< गिन 19 >

1 और ख़ुदावन्द ने मूसा और हारून से कहा,
وَقَالَ الرَّبُّ لِمُوسَى وَهَرُونَ:١
2 कि शरी'अत के जिस क़ानून का हुक्म ख़ुदावन्द ने दिया है वह यह है, कि तू बनी — इस्राईल से कह कि वह तेरे पास एक बेदाग़ और बे — 'ऐब सुर्ख़ रंग की बछिया लाएँ, जिस पर कभी बोझ न रख्खा गया हो।
«هَذِهِ هِيَ مُتَطَلَّبَاتُ الشَّرِيعَةِ الَّتِي آمُرُ بِها: قُلْ لِبَنِي إِسْرَائِيلَ أَنْ يَأْتُوكَ بِبَقَرَةٍ حَمْرَاءَ سَلِيمَةٍ خَالِيَةٍ مِنْ كُلِّ عَيْبٍ، لَمْ يَعْلُهَا نِيرٌ،٢
3 और तुम उसे लेकर इली'एलियाज़र काहिन को देना कि वह उसे लश्करगाह के बाहर ले जाए, और कोई उसे उसी के सामने ज़बह कर दे;
فَتُعْطُونَهَا لأَلِعَازَارَ الْكَاهِنِ، لِيَأْخُذَهَا إِلَى خَارِجِ الْمُخَيَّمِ وَتُذْبَحُ أَمَامَهُ.٣
4 और इली'एलियाज़र काहिन अपनी उंगली से उसका कुछ ख़ून लेकर उसे ख़ेमा — ए — इजितमा'अ के आगे की तरफ़ सात बार छिड़के।
وَيَغْمِسُ الْكَاهِنُ إِصْبَعَهُ بِدَمِهَا وَيَرُشُّ مِنْهُ نَحْوَ وَجْهِ خَيْمَةِ الاجْتِمَاعِ سَبْعَ مَرَّاتٍ.٤
5 फिर कोई उसकी आँखों के सामने उस गाय को जला दे; या'नी उसका चमड़ा, और गोश्त, और ख़ून, और गोबर, इन सब को वह जलाए।
وَتُحْرَقُ الْبَقَرَةُ بِجِلْدِهَا وَلَحْمِهَا وَدَمِهَا مَعَ فَرْثِهَا عَلَى مَشْهَدٍ مِنْهُ،٥
6 फिर काहिन देवदार की लकड़ी और ज़ूफ़ा और सुर्ख़ कपड़ा लेकर उस आग में जिसमें गाय जलती हो डाल दे।
ثُمَّ يَأْخُذُ خَشَبَ أَرْزٍ وَزُوفَا، وَخَيْطاً أَحْمَرَ، وَيَطْرَحُهَا فِي وَسَطِ النِّيرَانِ.٦
7 तब काहिन अपने कपड़े धोए और पानी से ग़ुस्ल करे; इसके बाद वह लश्करगाह के अन्दर आए, फिर भी काहिन शाम तक नापाक रहेगा।
ثُمَّ يَغْسِلُ الْكَاهِنُ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمُّ بِمَاءٍ، وَبَعْدَ ذَلِكَ يَدْخُلُ الْمُخَيَّمَ، وَيَظَلُّ الْكَاهِنُ نَجِساً إِلَى الْمَسَاءِ.٧
8 और जो उस गाय को जलाए वह भी अपने कपड़े पानी से धोए और पानी से ग़ुस्ल करे और वह भी शाम तक नापाक रहेगा।
وَيَغْسِلُ الرَّجُلُ الَّذِي أَحْرَقَ الْبَقَرَةَ ثِيَابَهُ بِمَاءٍ وَيَسْتَحِمُّ، وَيَظَلُّ أَيْضاً نَجِساً إِلَى الْمَسَاءِ.٨
9 और कोई पाक शख़्स उस गाय की राख को बटोरे, और उसे लश्करगाह के बाहर किसी पाक जगह में धर दे; यह बनी — इस्राईल की जमा'अत के लिए नापाकी दूर करने के पानी के लिए रख्खी रहे, क्यूँकि यह ख़ता की क़ुर्बानी है।
