< गिन 15 >

1 और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
Und der HERR redete mit Mose und sprach:
2 “बनी — इस्राईल से कह कि जब तुम अपने रहने के मुल्क में जो मैं तुम को देता हूँ पहुँचो
Rede mit den Kindern Israel und sprich zu ihnen: Wenn ihr in das Land eurer Wohnung kommt, das ich euch geben werde,
3 और ख़ुदावन्द के सामने आतिशी क़ुर्बानी, या'नी सोख़्तनी क़ुर्बानी या ख़ास मिन्नत का ज़बीहा या रज़ा की क़ुर्बानी पेश करो, या अपनी मु'अय्यन 'ईदों में राहतअंगेज़ ख़ुशबू के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने गाय बैल या भेड़ बकरी चढ़ाओ।
und wollt dem HERRN Opfer tun, es sei ein Brandopfer oder ein Opfer zum besonderen Gelübde oder ein freiwilliges Opfer oder euer Festopfer, auf daß ihr dem HERRN einen süßen Geruch machet von Rindern oder von Schafen:
4 तो जो शख़्स अपना हदिया लाए, वह ख़ुदावन्द के सामने नज़्र की क़ुर्बानी के तौर पर ऐफ़ा के दस्वें हिस्से के बराबर मैदा जिसमें चौथाई हीन के बराबर तेल मिला हुआ हो,
wer nun seine Gabe dem HERRN opfern will, der soll das Speisopfer tun, ein Zehntel Semmelmehl, mit einem viertel Hin Öl;
5 और तपावन के तौर पर चौथाई हीन के बराबर मय भी लाए; तू अपनी सोख़्तनी क़ुर्बानी या अपने ज़बीहे के हर बर्रे के साथ इतना ही तैयार किया करना।
und Wein zum Trankopfer, auch ein viertel Hin, zu dem Brandopfer oder sonst zu dem Opfer, da ein Lamm geopfert wird.
6 और हर मेंढे के साथ ऐफ़ा के पाँचवे हिस्से के बराबर मैदा, जिसमें तिहाई हीन के बराबर तेल मिला हुआ हो, नज़्र की क़ुर्बानी के तौर पर लाना।
Wenn aber ein Widder geopfert wird, sollst du das Speisopfer machen aus zwei Zehntel Semmelmehl, mit einem drittel Hin Öl gemengt,
7 और तपावन के तौर पर तिहाई हीन के बराबर मय देना, ताकि वह ख़ुदावन्द के सामने राहतअंगेज़ ख़ुशबू ठहरे।
und Wein zum Trankopfer, auch ein drittel Hin; das sollst du dem HERRN zum süßen Geruch opfern.
8 और जब तू ख़ुदावन्द के सामने सोख़्तनी क़ुर्बानी या ख़ास मिन्नत के ज़बीहे या सलामती के ज़बीहे के तौर पर बछड़ा पेश करे,
Willst du aber ein Rind zum Brandopfer oder zum besonderen Gelübdeopfer oder zum Dankopfer dem HERRN machen,
9 तो वह उस बछड़े के साथ नज़्र की क़ुर्बानी के तौर पर ऐफ़ा के तीन दहाई हिस्से के बराबर मैदा, जिसमें आधे हीन के बराबर तेल मिला हुआ हो चढ़ाए।
so sollst du zu dem Rind ein Speisopfer tun, drei Zehntel Semmelmehl, mit einem halben Hin Öl gemengt,
10 और तू तपावन के तौर पर आधे हीन के बराबर मय पेश करना, ताकि वह ख़ुदावन्द के सामने राहतअंगेज़ ख़ुशबू की आतिशी क़ुर्बानी ठहरे।
und Wein zum Trankopfer, auch ein halbes Hin; das ist ein Opfer dem HERRN zum süßen Geruch.
