तरह तुम हर दिन सात दिन तक आतिशी क़ुर्बानी की यह ग़िज़ा चढ़ाना, ताकि वह ख़ुदावन्द के सामने राहतअंगेज़ ख़ुशबू ठहरे; दिन — मर्रा की दाइमी सोख़्तनी क़ुर्बानी और तपावन के 'अलावा यह भी पेश करा जाए।
هَكَذَا تَصْنَعُونَ كُلَّ يَوْمٍ طَوَالَ السَّبْعَةِ الأَيَّامِ، فَتُقَدِّمُونَ طَعَامَ وَقُودِ رَائِحَةِ رِضًى لِلرَّبِّ، فَضْلاً عَنِ الْمُحْرَقَةِ الدَّائِمَةِ الَّتِي تُقَرَّبُ مَعَ سَكِيبِ خَمْرِهَا.٢٤
25 और सातवें दिन फिर तुम्हारा पाक मज़मा हो उसमें कोई ख़ादिमाना काम न करना।
ثُمَّ تُقِيمُونَ مَحْفَلاً مُقَدَّساً فِي الْيَوْمِ السَّابِعِ، تَمْتَنِعُونَ فِيهِ عَنْ أَيِّ عَمَلٍ.٢٥
26 'और पहले फलों के दिन, जब तुम नई नज़्र की क़ुर्बानी हफ़्तों की 'ईद में ख़ुदावन्द के सामने पेश करो, तब भी तुम्हारा पाक मजमा' हो; उस दिन कोई ख़ादिमाना काम न करना।
وَفِي يَوْمِ أَوَّلِ الأَثْمَارِ حِينَ تُقَرِّبُونَ تَقْدِمَةً جَدِيدَةً لِلرَّبِّ فِي أَثْنَاءِ عِيدِ الأَسَابِيعِ، أَقِيمُوا مَحْفَلاً مُقَدَّساً، تَمْتَنِعُونَ فِيهِ عَنْ أَيِّ عَمَلٍ.٢٦
27 बल्कि तुम सोख़्तनी क़ुर्बानी के तौर पर दो बछड़े, एक मेंढा और सात यक — साला नर बर्रे पेश करना; ताकि यह ख़ुदावन्द के सामने राहत अंगेज़ ख़ुशबू हो,
وَتُقَرِّبُونَ مُحْرَقَةً كَرَائِحَةِ رِضًى لِلرَّبِّ، مِنْ ثَوْرَيْنِ وَكَبْشٍ وَاحِدٍ وَسَبْعَةِ حُمْلانٍ حَوْلِيَّةٍ.٢٧
28 और इनके साथ नज़्र की क़ुर्बानी के तौर पर तेल मिला हुआ मैदा; हर बछड़ा ऐफ़ा के तीन दहाई हिस्से के बराबर, और हर मेंढा पाँचवें हिस्से के बराबर,
أَمَّا تَقْدِمَتُها فَتَكُونُ ثَلاثَةَ أَعْشَارِ الإيفَةِ (نَحْوَ سَبْعَةِ لِتْرَاتٍ وَنِصْفِ اللِّتْرِ) مِنْ دَقِيقٍ مَعْجُونٍ بِزَيْتٍ لِكُلِّ ثَوْرٍ، وَعُشْرَيِ الإيفَةِ (نَحْوَ خَمْسَةِ لِتْرَاتٍ) لِلْكَبْشِ الْوَاحِدِ٢٨
29 और सातों बर्रों में से हर बर्रे पीछे ऐफ़ा के दसवें हिस्से के बराबर हो।
وَعُشْرَ الإيفَةِ (نَحْوَ لِتْرَيْنِ وَنِصْفِ اللِّتْرِ) لِكُلِّ حَمَلٍ مِنَ الْحُمْلانِ السَّبْعَةِ.٢٩
30 और एक बकरा हो ताकि तुम्हारे लिए कफ़्फ़ारा दिया जाए।
وَأَيْضاً تُقَدِّمُونَ تَيْساً وَاحِداً مِنَ الْمَعْزِ لِلتَّكْفِيرِ عَنْكُمْ،٣٠
31 दाइमी सोख़्तनी क़ुर्बानी और उसकी नज़्र की क़ुर्बानी के 'अलावा तुम इनको भी पेश करना। यह सब बे — 'ऐब हों और इनके तपावन साथ हों।
وَهَكَذَا عَلاوَةً عَلَى الْمُحْرَقَةِ الدَّائِمَةِ وَتَقْدِمَتِهَا، أَصْعِدُوا هَذِهِ مَعَ سَكَائِبِهَا مِنَ الْخَمْرِ، عَلَى أَنْ تَكُونَ الذَّبَائِحُ خَالِيَةً مِنْ كُلِّ عَيْبٍ.٣١

< गिन 28 >