< नहे 9 >
1 फिर इसी महीने की चौबीसवीं तारीख़ को बनी — इस्राईल रोज़ा रखकर और टाट ओढ़कर और मिट्टी अपने सिर पर डालकर इकट्ठे हुए।
καὶ ἐν ἡμέρᾳ εἰκοστῇ καὶ τετάρτῃ τοῦ μηνὸς τούτου συνήχθησαν οἱ υἱοὶ Ισραηλ ἐν νηστείᾳ καὶ ἐν σάκκοις
2 और इस्राईल की नसल के लोग सब परदेसियों से अलग हो गए, और खड़े होकर अपने गुनाहों और अपने बाप — दादा की ख़ताओं का इक़रार किया।
καὶ ἐχωρίσθησαν οἱ υἱοὶ Ισραηλ ἀπὸ παντὸς υἱοῦ ἀλλοτρίου καὶ ἔστησαν καὶ ἐξηγόρευσαν τὰς ἁμαρτίας αὐτῶν καὶ τὰς ἀνομίας τῶν πατέρων αὐτῶν
3 और उन्होंने अपनी अपनी जगह पर खड़े होकर एक पहर तक ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा की किताब पढ़ी; और दूसरे पहर में, इक़रार करके ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा को सिज्दा करते रहे।
καὶ ἔστησαν ἐπὶ στάσει αὐτῶν καὶ ἀνέγνωσαν ἐν βιβλίῳ νόμου κυρίου θεοῦ αὐτῶν καὶ ἦσαν ἐξαγορεύοντες τῷ κυρίῳ καὶ προσκυνοῦντες τῷ κυρίῳ θεῷ αὐτῶν
4 तब क़दमीएल, यशू'अ, और बानी, और सबनियाह, बुन्नी और सरीबियाह, और बानी, और कना'नी ने लावियों की सीढ़ियों पर खड़े होकर बलन्द आवाज़ से ख़ुदावन्द अपने ख़ुदा से फ़रियाद की।
καὶ ἔστη ἐπὶ ἀναβάσει τῶν Λευιτῶν Ἰησοῦς καὶ υἱοὶ Καδμιηλ Σαχανια υἱὸς Σαραβια υἱοὶ Χανανι καὶ ἐβόησαν φωνῇ μεγάλῃ πρὸς κύριον τὸν θεὸν αὐτῶν
5 फिर यशू'अ, और क़दमिएल और बानी और हसबनियाह और सरीबियाह और हूदियाह, और सबनियाह, और फ़तहियाह लावियों ने कहा, खड़े हो जाओ, और कहो, ख़ुदावन्द हमारा ख़ुदा इब्तिदा से हमेशा तक मुबारक है; तेरा जलाली नाम मुबारक हो, जो सब हम्द — ओ — ता'रीफ़ से बाला है।
καὶ εἴποσαν οἱ Λευῖται Ἰησοῦς καὶ Καδμιηλ ἀνάστητε εὐλογεῖτε τὸν κύριον θεὸν ὑμῶν ἀπὸ τοῦ αἰῶνος καὶ ἕως τοῦ αἰῶνος καὶ εὐλογήσουσιν ὄνομα δόξης σου καὶ ὑψώσουσιν ἐπὶ πάσῃ εὐλογίᾳ καὶ αἰνέσει
6 तू ही अकेला ख़ुदावन्द है; तूने आसमान और आसमानों के आसमान को और उनके सारे लश्कर को, और ज़मीन को और जो कुछ उसपर है, और समन्दरों को और जो कुछ उनमें है बनाया और तू उन सभों का परवरदिगार है; और आसमान का लश्कर तुझे सिज्दा करता है।