11 “हर बछड़े, और हर मेंढे, और हर नर बर्रे या बकरी के बच्चे के लिए ऐसा ही किया जाए।
Also sollst du tun mit einem Ochsen, mit einem Widder, mit einem Schaf oder mit einer Ziege.
12 तुम जितने जानवर लाओ, उनके शुमार के मुताबिक़ एक — एक के साथ ऐसा ही करना।
Darnach die Zahl dieser Opfer ist, darnach soll auch die Zahl der Speisopfer und Trankopfer sein.
13 जितने देसी ख़ुदावन्द के सामने राहतअंगेज़ ख़ुशबू की आतिशी क़ुर्बानी पेश करें वह उस वक़्त यह सब काम इसी तरीक़े से करें।
Wer ein Einheimischer ist, der soll solches tun, daß er dem HERRN opfere ein Opfer zum süßen Geruch.
14 और अगर कोई परदेसी तुम्हारे साथ क़याम करता हो या जो कोई नसलों से तुम्हारे साथ रहता आया हो, और वह ख़ुदावन्द के सामने राहतअंगेज़ ख़ुशबू की आतिशीन क़ुर्बानी पेश करना चाहे तो जैसा तुम करते हो वह भी वैसा ही करे।
Und wenn ein Fremdling bei euch wohnt oder unter euch bei euren Nachkommen ist, und will dem HERRN ein Opfer zum süßen Geruch tun, der soll tun, wie ihr tut.
15 मजमे' के लिए, या'नी तुम्हारे लिए और उस परदेसी के लिए जो तुम में रहता हो नसल — दर — नसल हमेशा एक ही क़ानून रहेगा; ख़ुदावन्द के आगे परदेसी भी वैसे ही हों जैसे तुम हो।
Der ganzen Gemeinde sei eine Satzung, euch sowohl als den Fremdlingen; eine ewige Satzung soll das sein euren Nachkommen, daß vor dem HERRN der Fremdling sei wie ihr.
16 तुम्हारे लिए और परदेसियों के लिए जो तुम्हारे साथ रहते हैं एक ही शरी'अत और एक ही क़ानून हो।”
Ein Gesetz, ein Recht soll euch und dem Fremdling sein, der bei euch wohnt.
17 और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा कि;
Und der HERR redete mit Mose und sprach:
18 “बनी — इस्राईल से कह, जब तुम उस मुल्क में पहुँचो, जहाँ मैं तुम को लिए जाता हूँ,
Rede mit den Kindern Israel und sprich zu ihnen: Wenn ihr in das Land kommt, darein ich euch bringen werde,
19 और उस मुल्क की रोटी खाओ तो ख़ुदावन्द के सामने उठाने की क़ुर्बानी पेश करना।
daß ihr esset von dem Brot im Lande, sollt ihr dem HERRN eine Hebe geben:
20 तुम अपने पहले गूँधे हुए आटे का एक गिर्दा उठाने की क़ुर्बानी के तौर पर अदा करना, जैसे खलीहान की उठाने की क़ुर्बानी को लेकर उठाते हो वैसे ही इसे भी उठाना।
als eures Teiges Erstling sollt ihr einen Kuchen zur Hebe geben; wie die Hebe von der Scheune,
21 तुम अपनी नसल — दर — नसल अपने पहले ही गूँधे हुए आटे में से कुछ लेकर उसे ख़ुदावन्द के सामने उठाने की क़ुर्बानी के तौर पर पेश करना।
also sollt ihr auch dem HERRN eures Teiges Erstling zur Hebe geben bei euren Nachkommen.
