< गिन 21 >
1 और जब 'अराद के कना'नी बादशाह ने जो दख्खिन की तरफ़ रहता था सुना, कि इस्राईली अथारिम की राह से आ रहे हैं, तो वह इस्राईलियों से लड़ा और उनमें से कई एक को ग़ुलाम कर लिया।
Et le Cananéen, le roi d’Arad, qui habitait le midi, entendit qu’Israël venait par le chemin d’Atharim, et il combattit contre Israël, et lui emmena des prisonniers.
2 तब इस्राईलियों ने ख़ुदावन्द के सामने मिन्नत मानी और कहा कि “अगर तू सचमुच उन लोगों को हमारे हवाले कर दे तो हम उनके शहरों को बर्बाद कर देंगे।”
Et Israël fit un vœu à l’Éternel, et dit: Si tu livres ce peuple en ma main, je détruirai entièrement ses villes.
3 और ख़ुदावन्द ने इस्राईल की फ़रियाद सुनी और कना'नियों को उन के हवाले कर दिया; और उन्होंने उनको और उनके शहरों को बर्बाद कर दिया, चुनाँचे उस जगह का नाम भी हुरमा पड़ गया।
Et l’Éternel entendit la voix d’Israël, et [lui] livra les Cananéens; et il les détruisit entièrement, ainsi que leurs villes. Et on appela le nom de ce lieu Horma.
4 फिर उन्होंने कोह — ए — होर से रवाना होकर बहर — ए — कु़लजु़म का रास्ता लिया, ताकि मुल्क — ए — अदोम के बाहर — बाहर घूम कर जाएँ; लेकिन उन लोगों की जान उस रास्ते से 'आजिज़ आ गई।
Et ils partirent de la montagne de Hor, par le chemin de la mer Rouge, pour faire le tour du pays d’Édom; et le cœur du peuple se découragea en chemin.
5 और लोग ख़ुदा की और मूसा की शिकायत करके कहने लगे कि “तुम क्यूँ हम को मिस्र से वीरान में मरने के लिए ले आए? यहाँ तो न रोटी है, न पानी, और हमारा जी इस निकम्मी ख़ुराक से कराहियत करता है।”
Et le peuple parla contre Dieu et contre Moïse: Pourquoi nous avez-vous fait monter hors d’Égypte, pour mourir dans le désert? car il n’y a pas de pain, et il n’y a pas d’eau, et notre âme est dégoûtée de ce pain misérable.
6 तब ख़ुदावन्द ने उन लोगों में जलाने वाले साँप भेजे, उन्होंने लोगों को काटा और बहुत से इस्राईली मर गए।
Et l’Éternel envoya parmi le peuple les serpents brûlants, et ils mordaient le peuple; et, de ceux d’Israël, il mourut un grand peuple.
7 तब वह लोग मूसा के पास आकर कहने लगे कि “हम ने गुनाह किया, क्यूँकि हम ने ख़ुदावन्द की और तेरी शिकायत की; इसलिए तू ख़ुदावन्द से दुआ कर कि वह इन साँपों को हम से दूर करे।” चुनौंचे मूसा ने लोगों के लिए दुआ की।
Et le peuple vint à Moïse, et dit: Nous avons péché, car nous avons parlé contre l’Éternel et contre toi; prie l’Éternel qu’il retire de dessus nous les serpents. Et Moïse pria pour le peuple.
8 तब ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि “एक जलाने वाला साँप बना ले और उसे एक बल्ली पर लटका दे, और जो साँप का डसा हुआ उस पर नज़र करेगा वह ज़िन्दा बचेगा।”
Et l’Éternel dit à Moïse: Fais-toi un [serpent] brûlant, et mets-le sur une perche; et il arrivera que quiconque sera mordu, et le regardera, vivra.
9 चुनाँचे मूसा ने पीतल का एक साँप बनवाकर उसे बल्ली पर लटका दिया; और ऐसा हुआ कि जिस जिस साँप के डसे हुए आदमी ने उस पीतल के साँप पर निगाह की वह ज़िन्दा बच गया।
Et Moïse fit un serpent d’airain, et le mit sur une perche; et il arrivait que, lorsqu’un serpent avait mordu un homme, et qu’il regardait le serpent d’airain, il vivait.
10 और बनी — इस्राईल ने वहाँ से रवानगी की और ओबूत में आकर ख़ेमे डाले।
Et les fils d’Israël partirent, et campèrent à Oboth.