καὶ εἶπεν Εσδρας σὺ εἶ αὐτὸς κύριος μόνος σὺ ἐποίησας τὸν οὐρανὸν καὶ τὸν οὐρανὸν τοῦ οὐρανοῦ καὶ πᾶσαν τὴν στάσιν αὐτῶν τὴν γῆν καὶ πάντα ὅσα ἐστὶν ἐν αὐτῇ τὰς θαλάσσας καὶ πάντα τὰ ἐν αὐταῖς καὶ σὺ ζωοποιεῖς τὰ πάντα καὶ σοὶ προσκυνοῦσιν αἱ στρατιαὶ τῶν οὐρανῶν
7 तू वह ख़ुदावन्द ख़ुदा है जिसने इब्रहाम को चुन लिया, और उसे कसदियों के ऊर से निकाल लाया, और उसका नाम अब्रहाम रख्खा;
σὺ εἶ κύριος ὁ θεός σὺ ἐξελέξω ἐν Αβραμ καὶ ἐξήγαγες αὐτὸν ἐκ τῆς χώρας τῶν Χαλδαίων καὶ ἐπέθηκας αὐτῷ ὄνομα Αβρααμ
8 तूने उसका दिल अपने सामने वफ़ादार पाया, और कना'नियों हित्तियों और अमोरियों फ़रिज़्ज़ियों और यबूसियों और जिरजासियों का मुल्क देने का 'अहद उससे बाँधा ताकि उसे उसकी नसल को दे; और तूने अपने सुख़न पूरे किए क्यूँकि तू सादिक़ है।
καὶ εὗρες τὴν καρδίαν αὐτοῦ πιστὴν ἐνώπιόν σου καὶ διέθου πρὸς αὐτὸν διαθήκην δοῦναι αὐτῷ τὴν γῆν τῶν Χαναναίων καὶ Χετταίων καὶ Αμορραίων καὶ Φερεζαίων καὶ Ιεβουσαίων καὶ Γεργεσαίων καὶ τῷ σπέρματι αὐτοῦ καὶ ἔστησας τοὺς λόγους σου ὅτι δίκαιος σύ
9 और तूने मिस्र में हमारे बाप — दादा की मुसीबत पर नज़र की, और बहर — ए — कु़लजु़म के किनारे उनकी फ़रियाद सुनी।
καὶ εἶδες τὴν ταπείνωσιν τῶν πατέρων ἡμῶν ἐν Αἰγύπτῳ καὶ τὴν κραυγὴν αὐτῶν ἤκουσας ἐπὶ θάλασσαν ἐρυθράν
10 और फ़िर'औन और उसके सब नौकरों, और उसके मुल्क की सब र'इयत पर निशान और 'अजायब कर दिखाए; क्यूँकि तू जानता था कि वह ग़ुरूर के साथ उनसे पेश आए। इसलिए तेरा बड़ा नाम हुआ, जैसा आज है।
καὶ ἔδωκας σημεῖα ἐν Αἰγύπτῳ ἐν Φαραω καὶ ἐν πᾶσιν τοῖς παισὶν αὐτοῦ καὶ ἐν παντὶ τῷ λαῷ τῆς γῆς αὐτοῦ ὅτι ἔγνως ὅτι ὑπερηφάνησαν ἐπ’ αὐτούς καὶ ἐποίησας σεαυτῷ ὄνομα ὡς ἡ ἡμέρα αὕτη
11 और तूने उनके आगे समन्दर को दो हिस्से किया, ऐसा कि वह समन्दर के बीच सूखी ज़मीन पर होकर चले; और तूने उनका पीछा करनेवालों को गहराओ में डाला, जैसा पत्थर समन्दर में फेंका जाता है।
καὶ τὴν θάλασσαν ἔρρηξας ἐνώπιον αὐτῶν καὶ παρήλθοσαν ἐν μέσῳ τῆς θαλάσσης ἐν ξηρασίᾳ καὶ τοὺς καταδιώξαντας αὐτοὺς ἔρριψας εἰς βυθὸν ὡσεὶ λίθον ἐν ὕδατι σφοδρῷ
12 और तूने दिन को बादल के सुतून में होकर उनकी रहनुमाई की और रात को आग के सुतून में, ताकि जिस रास्ते उनको चलना था उसमें उनको रोशनी मिले।
