< मत्ती 8 >

1 जब वो उस पहाड़ से उतरा तो बहुत सी भीड़ उस के पीछे हो ली।
وَلَمَّا نَزَلَ مِنَ الْجَبَلِ، تَبِعَتْهُ جُمُوعٌ كَثِيرَةٌ.١
2 और देखो: एक कौढ़ी ने पास आकर उसे सज्दा किया और कहा, “ऐ ख़ुदावन्द! अगर तू चाहे तो मुझे पाक साफ़ कर सकता है।”
وَإذَا رَجُلٌ مُصَابٌ بِالْبَرَصِ، تَقَدَّمَ إِلَيْهِ وَسَجَدَ لَهُ قَائِلاً: «يَا سَيِّدُ، إِنْ كُنْتَ تُرِيدُ، فَأَنْتَ قَادِرٌ أَنْ تُطَهِّرَنِي!»٢
3 उसने हाथ बढ़ा कर उसे छुआ और कहा, “मैं चाहता हूँ, तू पाक — साफ़ हो जा।” वह फ़ौरन कौढ़ से पाक — साफ़ हो गया।
فَمَدَّ يَدَهُ وَلَمَسَهُ وَقَالَ: «أُرِيدُ، فَاطْهُرْ!» وَفِي الْحَالِ طَهُرَ الرَجُل مِنْ بَرَصِهِ.٣
4 ईसा ने उस से कहा, “ख़बरदार! किसी से न कहना बल्कि जाकर अपने आप को काहिन को दिखा; और जो नज़्र मूसा ने मुक़र्रर की है उसे गुज़रान; ताकि उन के लिए गवाही हो।”
وَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «انْتَبِهْ! لَا تُخْبِرْ أَحَداً، بَلِ اذْهَبْ وَاعْرِضْ نَفْسَكَ عَلَى الْكَاهِنِ، وَقَدِّمِ الْقُرْبَانَ الَّذِي أَمَرَ بِهِ مُوسَى، فَيَكُونَ ذلِكَ شَهَادَةً لَهُمْ!»٤
5 जब वो कफ़रनहूम में दाख़िल हुआ तो एक सूबेदार उसके पास आया; और उसकी मिन्नत करके कहा।
وَحَالَمَا دَخَلَ يَسُوعُ مَدِينَةَ كَفْرَنَاحُومَ، جَاءَهُ قَائِدُ مِئَةٍ يَتَوَسَّلُ إِلَيْهِ٥
6 “ऐ ख़ुदावन्द, मेरा ख़ादिम फ़ालिज का मारा घर में पड़ा है; और बहुत ही तकलीफ़ में है।”
قَائِلاً: «يَا سَيِّدُ! إِنَّ خَادِمِي مَشْلُولٌ طَرِيحُ الْفِرَاشِ فِي الْبَيْتِ، يُعَانِي أَشَدَّ الآلامِ».٦
7 उस ने उस से कहा, “मैं आ कर उसे शिफ़ा दूँगा।”
فَقَالَ لَهُ يَسُوعُ: «سَأَذْهَبُ وَأَشْفِيهِ!»٧
8 सूबेदार ने जवाब में कहा “ऐ ख़ुदावन्द, मैं इस लायक़ नहीं कि तू मेरी छत के नीचे आए; बल्कि सिर्फ़ ज़बान से कह दे तो मेरा ख़ादिम शिफ़ा पाएगा।
فَأَجَابَ قَائِدُ الْمِئَةِ: «يَا سَيِّدُ، أَنَا لَا أَسْتَحِقُّ أَنْ تَدْخُلَ تَحْتَ سَقْفِ بَيْتِي. إِنَّمَا قُلْ كَلِمَةً، فَيُشْفَى خَادِمِي.٨
9 क्यूँकि मैं भी दूसरे के इख़्तियार में हूँ; और सिपाही मेरे मातहत हैं; जब एक से कहता हूँ, जा! तो वह जाता है और दूसरे से ‘आ!’ तो वह आता है। और अपने नौकर से‘ये कर’ तो वह करता है।”