وَيَجْمَعُ رَجُلٌ طَاهِرٌ رَمَادَ الْبَقَرَةِ وَيُلْقِيهِ خَارِجَ الْمُخَيَّمِ فِي مَوْضِعٍ طَاهِرٍ، فَيَظَلُّ مَحْفُوظاً لِجَمَاعَةِ إِسْرَائِيلَ لاِسْتِخْدَامِهِ فِي مَاءِ التَّطْهِيرِ. إِنَّهَا ذَبِيحَةُ خَطِيئَةٍ.٩
10 और जो उस गाय की राख को बटोरे वह भी अपने कपड़े धोए और वह भी शाम तक नापाक रहेगा, और यह बनी — इस्राईल के और उन परदेसियों के लिए जो उनमें क़याम करते हैं एक दाइमी क़ानून होगा।
وَعَلَى مَنْ جَمَعَ رَمَادَ الْبَقَرَةِ أَنْ يَغْسِلَ ثِيَابَهُ وَيَظَلَّ نَجِساً إِلَى الْمَسَاءِ، فَتَكُونُ هَذِهِ فَرِيضَةً دَائِمَةً لِبَنِي إِسْرَائِيلَ وَلِلْغَرِيبِ الْمُقِيمِ فِي وَسَطِهِمْ.١٠
11 'जो कोई किसी आदमी की लाश को छुए वह सात दिन तक नापाक रहेगा।
مَنْ لَمَسَ جُثْمَانَ إِنْسَانٍ مَيْتٍ يَبْقَى نَجِساً سَبْعَةَ أَيَّامٍ،١١
12 ऐसा आदमी तीसरे दिन उस राख से अपने को साफ़ करे तो वह सातवें दिन पाक ठहरेगा लेकिन अगर वह तीसरे दिन अपने को साफ़ न करे तों वह सातवें दिन पाक नहीं ठहरेगा।
وَعَلَيْهِ أَنْ يَتَطَهَّرَ بِمَاءِ التَّطْهِيرِ فِي الْيَوْمِ الثَّالِثِ، وَفِي الْيَوْمِ السَّابِعِ يُصْبِحُ طَاهِراً. وَإِنْ لَمْ يَتَطَهَّرْ فِي الْيَوْمِ الثَّالِثِ، فَلا يَكُونُ طَاهِراً فِي الْيَوْمِ السَّابِعِ.١٢
13 जो कोई आदमी की लाश को छूकर अपने को साफ़ न करे वह ख़ुदावन्द के घर को नापाक करता है, वह शख़्स इस्राईल में से अलग किया जाएगा क्यूँकि नापाकी दूर करने का पानी उस पर छिड़का नहीं गया इसलिए वह नापाक है उसकी नापाकी अब तक उस पर है।
كُلُّ مَنْ لَمَسَ جُثْمَانَ إِنْسَانٍ مَيْتٍ وَلَمْ يَتَطَهَّرْ، يُنَجِّسُ مَسْكَنَ الرَّبِّ، وَيَجِبُ اسْتِئْصَالُهُ مِنَ الشَّعْبِ لأَنَّهُ نَجِسٌ، إِذْ إِنَّ مَاءَ التَّطْهِيرِ لَمْ يُرَشَّ عَلَيْهِ.١٣
14 अगर कोई आदमी किसी ख़ेमे में मर जाए तो उसके बारे में शरा' यह है, कि जितने उस ख़ेमे में आएँ और जितने उस ख़ेमे में रहते हों वह सात दिन तक नापाक रहेंगे।
أَمَّا شَرِيعَةُ مَنْ مَاتَ فِي خَيْمَةٍ، فَإِنَّ كُلَّ مَنْ دَخَلَ الْخَيْمَةَ وَكُلَّ مَنْ كَانَ فِيهَا، يَكُونُ نَجِساً سَبْعَةَ أَيَّامٍ.١٤
15 और हर एक खुला बर्तन जिसका ढकना उस पर बन्धा न हो नापाक ठहरेगा।
وَكُلُّ إِنَاءٍ مَفْتُوحٍ، لَا غِطَاءَ عَلَيْهِ، أَوْ غَيْرِ مُحْكَمِ السَّدِّ، يُصْبِحُ نَجِساً.١٥
16 और जो कोई मैदान में तलवार के मक़तूल को या मुर्दे को या आदमी की हड्डी को या किसी क़ब्र को छुए वह सात दिन तक नापाक रहेगा।
وَكُلُّ مَنْ لَمَسَ عَلَى وَجْهِ الصَّحْرَاءِ قَتِيلاً بِسَيْفٍ أَوْ مَيْتاً، أَوْ عَظْمَ إِنْسَانٍ أَوْ قَبْراً، يَكُونُ نَجِساً سَبْعَةَ أَيَّامٍ.١٦