καὶ ἐν στύλῳ νεφέλης ὡδήγησας αὐτοὺς ἡμέρας καὶ ἐν στύλῳ πυρὸς τὴν νύκτα τοῦ φωτίσαι αὐτοῖς τὴν ὁδόν ἐν ᾗ πορεύσονται ἐν αὐτῇ
13 और तू कोह-ए-सीना पर उतर आया, और तूने आसमान पर से उनके साथ बातें कीं, और रास्त अहकाम और सच्चे क़ानून और अच्छे आईन — ओ — फ़रमान उनको दिए,
καὶ ἐπὶ ὄρος Σινα κατέβης καὶ ἐλάλησας πρὸς αὐτοὺς ἐξ οὐρανοῦ καὶ ἔδωκας αὐτοῖς κρίματα εὐθέα καὶ νόμους ἀληθείας προστάγματα καὶ ἐντολὰς ἀγαθάς
14 और उनको अपने पाक सबत से वाक़िफ़ किया, और अपने बन्दे मूसा के ज़रिए' उनको अहकाम और आईन और शरी'अत दी।
καὶ τὸ σάββατόν σου τὸ ἅγιον ἐγνώρισας αὐτοῖς ἐντολὰς καὶ προστάγματα καὶ νόμον ἐνετείλω αὐτοῖς ἐν χειρὶ Μωυσῆ δούλου σου
15 और तूने उनकी भूक मिटाने को आसमान पर से रोटी दी, और उनकी प्यास बुझाने को चट्टान में से उनके लिए पानी निकाला, और उनको फ़रमाया कि वह जाकर उस मुल्क पर क़ब्ज़ा करें जिसको उनको देने की तूने क़सम खाई थी।
καὶ ἄρτον ἐξ οὐρανοῦ ἔδωκας αὐτοῖς εἰς σιτοδείαν αὐτῶν καὶ ὕδωρ ἐκ πέτρας ἐξήνεγκας αὐτοῖς εἰς δίψαν αὐτῶν καὶ εἶπας αὐτοῖς εἰσελθεῖν κληρονομῆσαι τὴν γῆν ἐφ’ ἣν ἐξέτεινας τὴν χεῖρά σου δοῦναι αὐτοῖς
16 लेकिन उन्होंने और हमारे बाप — दादा ने ग़ुरूर किया, और बाग़ी बने और तेरे हुक्मों को न माना;
καὶ αὐτοὶ καὶ οἱ πατέρες ἡμῶν ὑπερηφανεύσαντο καὶ ἐσκλήρυναν τὸν τράχηλον αὐτῶν καὶ οὐκ ἤκουσαν τῶν ἐντολῶν σου
17 और फ़रमाँबरदारी से इन्कार किया, और तेरे 'अजायब को जो तूने उनके बीच किए याद न रख्खा; बल्कि बाग़ी बने और अपनी बग़ावत में अपने लिए एक सरदार मुक़र्रर किया, ताकि अपनी ग़ुलामी की तरफ़ लौट जाएँ। लेकिन तू वह ख़ुदा है जो रहीम — ओ — करीम मु'आफ़ करने को तैयार, और क़हर करने में धीमा, और शफ़क़त में ग़नी है, इसलिए तूने उनको छोड़ न दिया।
καὶ ἀνένευσαν τοῦ εἰσακοῦσαι καὶ οὐκ ἐμνήσθησαν τῶν θαυμασίων σου ὧν ἐποίησας μετ’ αὐτῶν καὶ ἐσκλήρυναν τὸν τράχηλον αὐτῶν καὶ ἔδωκαν ἀρχὴν ἐπιστρέψαι εἰς δουλείαν αὐτῶν ἐν Αἰγύπτῳ καὶ σὺ θεὸς ἐλεήμων καὶ οἰκτίρμων μακρόθυμος καὶ πολυέλεος καὶ οὐκ ἐγκατέλιπες αὐτούς
18 लेकिन जब उन्होंने अपने लिए ढाला हुआ बछड़ा बनाकर कहा, 'ये तेरा ख़ुदा है, जो तुझे मुल्क — ए — मिस्र से निकाल लाया, और यूँ ग़ुस्सा दिलाने के बड़े बड़े काम किए;