فَأَنَا أَيْضاً رَجُلٌ تَحْتَ سُلْطَةٍ أَعْلَى مِنِّي، وَلِي جُنُودٌ تَحْتَ إِمْرَتِي؛ أَقُولُ لأَحَدِهِمْ: اذْهَبْ! فَيَذْهَبُ، وَلِآخَرَ: تَعَالَ! فَيَأْتِي، وَلِعَبْدِي: افْعَلْ هَذَا! فَيَفْعَلُ».٩
10 ईसा ने ये सुनकर त'अज्जुब किया और पीछे आने वालों से कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि मैं ने इस्राईल में भी ऐसा ईमान नहीं पाया।
فَلَمَّا سَمِعَ يَسُوعُ ذلِكَ، تَعَجَّبَ وَقَالَ لِمَنْ يَتْبَعُونَهُ: «الْحَقَّ أَقُولُ لَكُمْ: لَمْ أَجِدْ أَحَداً فِي إِسْرَائِيلَ لَهُ هَذَا الإِيمَانُ الْعَظِيمُ!١٠
11 और मैं तुम से कहता हूँ कि बहुत सारे पूरब और पश्चिम से आ कर अब्रहाम, इज़्हाक़ और याक़ूब के साथ आसमान की बादशाही की ज़ियाफ़त में शरीक होंगे।
وَأَقُولُ لَكُمْ: إِنَّ كَثِيرِينَ سَيَأْتُونَ مِنَ الْمَشْرِقِ وَالْمَغْرِبِ وَيَتَّكِئُونَ مَعَ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ فِي مَلَكُوتِ السَّمَاوَاتِ.١١
12 मगर बादशाही के बेटे बाहर अंधेरे में डाले जाँएगे; जहाँ रोना और दाँत पीसना होगा।”
أَمَّا بَنُو الْمَلَكُوتِ، فَيُطْرَحُونَ فِي الظُّلْمَةِ الْخَارِجِيَّةِ، هُنَاكَ يَكُونُ الْبُكَاءُ وَصَرِيرُ الأَسْنَانِ!»١٢
13 और ईसा ने सूबेदार से कहा, “जा! जैसा तू ने यक़ीन किया तेरे लिए वैसा ही हो।” और उसी घड़ी ख़ादिम ने शिफ़ा पाई।
ثُمَّ قَالَ يَسُوعُ لِقَائِدِ الْمِئَةِ: «اذْهَبْ، وَلْيَكُنْ لَكَ مَا آمَنْتَ بِأَنْ يَكُونَ!» وَفِي تِلْكَ السَّاعَةِ شُفِيَ خَادِمُهُ.١٣
14 और ईसा ने पतरस के घर में आकर उसकी सास को बुख़ार में पड़ी देखा।
وَذَهَبَ يَسُوعُ إِلَى بَيْتِ بُطْرُسَ، فَوَجَدَ حَمَاتَهُ تَرْقُدُ مَرِيضَةً تُعَانِي مِنَ الْحُمَّى.١٤
15 उस ने उसका हाथ छुआ और बुख़ार उस पर से उतर गया; और वो उठ खड़ी हुई और उसकी ख़िदमत करने लगी।
فَلَمَسَ يَدَهَا، فَذَهَبَتْ عَنْهَا الْحُمَّى، وَنَهَضَتْ وَأَخَذَتْ تَخْدِمُهُ.١٥
16 जब शाम हुई तो उसके पास बहुत से लोगों को लाए; जिन में बदरूहें थी उसने बदरूहों को ज़बान ही से कह कर निकाल दिया; और सब बीमारों को अच्छा कर दिया।
وَعِنْدَ حُلُولِ الْمَسَاءِ، أَحْضَرَ إِلَيْهِ النَّاسُ كَثِيرِينَ مِنَ الْمَسْكُونِينَ بِالشَّيَاطِينِ. فَكَانَ يَطْرُدُ الشَّيَاطِينَ بِكَلِمَةٍ مِنْهُ. وَشَفَى الْمَرْضَى جَمِيعاً،١٦
17 ताकि जो यसायाह नबी के ज़रिए कहा गया था, वो पूरा हो: “उसने आप हमारी कमज़ोरियाँ ले लीं और बीमारियाँ उठा लीं।”