11 फिर ओबूत से कूच किया और 'अय्ये 'अबारीम में, जो पश्चिम की तरफ़ मोआब के सामने के वीरान में वाके' है ख़ेमे डाले।
Et ils partirent d’Oboth, et campèrent à Ijim-Abarim, dans le désert qui est vis-à-vis de Moab, vers le soleil levant.
12 और वहाँ से रवाना होकर वादी — ए — ज़रद में ख़ेमे डाले।
De là ils partirent, et campèrent dans la vallée de Zéred.
13 जब वहाँ से चले तो अरनोन से पार हो कर, जो अमोरियों की सरहद से निकल कर वीरान में बहती है, ख़ेमे डाले: क्यूँकि मोआब और अमोरियों के बीच अरनोन मोआब की सरहद है।
De là ils partirent, et campèrent de l’autre côté de l’Arnon, qui est dans le désert, sortant des limites des Amoréens; car l’Arnon est la frontière de Moab, entre Moab et l’Amoréen.
14 इसी वजह से ख़ुदावन्द के जंग नामे में यूँ लिखा है: “वाहेब जो सूफ़ा में है, और अरनोन के नाले
C’est pourquoi il est dit dans le livre des guerres de l’Éternel: Vaheb en Supha, et les rivières de l’Arnon;
15 और उन नालों का ढलान जो 'आर शहर तक जाता है, और मोआब की सरहद से मुतसिल है।”
Et le cours des rivières, qui tend vers l’habitation d’Ar, Et qui s’appuie sur la frontière de Moab.
16 फिर इस जगह से वह बैर को गए; यह वही कुवाँ है जिसके बारे में ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा था कि “इन लोगों को एक जगह जमा' कर, और मैं इनको पानी दूँगा।”
Et de là [ils vinrent] à Beër. C’est là le puits au sujet duquel l’Éternel dit à Moïse: Assemble le peuple, et je leur donnerai de l’eau.
17 तब इस्राईल ने यह गीत गाया: 'ऐ कुएँ, तू उबल आ! तुम इस कुएँ की ता'रीफ़ गाओ।
Alors Israël chanta ce cantique: Monte, puits! Chantez-lui:
18 यह वही कुआँ है जिसे रईसों ने बनाया, और क़ौम के अमीरों ने अपने 'असा और लाठियों से खोदा।” तब वह उस जंगल से मत्तना को गए,
Puits, que des princes ont creusé, que les hommes nobles du peuple, avec le législateur, ont creusé avec leurs bâtons! Et du désert, [ils vinrent] à Matthana;
19 और मत्तना से नहलीएल को, और नहलीएल से बामात को,
et de Matthana, à Nakhaliel; et de Nakhaliel, à Bamoth;
20 और बामात से उस वादी में पहुँच कर जो मोआब के मैदान में है, पिसगा की उस चोटी तक निकल गए जहाँ से यशीमोन नज़र आता है।
et de Bamoth, à la vallée qui est dans les champs de Moab, au sommet du Pisga, qui se montre au-dessus de la surface du désert.
21 और इस्राईलियों ने अमोरियों के बादशाह सीहोन के पास क़ासिद रवाना किए और यह कहला भेजा कि;
Et Israël envoya des messagers à Sihon, roi des Amoréens, disant:
22 “हम को अपने मुल्क से गुज़र जाने दे; हम खेतों और अँगूर के बाग़ों में नहीं घुसेंगे, और न कुओं का पानी पीएँगे, बल्कि शाहराह से सीधे चले जाएँगे जब तक तेरी हद के बाहर न हो जाएँ।”
Je passerai par ton pays: nous ne nous détournerons pas dans les champs, ni dans les vignes; nous ne boirons pas de l’eau des puits; nous marcherons par le chemin du roi, jusqu’à ce que nous ayons passé tes limites.
23 लेकिन सीहोन ने इस्राईलियों को अपनी हद में से गुज़रने न दिया; बल्कि सीहोन अपने सब लोगों को इकट्ठा करके इस्राईलियों के मुक़ाबले के लिए वीरान में पहुँचा, और उसने यहज़ में आकर इस्राईलियों से जंग की।
Mais Sihon ne permit pas à Israël de passer par ses limites; et Sihon rassembla tout son peuple, et sortit à la rencontre d’Israël, au désert, et vint à Jahats et combattit contre Israël.