ἔτι δὲ καὶ ἐποίησαν ἑαυτοῖς μόσχον χωνευτὸν καὶ εἶπαν οὗτοι οἱ θεοὶ οἱ ἐξαγαγόντες ἡμᾶς ἐξ Αἰγύπτου καὶ ἐποίησαν παροργισμοὺς μεγάλους
19 तो भी तूने अपनी गूँनागूँ रहमतों से उनको वीराने में छोड़ न दिया; दिन को बादल का सुतून उनके ऊपर से दूर न हुआ, ताकि रास्ते में उनकी रहनुमाई करे, और न रात को आग का सुतून दूर हुआ, ताकि वह उनको रोशनी और वह रास्ता दिखाए जिससे उनको चलना था।
καὶ σὺ ἐν οἰκτιρμοῖς σου τοῖς πολλοῖς οὐκ ἐγκατέλιπες αὐτοὺς ἐν τῇ ἐρήμῳ τὸν στῦλον τῆς νεφέλης οὐκ ἐξέκλινας ἀπ’ αὐτῶν ἡμέρας ὁδηγῆσαι αὐτοὺς ἐν τῇ ὁδῷ καὶ τὸν στῦλον τοῦ πυρὸς τὴν νύκτα φωτίζειν αὐτοῖς τὴν ὁδόν ἐν ᾗ πορεύσονται ἐν αὐτῇ
20 और तूने अपनी नेक रूह भी उनकी तरबियत के लिए बख़्शी, और मन को उनके मुँह से न रोका, और उनको प्यास को बुझाने को पानी दिया।
καὶ τὸ πνεῦμά σου τὸ ἀγαθὸν ἔδωκας συνετίσαι αὐτοὺς καὶ τὸ μαννα σοῦ οὐκ ἀφυστέρησας ἀπὸ στόματος αὐτῶν καὶ ὕδωρ ἔδωκας αὐτοῖς τῷ δίψει αὐτῶν
21 चालीस बरस तक तू वीराने में उनकी परवरिश करता रहा; वह किसी चीज़ के मुहताज न हुए, न तो उनके कपड़े पुराने हुए और न उनके पाँव सूजे।
καὶ τεσσαράκοντα ἔτη διέθρεψας αὐτοὺς ἐν τῇ ἐρήμῳ οὐχ ὑστέρησαν ἱμάτια αὐτῶν οὐκ ἐπαλαιώθησαν καὶ πόδες αὐτῶν οὐ διερράγησαν
22 इसके सिवा तूने उनको ममलुकतें और उम्मतें बख़्शीं, जिनको तूने उनके हिस्सों के मुताबिक़ उनको बाँट दिया; चुनाँचे वह सीहोन के मुल्क, और शाह — ए — हस्बोन के मुल्क, और बसन के बादशाह 'ओज के मुल्क पर क़ाबिज़ हुए।
καὶ ἔδωκας αὐτοῖς βασιλείας καὶ λαοὺς καὶ διεμέρισας αὐτοῖς καὶ ἐκληρονόμησαν τὴν γῆν Σηων βασιλέως Εσεβων καὶ τὴν γῆν Ωγ βασιλέως τοῦ Βασαν
23 तूने उनकी औलाद को बढ़ाकर आसमान के सितारों की तरह कर दिया, और उनको उस मुल्क में लाया जिसके बारे में तूने उनके बाप — दादा से कहा था कि वह जाकर उसपर क़ब्ज़ा करें।
καὶ τοὺς υἱοὺς αὐτῶν ἐπλήθυνας ὡς τοὺς ἀστέρας τοῦ οὐρανοῦ καὶ εἰσήγαγες αὐτοὺς εἰς τὴν γῆν ἣν εἶπας τοῖς πατράσιν αὐτῶν καὶ ἐκληρονόμησαν αὐτήν
24 तब उनकी औलाद ने आकर इस मुल्क पर क़ब्ज़ा किया, और तूने उनके आगे इस मुल्क के बाशिन्दों या'नी कना'नियों को मग़लूब किया, और उनको उनके बादशाहों और इस मुल्क के लोगों के साथ उनके हाथ में कर दिया कि जैसा चाहें वैसा उनसे करें।