22 “और अगर तुम से भूल हो जाए और तुमने उन सब हुक्मों पर जो ख़ुदावन्द ने मूसा को दिए 'अमल न किया हो,
Und wenn ihr aus Versehen dieser Gebote irgend eins nicht tut, die der HERR zu Mose geredet hat,
23 या'नी जिस दिन से ख़ुदावन्द ने हुक्म देना शुरू' किया उस दिन से लेकर आगे — आगे, जो कुछ हुक्म ख़ुदावन्द ने तुम्हारी नसल — दर — नसल मूसा के ज़रिए' तुम को दिया है,
alles, was der HERR euch durch Mose geboten hat, von dem Tage an, da er anfing zu gebieten auf eure Nachkommen;
24 उसमें अगर अनजाने में कोई ख़ता हो गई हो और जमा'अत उससे वाक़िफ़ न हो तो सारी जमा'अत एक बछड़ा सोख़्तनी क़ुर्बानी के लिए पेश करे, ताकि वह ख़ुदावन्द के सामने राहतअंगेज़ ख़ुशबू हो, और उसके साथ शरा' के मुताबिक़ उसकी नज़्र की क़ुर्बानी और उसका तपावन भी चढ़ाए, और ख़ता की क़ुर्बानी के लिए एक बकरा पेश करे।
wenn nun ohne Wissen der Gemeinde etwas versehen würde, so soll die ganze Gemeinde einen jungen Farren aus den Rindern zum Brandopfer machen, zum süßen Geruch dem HERRN, samt seinem Speisopfer, wie es recht ist, und einen Ziegenbock zum Sündopfer.
25 यूँ काहिन बनी — इस्राईल की सारी जमा'अत के लिए कफ़्फ़ारा दे तो उनकी मु'आफ़ी मिलेगी, क्यूँकि यह महज़ भूल थी और उन्होंने उस भूल के बदले वह क़ुर्बानी भी चढ़ाई जो ख़ुदावन्द के सामने आतिशी क़ुर्बानी ठहरती है, और ख़ता की क़ुर्बानी भी ख़ुदावन्द के सामने पेश कीं।
Und der Priester soll also die ganze Gemeinde der Kinder Israel versöhnen, so wird's ihnen vergeben sein; denn es ist ein Versehen. Und sie sollen bringen solch ihre Gabe zum Opfer dem HERRN und ihr Sündopfer vor dem HERRN über ihr Versehen,
26 तब बनी — इस्राईल की सारी जमा'अत को और उन परदेसियों को भी जो उनमें रहते हैं मु'आफ़ी मिलेगी, क्यूँकि जमा'अत के ऐतबार से यह अनजाने में हुआ।
so wird's vergeben der ganzen Gemeinde der Kinder Israel, dazu auch dem Fremdling, der unter euch wohnt, weil das ganze Volk an solchem versehen teilhat.
27 और अगर एक ही शख़्स अनजाने में ख़ता करे तो वह यक — साला बकरी ख़ता की क़ुर्बानी के लिए चढ़ाए।”
Wenn aber eine Seele aus Versehen sündigen wird, die soll eine jährige Ziege zum Sündopfer bringen.
28 यूँ काहिन उस शख़्स की तरफ़ से जिसने अनजाने में ख़ता की, उसकी ख़ता के लिए ख़ुदावन्द के सामने कफ़्फ़ारा दे तो उसे मु'आफ़ी मिलेगी।
Und der Priester soll versöhnen solche Seele, die aus Versehen gesündigt hat, vor dem HERRN, daß er sie versöhne und ihr vergeben werde.
29 जिस शख़्स ने अनजाने में ख़ता की हो, उसके लिए तुम एक ही शरा' रखना चाहे वह बनी — इस्राईल में से देसी हो या परदेसी जो उनमें रहता हो।
Und es soll ein Gesetz sein für die, so ein Versehen begehen, für den Einheimischen unter den Kindern Israel und für den Fremdling, der unter ihnen wohnt.