لِكَيْ يَتِمَّ مَا قِيلَ بِلِسَانِ النَّبِيِّ إِشَعْيَاءَ الْقَائِلِ: «هُوَ أَخَذَ أَسْقَامَنَا، وَحَمَلَ أَمْرَاضَنَا».١٧
18 जब ईसा ने अपने चारों तरफ़ बहुत सी भीड़ देखी तो पार चलने का हुक्म दिया।
وَحِينَ رَأَى يَسُوعُ أَنَّ الجُمُوعَ قَدِ احْتَشَدَتْ حَوْلَهُ، أَمَرَ تَلامِيذَهُ أَنْ يَعْبُرُوا إِلَى الضَّفَّةِ الْمُقَابِلَةِ.١٨
19 और एक आलिम ने पास आकर उस से कहा “ऐ उस्ताद, जहाँ कहीं भी तू जाएगा मैं तेरे पीछे चलूँगा।”
فَتَقَدَّمَ إِلَيْهِ أَحَدُ الْكَتَبَةِ وَقَالَ: «يَا مُعَلِّمُ، سَأَتْبَعُكَ حَيْثُمَا تَذْهَبُ!»١٩
20 ईसा ने उस से कहा, “लोमड़ियों के भठ होते हैं और हवा के परिन्दों के घोंसले, मगर इबने आदम के लिए सर रखने की भी जगह नहीं।”
فَأَجَابَهُ يَسُوعُ: «لِلثَّعَالِبِ أَوْجَارٌ، وَلِطُيُورِ السَّمَاءِ أَوْكَارٌ؛ أَمَّا ابْنُ الإِنْسَانِ، فَلَيْسَ لَهُ مَكَانٌ يُسْنِدُ إِلَيْهِ رَأْسَهُ».٢٠
21 एक और शागिर्द ने उस से कहा, “ऐ ख़ुदावन्द, मुझे इजाज़त दे कि पहले जाकर अपने बाप को दफ़्न करूँ।”
وَقَالَ لَهُ آخَرُ مِنْ تَلامِيذِهِ: «يَا سَيِّدُ، اسْمَحْ لِي أَنْ أَذْهَبَ أَوَّلاً فَأَدْفِنَ أَبِي!»٢١
22 ईसा ने उससे कहा, “तू मेरे पीछे चल और मुर्दों को अपने मुर्दे दफ़्न करने दे।”
فَأَجَابَهُ يَسُوعُ: «اتْبَعْنِي الآنَ، وَدَعِ الْمَوْتَى يَدْفِنُونَ مَوْتَاهُمْ!»٢٢
23 जब वो नाव पर चढ़ा तो उस के शागिर्द उसके साथ हो लिए।
ثُمَّ رَكِبَ الْقَارِبَ، وَتَبِعَهُ تَلامِيذُهُ.٢٣
24 और देखो झील में ऐसा बड़ा तूफ़ान आया कि नाव लहरों से छिप गई, मगर वो सोता रहा।
وَإذَا عَاصِفَةٌ شَدِيدَةٌ قَدْ هَبَّتْ عَلَى الْبُحَيْرَةِ، حَتَّى كَادَتِ الْمِيَاهُ أَنْ تَبْتَلِعَ الْقَارِبَ. وَكَانَ هُوَ نَائِماً.٢٤
25 उन्होंने पास आकर उसे जगाया और कहा “ऐ ख़ुदावन्द, हमें बचा, हम हलाक हुए जाते हैं”।
فَأَسْرَعَ التَّلامِيذُ إِلَيْهِ يُوْقِظُونَهُ قَائِلِينَ: «يَا سَيِّدُ، نَجِّنَا! إِنَّنَا نَهْلِكُ!»٢٥
26 उसने उनसे कहा, “ऐ कम ईमान वालो! डरते क्यूँ हो?” तब उसने उठकर हवा और पानी को डाँटा और बड़ा अम्न हो गया।
فَقَالَ لَهُمْ: «لِمَاذَا أَنْتُمْ خَائِفُونَ، يَا قَلِيلِي الإِيمَانِ؟» ثُمَّ نَهَضَ وَزَجَرَ الرِّيحَ وَالْبَحْرَ، فَسَادَ هُدُوءٌ تَامٌّ.٢٦