καὶ ἐξέτριψας ἐνώπιον αὐτῶν τοὺς κατοικοῦντας τὴν γῆν τῶν Χαναναίων καὶ ἔδωκας αὐτοὺς εἰς τὰς χεῖρας αὐτῶν καὶ τοὺς βασιλεῖς αὐτῶν καὶ τοὺς λαοὺς τῆς γῆς ποιῆσαι αὐτοῖς ὡς ἀρεστὸν ἐνώπιον αὐτῶν
25 तब उन्होंने फ़सीलदार शहरों और ज़रख़ेज़ मुल्क को ले लिया, और वह सब तरह के अच्छे माल से भरे हुए घरों और खोदे हुए कुँवों, और बहुत से अंगूरिस्तानों और ज़ैतून के बाग़ों और फलदार दरख़्तों के मालिक हुए; फिर वह खा कर सेर हुए और मोटे ताज़े हो गए, और तेरे बड़े एहसान से बहुत हज़ उठाया।
καὶ κατελάβοσαν πόλεις ὑψηλὰς καὶ ἐκληρονόμησαν οἰκίας πλήρεις πάντων ἀγαθῶν λάκκους λελατομημένους ἀμπελῶνας καὶ ἐλαιῶνας καὶ πᾶν ξύλον βρώσιμον εἰς πλῆθος καὶ ἐφάγοσαν καὶ ἐνεπλήσθησαν καὶ ἐλιπάνθησαν καὶ ἐτρύφησαν ἐν ἀγαθωσύνῃ σου τῇ μεγάλῃ
26 तो भी वह ना — फ़रमान होकर तुझ से बाग़ी हुए, और उन्होंने तेरी शरी'अत को पीठ पीछे फेंका, और तेरे नबियों को जो उनके ख़िलाफ़ गवाही देते थे ताकि उनको तेरी तरफ़ फिरा लायें क़त्ल किया और उन्होंने ग़ुस्सा दिलाने के बड़े — बड़े काम किए।
καὶ ἤλλαξαν καὶ ἀπέστησαν ἀπὸ σοῦ καὶ ἔρριψαν τὸν νόμον σου ὀπίσω σώματος αὐτῶν καὶ τοὺς προφήτας σου ἀπέκτειναν οἳ διεμαρτύραντο ἐν αὐτοῖς ἐπιστρέψαι αὐτοὺς πρὸς σέ καὶ ἐποίησαν παροργισμοὺς μεγάλους
27 इसलिए तूने उनको उनके दुश्मनों के हाथ में कर दिया, जिन्होंने उनको सताया; और अपने दुख के वक़्त में जब उन्होंने तुझ से फ़रियाद की, तो तूने आसमान पर से सुन लिया और अपनी गूँनागूँ रहमतों के मुताबिक़ उनको छुड़ाने वाले दिए जिन्होंने उनको उनके दुश्मनों के हाथ से छुड़ाया।
καὶ ἔδωκας αὐτοὺς ἐν χειρὶ θλιβόντων αὐτούς καὶ ἔθλιψαν αὐτούς καὶ ἀνεβόησαν πρὸς σὲ ἐν καιρῷ θλίψεως αὐτῶν καὶ σὺ ἐξ οὐρανοῦ σου ἤκουσας καὶ ἐν οἰκτιρμοῖς σου τοῖς μεγάλοις ἔδωκας αὐτοῖς σωτῆρας καὶ ἔσωσας αὐτοὺς ἐκ χειρὸς θλιβόντων αὐτούς
28 लेकिन जब उनको आराम मिला तो उन्होंने फिर तेरे आगे बदकारी की, इसलिए तूने उनको उनके दुश्मनों के क़ब्ज़े में छोड़ दिया इसलिए वह उन पर मुसल्लत रहे; तो भी जब वह रुजू' लाए और तुझ से फ़रियाद की, तो तूने आसमान पर से सुन लिया और अपनी रहमतों के मुताबिक़ उनको बार — बार छुड़ाया;