17 और नापाक आदमी के लिए उस जली हुई ख़ता की क़ुर्बानी की राख को किसी बर्तन में लेकर उस पर बहता पानी डालें।
فَيَأْخُذُونَ لِلنَّجِسِ مِنْ غُبَارِ حَرِيقِ ذَبِيحَةِ الْخَطِيئَةِ، وَيُصَبُّ عَلَيْهِ مِنْ مَاءِ نَبْعٍ جَارٍ فِي إِنَاءٍ.١٧
18 फिर कोई पाक आदमी ज़ूफ़ा लेकर और उसे पानी में डुबो — डुबोकर उस ख़ेमे पर, और जितने बर्तन और आदमी वहाँ हों उन पर और जिस शख़्स ने हड्डी को, या मक़तूलको, या मुर्दे को, या क़ब्र को छुआ है उस पर छिड़के।
وَيَأْخُذُ رَجُلٌ طَاهِرٌ أَغْصَانَ الزُّوفَا وَيَغْمِسُهَا فِي الْمَاءِ، وَيَرُشُّهُ عَلَى الْخَيْمَةِ وَعَلَى جَمِيعِ الأَمْتِعَةِ، وَعَلَى كُلِّ مَنْ كَانَ حَاضِراً هُنَاكَ، وَعَلَى الَّذِي لَمَسَ الْعَظْمَ أَوِ الْقَتِيلَ أَوِ الْمَيْتَ أَوِ الْقَبْرَ.١٨
19 वह पाक आदमी तीसरे दिन और सातवें दिन उस नापाक आदमी पर इस पानी को छिड़के और सातवें दिन उसे साफ़ करे फिर वह अपने कपड़े धोए और पानी से नहाए, तो वह शाम को पाक होगा।
ثُمَّ يَرُشُّ الطَّاهِرُ مَاءَ التَّطْهِيرِ عَلَى النَّجِسِ فِي الْيَوْمِ الثَّالِثِ وَالْيَوْمِ السَّابِعِ، وَيُطَهِّرُهُ فِي الْيَوْمِ السَّابِعِ. وَعَلَى الْمُتَطَهِّرِ أَنْ يَغْسِلَ ثِيَابَهُ وَيَسْتَحِمَّ بِمَاءٍ فَيُصْبِحَ طَاهِراً فِي الْمَسَاءِ١٩
20 'लेकिन जो कोई नापाक हो और अपनी सफ़ाई न करे, वह शख़्स जमा'अत में से अलग किया जाएगा क्यूँकि उसने ख़ुदावन्द के हैकल को नापाक किया नापाकी दूर करने का पानी उस पर छिड़का नहीं गया इसलिए वह नापाक है।
أَمَّا الَّذِي يَتَنَجَّسُ وَلا يَتَطَهَّرُ فَيُسْتَأْصَلُ مِنْ بَيْنِ الْجَمَاعَةِ، لأَنَّهُ نَجَّسَ مَقْدِسَ الرَّبِّ، وَلَمْ يُرَشَّ عَلَيْهِ مَاءُ التَّطْهِيرِ، فَظَلَّ نَجِساً.٢٠
21 और यह उनके लिए एक दाइमी क़ानून हो; जो नापाकी दूर करने के पानी को लेकर छिड़के वह अपने कपड़े धोए, और जो कोई नापाकी दूर करने के पानी को छुए वह भी शाम तक नापाक रहेगा।
وَتَكُونُ هَذِهِ لَكُمْ فَرِيضَةً دَائِمَةً. وَعَلَى مَنْ رَشَّ مَاءَ التَّطْهِيرِ أَنْ يَغْسِلَ ثِيَابَهُ. وَكُلُّ مَنْ لَمَسَ مَاءَ التَّطْهِيرِ يَكُونُ نَجِساً إِلَى الْمَسَاءِ.٢١
22 और जिस किसी चीज़ को वह नापाक आदमी छुए वह चीज़ नापाक ठहरेगी, और जो कोई उस चीज़ को छू ले वह भी शाम तक नापाक रहेगा।
وَأَيُّ شَيْءٍ يَلْمِسُهُ النَّجِسُ يُصْبِحُ نَجِساً، وَكُلُّ مَنْ يَلْمِسُهُ الشَّيْءُ الْمُتَنَجِّسُ يُصْبِحُ نَجِساً إِلَى الْمَسَاءِ».٢٢

< गिन 19 >