27 और लोग ता'अज्जुब करके कहने लगे “ये किस तरह का आदमी है कि हवा और पानी सब इसका हुक्म मानते हैं।”
فَتَعَجَّبَ النَّاسُ وَقَالُوا: «تُرَى، مَنْ هَذَا حَتَّى إِنَّ الرِّيحَ وَالْبَحْرَ يُطِيعَانِهِ؟».٢٧
28 जब वो उस पार गदरीनियों के मुल्क में पहुँचा तो दो आदमी जिन में बदरूहें थी; क़ब्रों से निकल कर उससे मिले: वो ऐसे तंग मिज़ाज थे कि कोई उस रास्ते से गुज़र नहीं सकता था।
وَلَمَّا وَصَلَ يَسُوعُ إِلَى الضَّفَّةِ الْمُقَابِلَةِ، فِي بَلْدَةِ الْجَدَرِيِّينَ، لاقَاهُ رَجُلانِ تَسْكُنُهُمَا الشَّيَاطِينُ، كَانَا خَارِجَيْنِ مِنْ بَيْنِ الْقُبُورِ، وَهُمَا شَرِسَانِ جِدّاً حَتَّى لَمْ يَكُنْ أَحَدٌ يَجْرُؤُ عَلَى الْمُرُورِ مِنْ تِلْكَ الطَّرِيقِ.٢٨
29 और देखो उन्होंने चिल्लाकर कहा “ऐ ख़ुदा के बेटे हमें तुझ से क्या काम? क्या तू इसलिए यहाँ आया है कि वक़्त से पहले हमें ऐज़ाब में डाले?”
وَفَجْأَةً صَرَخَا قَائِلَيْنِ: «مَا شَأْنُكَ بِنَا يَا يَسُوعُ ابْنَ اللهِ؟ أَجِئْتَ إِلَى هُنَا قَبْلَ الأَوَانِ لِتُعَذِّبَنَا؟»٢٩
30 उनसे कुछ दूर बहुत से सूअरों का ग़ोल चर रहा था।
وَكَانَ قَطِيعٌ كَبِيرٌ مِنَ الْخَنَازِيرِ يَرْعَى عَلَى مَسَافَةٍ مِنْهُمَا،٣٠
31 पस बदरूहों ने उसकी मिन्नत करके कहा “अगर तू हम को निकालता है तो हमें सूअरों के ग़ोल में भेज दे।”
فَقَالَتِ الشَّيَاطِينُ لِيَسُوعَ: «إِنْ كُنْتَ سَتَطْرُدُنَا، فَأَرْسِلْنَا إِلَى قَطِيعِ الْخَنَازِيرِ».٣١
32 उसने उनसे कहा “जाओ।” वो निकल कर सुअरों के अन्दर चली गईं; और देखो; सारा ग़ोल किनारे पर से झपट कर झील में जा पड़ा और पानी में डूब मरा।
فَقَالَ لَهُمْ: «اذْهَبُوا!» فَخَرَجُوا وَانْتَقَلُوا إِلَى قَطِيعِ الْخَنَازِيرِ، فَانْدَفَعَ الْقَطِيعُ مُسْرِعاً مِنْ عَلَى حَافَةِ الْجَبَلِ إِلَى الْبُحَيْرَةِ، وَمَاتَ فِيهَا غَرَقاً.٣٢
33 और चराने वाले भागे और शहर में जाकर सब माजरा और उनके हालात जिन में बदरूहें थी बयान किया।
وَهَرَبَ رُعَاةُ الْخَنَازِيرِ إِلَى الْمَدِينَةِ، وَنَقَلُوا خَبَرَ كُلِّ مَا جَرَى، وَمَا حَدَثَ لِلْمَسْكُونَيْنِ.٣٣
34 और देखो सारा शहर ईसा से मिलने को निकला और उसे देख कर मिन्नत की, कि हमारी सरहदों से बाहर चला जा।
وَإذَا الْمَدِينَةُ كُلُّهَا قَدْ خَرَجَتْ لِلِقَاءِ يَسُوعَ. وَلَمَّا وَجَدَهُ أَهْلُهَا، طَلَبُوا إِلَيْهِ أَنْ يَرْحَلَ عَنْ دِيَارِهِمْ.٣٤

< मत्ती 8 >