καὶ ὡς ἀνεπαύσαντο ἐπέστρεψαν ποιῆσαι τὸ πονηρὸν ἐνώπιόν σου καὶ ἐγκατέλιπες αὐτοὺς εἰς χεῖρας ἐχθρῶν αὐτῶν καὶ κατῆρξαν ἐν αὐτοῖς καὶ πάλιν ἀνεβόησαν πρὸς σέ καὶ σὺ ἐξ οὐρανοῦ εἰσήκουσας καὶ ἐρρύσω αὐτοὺς ἐν οἰκτιρμοῖς σου πολλοῖς
29 और तूने उनके ख़िलाफ़ गवाही दी, ताकि अपनी शरी'अत की तरफ़ उनको फेर लाए। लेकिन उन्होंने ग़ुरूर किया और तेरे फ़रमान न माने, बल्कि तेरे अहकाम के बरख़िलाफ़ गुनाह किया जिनको अगर कोई माने, तो उनकी वजह से जीता रहेगा, और अपने कन्धे को हटाकर बाग़ी बन गए और न सुना।
καὶ ἐπεμαρτύρω αὐτοῖς ἐπιστρέψαι αὐτοὺς εἰς τὸν νόμον σου καὶ οὐκ ἤκουσαν ἀλλὰ ἐν ταῖς ἐντολαῖς σου καὶ ἐν τοῖς κρίμασί σου ἡμάρτοσαν ἃ ποιήσας αὐτὰ ἄνθρωπος ζήσεται ἐν αὐτοῖς καὶ ἔδωκαν νῶτον ἀπειθοῦντα καὶ τράχηλον αὐτῶν ἐσκλήρυναν καὶ οὐκ ἤκουσαν
30 तो भी तू बहुत बरसों तक उनकी बर्दाश्त करता रहा, और अपनी रूह से अपने नबियों के ज़रिए' उनके ख़िलाफ़ गवाही देता रहा; तो भी उन्होंने कान न लगाया, इसलिए तूने उनको और मुल्को के लोगों के हाथ में कर दिया।
καὶ εἵλκυσας ἐπ’ αὐτοὺς ἔτη πολλὰ καὶ ἐπεμαρτύρω αὐτοῖς ἐν πνεύματί σου ἐν χειρὶ προφητῶν σου καὶ οὐκ ἠνωτίσαντο καὶ ἔδωκας αὐτοὺς ἐν χειρὶ λαῶν τῆς γῆς
31 बावजूद इसके तूने अपनी गूँनागूँ रहमतों के ज़रिए' उनको नाबूद न कर दिया और न उनको छोड़ा, क्यूँकि तू रहीम — ओ — करीम ख़ुदा है।
καὶ σὺ ἐν οἰκτιρμοῖς σου τοῖς πολλοῖς οὐκ ἐποίησας αὐτοὺς συντέλειαν καὶ οὐκ ἐγκατέλιπες αὐτούς ὅτι ἰσχυρὸς εἶ καὶ ἐλεήμων καὶ οἰκτίρμων
32 “इसलिए अब, ऐ हमारे ख़ुदा, बुज़ुर्ग, और क़ादिर — ओ — मुहीब ख़ुदा जो 'अहद — ओ — रहमत को क़ाईम रखता है। वह दुख जो हम पर और हमारे बादशाहों पर, और हमारे सरदारों और हमारे काहिनों पर, और हमारे नबियों और हमारे बाप — दादा पर, और तेरे सब लोगों पर असूर के बादशाहों के ज़माने से आज तक पड़ा है, इसलिए तेरे सामने हल्का न मा'लूम हो;
καὶ νῦν ὁ θεὸς ἡμῶν ὁ ἰσχυρὸς ὁ μέγας ὁ κραταιὸς καὶ ὁ φοβερὸς φυλάσσων τὴν διαθήκην σου καὶ τὸ ἔλεός σου μὴ ὀλιγωθήτω ἐνώπιόν σου πᾶς ὁ μόχθος ὃς εὗρεν ἡμᾶς καὶ τοὺς βασιλεῖς ἡμῶν καὶ τοὺς ἄρχοντας ἡμῶν καὶ τοὺς ἱερεῖς ἡμῶν καὶ τοὺς προφήτας ἡμῶν καὶ τοὺς πατέρας ἡμῶν καὶ ἐν παντὶ τῷ λαῷ σου ἀπὸ ἡμερῶν βασιλέων Ασσουρ καὶ ἕως τῆς ἡμέρας ταύτης