30 लेकिन जो शख़्स बेख़ौफ़ हो कर गुनाह करे, चाहे वह देसी हो या परदेसी, वह ख़ुदावन्द की बे'इज़्ज़ती करता है; वह शख़्स अपने लोगों में से अलग किया जाएगा।
Wenn aber eine Seele aus Frevel etwas tut, es sei ein Einheimischer oder Fremdling, der hat den HERRN geschmäht. Solche Seele soll ausgerottet werden aus ihrem Volk;
31 क्यूँकि उसने ख़ुदावन्द के कलाम की हिक़ारत की और उसके हुक्म को तोड़ डाला, वह शख़्स बिल्कुल अलग कर दिया जाएगा, उसका गुनाह उसी के सिर लगेगा।”
denn sie hat des HERRN Wort verachtet und sein Gebot lassen fahren. Ja, sie soll ausgerottet werden; die Schuld sei ihr.
32 और जब बनी — इस्राईल वीरान में रहते थे, उन दिनों एक आदमी उनको सबत के दिन लकड़ियाँ जमा' करता हुआ मिला।
Als nun die Kinder Israel in der Wüste waren, fanden sie einen Mann Holz lesen am Sabbattage.
33 और जिनकी वह लकड़ियाँ जमा' करता हुआ मिला वह उसे मूसा और हारून और सारी जमा'अत के पास ले गए।
Und die ihn darob gefunden hatten, da er das Holz las, brachten sie ihn zu Mose und Aaron und vor die ganze Gemeinde.
34 उन्होंने उसे हवालात में रख्खा, क्यूँकि उनको यह नहीं बताया गया था कि उसके साथ क्या करना चाहिए
Und sie legten ihn gefangen; denn es war nicht klar ausgedrückt, was man mit ihm tun sollte.
35 तब ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा, “यह शख़्स ज़रूर जान से मारा जाए; सारी जमा'अत लश्करगाह के बाहर उसे पथराव करे।”
Der HERR aber sprach zu Mose: Der Mann soll des Todes sterben; die ganze Gemeinde soll ihn steinigen draußen vor dem Lager.
36 चुनाँचे जैसा ख़ुदावन्द ने मूसा को हुक्म दिया था, उसके मुताबिक़ सारी जमा'अत ने उसे लश्करगाह के बाहर ले जाकर पथराव किया और वह मर गया।
Da führte die ganze Gemeinde ihn hinaus vor das Lager und steinigten ihn, daß er starb, wie der HERR dem Mose geboten hatte.
37 और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
Und der HERR sprach zu Mose:
38 “बनी — इस्राईल से कह कि वह नसल — दर — नसल अपने लिबासों के किनारों पर झालर लगाएँ, और हर किनारे की झालर के ऊपर आसमानी रंग का डोरा टाँके।
Rede mit den Kindern Israel und sprich zu ihnen, daß sie sich Quasten machen an den Zipfeln ihrer Kleider samt allen ihren Nachkommen, und blaue Schnüre auf die Quasten an die Zipfel tun;
39 यह झालर तुम्हारे लिए ऐसी हो कि जब तुम उसे देखो तो ख़ुदावन्द के सारे हुक्मों को याद करके उन पर 'अमल करो और अपने दिल और आँखों की ख़्वाहिशों की पैरवी में ज़िनाकारी न करते फिरो जैसा करते आए हो;
und sollen euch die Quasten dazu dienen, daß ihr sie ansehet und gedenket aller Gebote des HERRN und tut sie, daß ihr nicht von eures Herzens Dünken noch von euren Augen euch umtreiben lasset und abgöttisch werdet.
40 बल्कि मेरे सब हुक्मों को याद करके उनको 'अमल में लाओ और अपने ख़ुदा के लिए पाक हो।
Darum sollt ihr gedenken und tun alle meine Gebote und heilig sein eurem Gott.
41 मैं ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा हूँ, जो तुम को मुल्क — ए — मिस्र से निकाल कर लाया ताकि तुम्हारा ख़ुदा ठहरूँ। मैं ख़ुदावन्द तुम्हारा ख़ुदा हूँ।”
Ich bin der HERR, euer Gott, der euch aus Ägyptenland geführt hat, daß ich euer Gott wäre, ich, der HERR, euer Gott.

< गिन 15 >