24 और इस्राईल ने उसे तलवार की धार से मारा और उसके मुल्क पर, अरनोन से लेकर यब्बोक़ तक जहाँ बनी 'अम्मोन की सरहद है क़ब्ज़ा कर लिया; क्यूँकि बनी 'अम्मोन की सरहद मज़बूत थी।
Et Israël le frappa par le tranchant de l’épée, et prit possession de son pays depuis l’Arnon jusqu’au Jabbok, jusqu’aux fils d’Ammon; car la frontière des fils d’Ammon était forte.
25 तब बनी — इस्राईल ने यहाँ के सब शहरों को ले लिया और अमोरियों के सब शहरों में, या'नी हस्बोन और उसके आस पास के कस्बों में बनी — इस्राईल बस गए।
Et Israël prit toutes ces villes, et Israël habita dans toutes les villes des Amoréens, à Hesbon et dans tous les villages de son ressort.
26 हस्बोन अमोरियों के बादशाह सीहोन का शहर था, इसने मोआब के अगले बादशाह से लड़कर उसके सारे मुल्क को, अरनोन तक उससे छीन लिया था।
Car Hesbon était la ville de Sihon, roi des Amoréens; et il avait fait la guerre au précédent roi de Moab, et avait pris de sa main tout son pays jusqu’à l’Arnon.
27 इसी वजह से मिसाल कहने वालों की यह कहावत है कि “हस्बोन में आओ, ताकि सीहोन का शहर बनाया और मज़बूत किया जाए।
C’est pourquoi les poètes disent: Venez à Hesbon; que la ville de Sihon soit bâtie et établie;
28 क्यूँकि हस्बोन से आग निकली, सीहोन के शहर से शोला बरामद हुआ, इसने मोआब के 'आर शहर को और अरनोन के ऊँचे मक़ामात के सरदारों को भसम कर दिया।
Car un feu est sorti de Hesbon, une flamme, de la cité de Sihon; il a dévoré Ar de Moab, les seigneurs des hauts lieux de l’Arnon.
29 ऐ, मोआब! तुझ पर नोहा है। ऐ कमोस के मानने वालों! तुम हलाक हुए, उसने अपने बेटों को जो भागे थे और अपनी बेटियों को ग़ुलामों की तरह अमोरियों के बादशाह सीहोन के हवाले किया।
Malheur à toi, Moab! tu es perdu, peuple de Kemosh! Il a livré ses fils qui avaient échappé, et ses filles, à la captivité, à Sihon, roi des Amoréens.
30 हमने उन पर तीर चलाए, इसलिए हस्बोन दीबोन तक तबाह हो गया, बल्कि हम ने नुफ़ा तक सब कुछ उजाड़ दिया। वह नुफ़ा जो मीदबा से मुत्तसिल है।”
Nous avons tiré contre eux; Hesbon est périe jusqu’à Dibon; et nous avons dévasté jusqu’à Nophakh, … avec du feu jusqu’à Médeba.
31 तब बनी — इस्राईल अमोरियों के मुल्क में रहने लगे।
Et Israël habita dans le pays des Amoréens.
32 और मूसा ने या'ज़ेर की जासूसी कराई; फिर उन्होंने उसके गाँव ले लिए और अमोरियों को जो वहाँ थे निकाल दिया।
Et Moïse envoya pour explorer Jahzer; et ils prirent les villages de son ressort, et en dépossédèrent les Amoréens qui y étaient.
33 और वह घूम कर बसन के रास्ते से आगे को बढ़े और बसन का बादशाह 'ओज अपने सारे लश्कर को लेकर निकला, ताकि अदराई में उनसे जंग करे।
Puis ils se tournèrent et montèrent par le chemin de Basan; et Og, le roi de Basan, sortit à leur rencontre, lui et tout son peuple, à Édréhi, pour livrer bataille.
34 और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा, “उससे मत डर, क्यूँकि मैंने उसे और उसके सारे लश्कर को और उसके मुल्क को तेरे हवाले कर दिया है। इसलिए जैसा तूने अमोरियों के बादशाह सीहोन के साथ जो हस्बोन में रहता था किया है, वैसा ही इसके साथ भी करना।”
Et l’Éternel dit à Moïse: Ne le crains pas, car je l’ai livré en ta main, lui et tout son peuple, et son pays; et tu lui feras comme tu as fait à Sihon, roi des Amoréens, qui habitait à Hesbon.
35 चुनाँचे उन्होंने उसको और उसके बेटों और सब लोगों को यहाँ तक मारा कि उसका कोई बाक़ी न रहा, और उसके मुल्क को अपने क़ब्ज़े में कर लिया।
Et ils le frappèrent, lui et ses fils, et tout son peuple, jusqu’à ne pas lui laisser un réchappé; et ils prirent possession de son pays.