33 तो भी जो कुछ हम पर आया है उस सब में तू 'आदिल है क्यूँकि तू सच्चाई से पेश आया, लेकिन हम ने शरारत की।
καὶ σὺ δίκαιος ἐπὶ πᾶσι τοῖς ἐρχομένοις ἐφ’ ἡμᾶς ὅτι ἀλήθειαν ἐποίησας καὶ ἡμεῖς ἐξημάρτομεν
34 और हमारे बादशाहों और सरदारों और हमारे काहिनों और बाप — दादा ने न तो तेरी शरी'अत पर 'अमल किया और न तेरे अहकाम और शहादतों को माना, जिनसे तू उनके ख़िलाफ़ गवाही देता रहा।
καὶ οἱ βασιλεῖς ἡμῶν καὶ οἱ ἄρχοντες ἡμῶν καὶ οἱ ἱερεῖς ἡμῶν καὶ οἱ πατέρες ἡμῶν οὐκ ἐποίησαν τὸν νόμον σου καὶ οὐ προσέσχον τῶν ἐντολῶν σου καὶ τὰ μαρτύριά σου ἃ διεμαρτύρω αὐτοῖς
35 क्यूँकि उन्होंने अपनी ममलुकत में, और तेरे बड़े एहसान के वक़्त जो तूने उन पर किया, और इस वसी' और ज़रख़ेज़ मुल्क में जो तूने उनके हवाले कर दिया, तेरी इबादत न की और न वह अपनी बदकारियों से बाज़ आए।
καὶ αὐτοὶ ἐν βασιλείᾳ σου καὶ ἐν ἀγαθωσύνῃ σου τῇ πολλῇ ᾗ ἔδωκας αὐτοῖς καὶ ἐν τῇ γῇ τῇ πλατείᾳ καὶ λιπαρᾷ ᾗ ἔδωκας ἐνώπιον αὐτῶν οὐκ ἐδούλευσάν σοι καὶ οὐκ ἀπέστρεψαν ἀπὸ ἐπιτηδευμάτων αὐτῶν τῶν πονηρῶν
36 देख, आज हम ग़ुलाम हैं, बल्कि उसी मुल्क में जो तूने हमारे बाप — दादा को दिया कि उसका फल और पैदावार खाएँ; इसलिए देख, हम उसी में ग़ुलाम हैं।
ἰδού ἐσμεν σήμερον δοῦλοι καὶ ἡ γῆ ἣν ἔδωκας τοῖς πατράσιν ἡμῶν φαγεῖν τὸν καρπὸν αὐτῆς
37 वह अपनी कसीर पैदावार उन बादशाहों को देता है, जिनको तूने हमारे गुनाहों की वजह से हम पर मुसल्लत किया है; वह हमारे जिस्मों और हमारी मवाशी पर भी जैसा चाहते हैं इख़्तियार रखते हैं, और हम सख़्त मुसीबत में हैं।”
τοῖς βασιλεῦσιν οἷς ἔδωκας ἐφ’ ἡμᾶς ἐν ἁμαρτίαις ἡμῶν καὶ ἐπὶ τὰ σώματα ἡμῶν ἐξουσιάζουσιν καὶ ἐν κτήνεσιν ἡμῶν ὡς ἀρεστὸν αὐτοῖς καὶ ἐν θλίψει μεγάλῃ ἐσμέν
38 “इन सब बातों की वजह से हम सच्चा 'अहद करते और लिख भी देते हैं, और हमारे हाकिम, और हमारे लावी, और हमारे काहिन उसपर मुहर करते हैं।”
καὶ ἐν πᾶσι τούτοις ἡμεῖς διατιθέμεθα πίστιν καὶ γράφομεν καὶ ἐπισφραγίζουσιν πάντες ἄρχοντες ἡμῶν Λευῖται ἡμῶν ἱερεῖς ἡμῶν